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Uttarakhand BJP में नई ताजपोशी - Congress में खलबली! क्या बदल जाएगा 2027 का खेल? जानिए — RSS का 'मास्टर प्लान'?

उत्तराखंड में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए महेंद्र भट्ट ने नामांकन भरा। मुख्यमंत्री धामी की मौजूदगी में हुई इस प्रक्रिया से राज्य की राजनीति में नई हलचल। क्या यह ताजपोशी BJP को 2024 में नई दिशा देगी? जानें भट्ट का सफर, चुनौतियां और सियासी असर!

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Ajit Kumar Pandey
उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नामांकन के दौरान | यंग भारत न्यूज

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करते महेंद्र भट्ट | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। बीजेपी ने महेंद्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का मन बना लिया है, जिससे राज्य की सियासी हवा बदलती नजर आ रही है। भट्ट की ताजपोशी न सिर्फ पार्टी के अंदर नए समीकरण गढ़ रही है, बल्कि कांग्रेस खेमे में भी हलचल तेज हो गई है। सवाल उठ रहा है- क्या यह बदलाव 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा है? और क्या इसके पीछे संघ का कोई गुप्त 'मास्टर प्लान' छिपा है? आइए जानते हैं, इस बदलाव के गहरे राजनीतिक मायने और इसके दूरगामी असर।

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आपको बता दें कि उत्तराखंड में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए महेंद्र भट्ट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में नामांकन दाखिल कर दिया है। इस कदम ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है, जिससे पार्टी की रणनीति और आगामी चुनावों पर गहरा असर पड़ने की उम्मीद है। 

देहरादून में भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय पर आज एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिला। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में वर्तमान पार्टी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने औपचारिक रूप से नए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। यह महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उत्तराखंड की राजनीतिक दिशा में एक बड़ा बदलाव है, जो आने वाले समय में राज्य के सियासी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।

महेंद्र भट्ट का नाम काफी समय से इस पद के लिए चर्चा में था। उनकी उम्मीदवारी को लेकर पार्टी के भीतर और बाहर भी उत्सुकता थी। उनके अनुभव और सांगठनिक क्षमताओं को देखते हुए, यह माना जा रहा है कि भट्ट बीजेपी को उत्तराखंड में और मजबूत करेंगे। लेकिन क्या यह सफर इतना आसान होगा?

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...तो ये है आरएसएस का 'मास्टरप्लान'

उत्तराखंड में बीजेपी की नई सियासी बिसात के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की रणनीति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। महेंद्र भट्ट की ताजपोशी केवल एक संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। संघ लंबे समय से उत्तराखंड में जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रहा है, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में जहां बीजेपी को नए वोट बैंक की तलाश है।

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भट्ट की संगठन पर मजबूत पकड़, हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता और संघ से नजदीकी संबंध उन्हें संघ की पहली पसंद बनाते हैं। माना जा रहा है कि RSS उत्तराखंड में ‘एक चेहरा, एक लक्ष्य’ की नीति के तहत धामी और भट्ट की जोड़ी को 2027 तक आगे बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। इससे न सिर्फ कांग्रेस की रणनीति को चुनौती मिलेगी, बल्कि राज्य में बीजेपी को नया जनाधार भी मिल सकता है।

पहाड़ से संसद तक का सफर: कौन हैं महेंद्र भट्ट?

महेंद्र भट्ट, उत्तराखंड की राजनीति का एक जाना-पहचाना नाम हैं। वे सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से जुड़े रहने वाले नेता के तौर पर भी पहचाने जाते हैं। उनका लंबा राजनीतिक सफर उन्हें संगठन और जनता दोनों की नब्ज समझने वाला बनाता है।

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जनपद चमोली से नाता: महेंद्र भट्ट का जन्म उत्तराखंड के चमोली जिले में हुआ, जो उन्हें सीधे पहाड़ी संस्कृति और समस्याओं से जोड़ता है।

छात्र राजनीति से शुरुआत: उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा छात्र जीवन से शुरू की और धीरे-धीरे बीजेपी के विभिन्न पदों पर सक्रिय रहे।

विधानसभा और राज्यसभा: भट्ट उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं और वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं, जो उनकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान को पुष्ट करता है।

उनकी छवि एक मेहनती और समर्पित कार्यकर्ता की रही है, जिसने उन्हें पार्टी नेतृत्व का विश्वास जीतने में मदद की है। लेकिन अब उनके सामने नई चुनौतियां होंगी।

धामी की मौजूदगी: एकजुटता का संदेश या कुछ और?

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में महेंद्र भट्ट का नामांकन दाखिल करना बेहद महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ एक शिष्टाचार मुलाकात नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर एकजुटता का एक मजबूत संदेश है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि धामी सरकार और पार्टी संगठन के बीच बेहतर तालमेल की उम्मीद है।

यह तालमेल उत्तराखंड के विकास और अगले चुनावों के लिए बेहद जरूरी है। धामी सरकार के कामकाज को जनता तक पहुंचाने और केंद्र की योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने में प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका अहम होगी। क्या यह जोड़ी उत्तराखंड के लिए वाकई फायदेमंद साबित होगी?

भट्ट के सामने चुनौतियां और भविष्य की राह

नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में महेंद्र भट्ट के सामने कई चुनौतियां होंगी। सबसे पहली चुनौती है अगले लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करना और उन्हें प्रेरित करना। इसके अलावा, राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव भी आने वाले हैं, जिनकी तैयारी भी उनकी प्राथमिकता होगी।

संगठन को मजबूत करना: पार्टी के भीतर विभिन्न धड़ों को साथ लेकर चलना और संगठन को और मजबूत करना।

जनता से जुड़ाव: सरकार की नीतियों को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुंचाना और उनकी समस्याओं का समाधान करना।

विपक्ष से मुकाबला: राज्य में मजबूत हो रहे विपक्ष का सामना करना और पार्टी की स्थिति को बनाए रखना।

महेंद्र भट्ट की संगठनात्मक क्षमताएं और जमीनी पकड़ उन्हें इन चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकती है। लेकिन राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता।

उत्तराखंड बीजेपी का बदलता चेहरा: क्या होगा असर?

उत्तराखंड बीजेपी में महेंद्र भट्ट की ताजपोशी से निश्चित रूप से पार्टी के कामकाज और उसकी दिशा में बदलाव आएगा। उम्मीद है कि वे युवा कार्यकर्ताओं को अधिक मौके देंगे और राज्य के हर कोने तक पार्टी की पहुंच बढ़ाएंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी अगुवाई में बीजेपी आगामी चुनावों में कैसा प्रदर्शन करती है।

यह सिर्फ एक पद का बदलाव नहीं, बल्कि उत्तराखंड की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत है। महेंद्र भट्ट का अनुभव और मुख्यमंत्री धामी का नेतृत्व मिलकर क्या नया इतिहास रचेंगे? यह समय ही बताएगा।

आपका नजरिया इस खबर पर क्या है? क्या आपको लगता है कि महेंद्र भट्ट की नियुक्ति से उत्तराखंड में बीजेपी को नई ऊर्जा मिलेगी? नीचे कमेंट करके अपने विचार जरूर साझा करें। 

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