नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तर प्रदेश ने सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल पर ₹65,000 करोड़ से अधिक की खरीद कर देश में पहला स्थान हासिल किया है। केंद्र सरकार ने यूपी मॉडल की जमकर सराहना की है, जो पारदर्शिता, दक्षता और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हुआ है। यह उपलब्धि न केवल उत्तर प्रदेश की प्रगति को दर्शाती है, बल्कि भारत के डिजिटल इंडिया अभियान को भी नई गति प्रदान करती है।
उत्तर प्रदेश ने सरकारी खरीद के मामले में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। GeM पोर्टल पर साल 2020-21 से 2024-25 के बीच ₹65,000 करोड़ से अधिक की प्रभावशाली खरीद करके, यूपी ने देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। यह एक ऐसी उपलब्धि है जो उत्तर प्रदेश की प्रगति और दूरदर्शी नीतियों का प्रमाण है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने इस शानदार प्रदर्शन के लिए उत्तर प्रदेश मॉडल की सराहना की है, जो दर्शाती है कि राज्य कैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अपनी खरीद प्रक्रियाओं को अधिक कुशल और पारदर्शी बना रहा है।
यह केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि कैसे सरकारी खरीद को सरल और सुलभ बनाया जा सकता है। GeM पोर्टल पर यूपी की इस बंपर खरीद से छोटे और मध्यम उद्यमियों (MSME) को बड़ा फायदा मिला है। स्थानीय उत्पादों और सेवाओं को प्राथमिकता मिलने से न केवल रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बल मिला है। यह दिखाता है कि कैसे सरकार और व्यवसायों के बीच तालमेल बिठाकर एक सशक्त अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है।
GeM पोर्टल: सरकारी खरीद का नया चेहरा
सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसे सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों, संगठनों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा आवश्यक सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिए विकसित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी खरीद में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही लाना है। यूपी ने इस प्लेटफॉर्म का भरपूर उपयोग किया है, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हुई है और सीधा संपर्क स्थापित हुआ है। इससे न केवल पैसे की बचत हुई है, बल्कि खरीद प्रक्रिया में लगने वाला समय भी कम हुआ है।
उत्तर प्रदेश मॉडल: आखिर क्यों है खास?
उत्तर प्रदेश मॉडल की सफलता के पीछे कई कारण हैं। पहला, सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति और डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाने की प्रतिबद्धता। दूसरा, अधिकारियों और कर्मचारियों का प्रशिक्षण ताकि वे GeM पोर्टल का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें। तीसरा, स्थानीय विक्रेताओं को इस प्लेटफॉर्म से जुड़ने और अपने उत्पादों को बेचने के लिए प्रोत्साहित करना। यह सब मिलकर एक ऐसा इकोसिस्टम बनाते हैं जहां सरकारी खरीद सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि विकास का एक इंजन बन जाती है। इस मॉडल ने दिखाया है कि कैसे एक बड़ा राज्य भी डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके अपनी प्रशासनिक क्षमताओं को मजबूत कर सकता है।
यह उपलब्धि दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश की प्रगति एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें आर्थिक विकास, डिजिटल साक्षरता और प्रशासनिक सुधार सभी शामिल हैं। जब कोई राज्य ₹65,000 करोड़ जैसी विशाल राशि की खरीद डिजिटल माध्यम से करता है, तो इसका सीधा अर्थ है कि छोटे और बड़े सभी स्तरों पर एक मजबूत और सक्रिय पारिस्थितिकी तंत्र काम कर रहा है।
भविष्य की राह: GeM और उत्तर प्रदेश का योगदान
GeM पोर्टल ने कुल ₹14 लाख करोड़ की बिक्री में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें उत्तर प्रदेश की प्रगति एक अहम हिस्सा रही है। यह दर्शाता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म कैसे देश की अर्थव्यवस्था को गति दे सकते हैं। आने वाले समय में, उम्मीद है कि यूपी और भी बड़े पैमाने पर GeM पोर्टल का उपयोग करेगा, जिससे न केवल राज्य में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी यह एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह सरकारी खरीद के भविष्य की दिशा तय करता है और हमें एक ऐसे भारत की ओर ले जाता है जो डिजिटल रूप से सशक्त और आर्थिक रूप से समृद्ध है।
क्या आप इस बात से सहमत हैं कि डिजिटल प्लेटफॉर्म सरकारी खरीद में क्रांति ला सकते हैं? कमेंट करके अपनी राय बताएं!
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