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UP में बांग्लादेशी, रोहिंग्या की पहचान तेज, प्रदेशभर में गहन सत्यापन शुरू

UP में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों पर बड़ा एक्शन शुरू लखनऊ से प्रदेशभर में गहन सत्यापन अभियान, DM-पुलिस को सख्त निर्देश, डिटेंशन सेंटर बनेंगे। जानें क्यों जरूरी है यह 'ऑपरेशन घुसपैठिया' और कैसे पकड़े जा रहे हैं फर्जी डॉक्यूमेंट्स वाले लोग।

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Ajit Kumar Pandey
UP NEWS

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान का व्यापक अभियान शुरू हो गया है। लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में पुलिस, खुफिया विभाग और नगर निगम संयुक्त रूप से संदिग्ध निवासियों के दस्तावेजों की गहन जांच कर रहे हैं। इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना और सरकारी सेवाओं में अवैध घुसपैठ को रोकना है। 

उत्तर प्रदेश देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य में अवैध रूप से निवास कर रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान और सत्यापन प्रक्रिया को अप्रत्याशित रूप से तेज़ कर दिया गया है। 

हाल ही में हुए सुरक्षा संबंधी घटनाक्रमों के बाद, प्रशासन ने इस मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा है। 

प्रदेशव्यापी 'सत्यापन' अभियान का आगाज 

यह अभियान लखनऊ से लेकर सीमावर्ती जिलों समेत पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सभी जिलों के जिलाधिकारियों DM और पुलिस कप्तानों को सख्त आदेश दिए गए हैं कि वे बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे विदेशी नागरिकों की सघनता से पहचान करें। स्थानीय प्रशासन, पुलिस, खुफिया विभाग IB, और नगर निगम की टीमें मिलकर झुग्गी-बस्तियों, कूड़ा प्रबंधन स्थलों और निजी-सरकारी व्यवस्थाओं में कार्यरत संदिग्ध व्यक्तियों की जांच कर रही हैं। 

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सूत्रों के मुताबिक, यह आशंका जताई जा रही है कि कई अवैध घुसपैठिए फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी या निजी सेवाओं में काम कर रहे हैं। 

डिटेंशन सेंटर और 'ऑपरेशन घुसपैठिया' 

इस बड़े अभियान के तहत, उत्तर प्रदेश में 'डिटेंशन सेंटर' स्थापित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इन अस्थायी सेंटरों में उन संदिग्धों को रखा जाएगा जिनके दस्तावेजों का सत्यापन लंबित है। यह कदम 'ऑपरेशन घुसपैठिया' की सफलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि पहचान होने के बाद अवैध नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाए। 

कानपुर जैसे शहरों में भी पुलिस ने 16 से अधिक बस्तियों को चिह्नित किया है, जहां रोहिंग्या और बांग्लादेशी परिवारों के छिपे होने की आशंका है। करीब 300 से अधिक परिवारों का पूरा विवरण डोजियर तैयार किया जा रहा है, जिन्हें उनके दावे वाले भारतीय राज्यों को आगे की जांच के लिए भेजा जाएगा। 

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आंतरिक सुरक्षा और संसाधनों पर दबाव 

अवैध घुसपैठियों की पहचान का यह अभियान केवल सुरक्षा कारणों से ही नहीं, बल्कि राज्य के संसाधनों पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए भी आवश्यक है। ये अवैध निवासी अक्सर स्थानीय लोगों के लिए बने रोज़गार और सरकारी सुविधाओं का अनुचित लाभ लेते हैं। 

विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में सक्रिय इस अभियान का मकसद केवल अवैध निवासियों को बाहर निकालना ही नहीं है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए किसी भी संभावित खतरे को जड़ से खत्म करना है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि सत्यापन में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। क्या आपके शहर में भी हो रही है जांच? प्रशासन के इस कदम ने उन लाखों वैध निवासियों को राहत दी है जो लंबे समय से इस मांग को उठा रहे थे। 

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