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यूपी सरकार के आठ साल : गरीब परिवारों के लिए वरदान बनी Samuhik Vivah Yojana, 5 लाख बेटियों को मिला सुरक्षित वैवाहिक जीवन

इस योजना के तहत सरकार प्रत्येक नवविवाहित जोड़े को विवाह पर 51 हजार रुपये का अनुदान प्रदान कर रही है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को राहत मिल रही है।

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Abhishek Mishra
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Mass marriage scheme became boon poor families

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना Photograph: (Social Media)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

उत्तर प्रदेश में जरूरतमंद परिवारों की बेटियों के विवाह को सुगम बनाने के लिए सरकार की  चलाई जा रही सामूहिक विवाह योजना एक बड़ी राहत बनकर उभरी है। वर्ष 2017 में शुरू की गई इस योजना के तहत अब तक 4.76 लाख से अधिक गरीब कन्याओं के विवाह संपन्न हो चुके हैं। इस योजना से हजारों परिवारों को सहारा मिला है।

सामाजिक समरसता और आर्थिक सहयोग का प्रतीक

यह योजना समाज कल्याण विभाग से संचालित की जा रही है और इसका लाभ उन परिवारों को मिल रहा है जिनकी वार्षिक आय 2 लाख रुपये से कम है। इस पहल का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक मदद देना नहीं है, बल्कि बेटियों को सम्मानजनक और सुरक्षित वैवाहिक जीवन प्रदान करना भी है। सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान से न केवल विवाह समारोह संभव हो पा रहे हैं, बल्कि नवविवाहित जोड़ों को आत्मनिर्भर बनने में भी सहायता मिल रही है।

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योजना के तहत दी जाने वाली सहायता

इस योजना के तहत सरकार प्रत्येक नवविवाहित जोड़े को विवाह पर 51 हजार रुपये का अनुदान प्रदान कर रही है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को राहत मिल रही है। इस राशि में 35 हजार वधू के बैंक खाते में जमा किए जाते हैं, जबकि 10 हजार गहने, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए दिए जाते हैं। इसके अलावा 6 हजार विवाह समारोह और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च किए जाते हैं। यह सहयोग उन परिवारों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो शादी के भारी खर्च से जूझ रहे थे।

सभी धर्मों और वर्गों को समान अवसर

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यह योजना किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सहित सभी धर्मों और जातियों के जोड़ों को उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह करने का अवसर देती है। सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में सामाजिक समरसता और आपसी भाईचारे को प्रोत्साहित करने के विशेष प्रयास किए जाते हैं।

हर साल बढ़ रही लाभार्थियों की संख्या

हर साल इस योजना के लाभार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे इसकी बढ़ती लोकप्रियता स्पष्ट होती है। 2020-21 में जहां 22,780 जोड़ों ने इस योजना का लाभ उठाया था, वहीं 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 1,04,940 जोड़ों तक पहुंच गई। 2024-25 में अब तक 1 लाख से अधिक विवाह इस योजना के तहत हो चुके हैं। सरकार ने इसके लिए ₹600 करोड़ का बजट निर्धारित किया है, जिससे यह साबित होता है कि यह जरूरतमंद परिवारों की सहायता के लिए एक प्रभावी और कारगर पहल है।

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प्रशासन की सक्रिय भागीदारी

योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार ने नगर निगम, नगर पंचायत और जिला प्रशासन को जिम्मेदारी सौंपी है। लाभार्थियों की पहचान से लेकर विवाह समारोहों के आयोजन तक, प्रशासन हर स्तर पर सक्रिय भूमिका निभा रहा है। हाल ही में सरकार ने एक समारोह में होने वाले विवाहों की संख्या को 10 से घटाकर 5 कर दिया है, ताकि हर आयोजन को अधिक व्यवस्थित और व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार संपन्न किया जा सके।

बेटियों के सशक्तिकरण की ओर एक कदम

इस योजना का उद्देश्य सिर्फ विवाह कराना नहीं है, बल्कि नवविवाहित जोड़ों को सरकारी योजनाओं और अधिकारों के प्रति जागरूक करना भी है। इससे बेटियों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिल रहा है, जिससे उनके माता-पिता की आर्थिक चिंताएं भी कम हो रही हैं।

समावेशी विकास की दिशा में एक प्रभावी कदम

सामूहिक विवाह योजना सरकार के "सबका साथ, सबका विकास" के संकल्प को साकार कर रही है। यह सिर्फ एक आर्थिक सहायता योजना नहीं, बल्कि सामाजिक समानता, पारिवारिक सुरक्षा और समावेशी विकास का प्रतीक भी है। इस पहल से समाज में सौहार्द, समानता और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे गरीब परिवारों को सशक्त बनाने में मदद मिल रही है।

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