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बाढ़ से निपटने के लिए जनपद पूरी तरह तैयार, टेबल टॉप एक्सरसाइज में तैयारियों की समीक्षा

मॉक ड्रिल को लेकर जनपदों की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में टेबल टॉप एक्सरसाइज आयोजित की गई। इस दौरान जनपदों में जिन परिदृश्यों पर मॉक ड्रिल की जानी है।

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Mukesh Pandit
Uttarakhand Emergency center
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देहरादून, वाईबीएन संवाददाता। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में राज्य के मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का प्रभावी तरीके से सामना करने तथा जल भराव की स्थितियों से कारगर तरीके से निपटने के लिए 30 जून को प्रस्तावित मॉक ड्रिल की तैयारियों को शनिवार को अंतिम रूप दिया। मॉक ड्रिल को लेकर जनपदों की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए शनिवार को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में टेबल टॉप एक्सरसाइज आयोजित की गई। इस दौरान जनपदों में जिन परिदृश्यों पर मॉक ड्रिल की जानी है, उन पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई तथा मॉक ड्रिल के सफल संचालन हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। 

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मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है

इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि इस वर्ष मौसम विभाग द्वारा सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। अत्यधिक बारिश होने के कारण राज्य के मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ तथा जलभराव जैसी समस्याओं से प्रभावी तरीके से निपटने, विभिन्न रेखीय विभागों के बीच समन्वय को बेहतर बनाने, उपकरणों तथा संसाधनों का आपदा के समय बेहतर से बेहतर उपयोग करने तथा वास्तविक आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों को प्रभावी तरीके से संचालित करने के लिए इस मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है।

सबसे जरूरी है, आपदा पूर्व तैयारी

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उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की आपदा का सामना करने के लिए सबसे जरूरी है, आपदा पूर्व तैयारी। जितनी अच्छी तैयारी होगी, उतने ही बेहतर ढंग से आपदाओं का सामना किया जा सकेगा। मॉक ड्रिल का उद्देश्य विभिन्न गैप्स का पता लगाना तथा उनका समाधान करना, आपदा के समय त्वरित निर्णय लेने की क्षमताओं में वृद्धि करना, बाढ़ से निपटने के लिए विभिन्न विभागों की तैयारियों की समीक्षा करना है। उन्होंने कहा कि आपदा के समय कोई भी विभाग अकेले कार्य नहीं कर सकता। सभी को एक-दूसरे के सहयोग की जरूरत होती है, तभी आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। 

मॉकड्रिल की तैयारियों के बारे में जानकारी दी

यूएसडीएमए के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी-क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी ने मॉक ड्रिल के लिए क्या-क्या तैयारियां करनी हैं, इसके बारे में विस्तार से जनपदों को बताया। इस अवसर पर अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर सचिव विनीत कुमार, संयुक्त सचिव एनएस डुंगरियाल, ड्यूटी ऑफिसर विजय कुमार, अनु सचिव ज्योतिर्मय त्रिपाठी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, एसडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट शुभांक रतूड़ी, संयुक्त सचिव ज्योतिर्मय त्रिपाठी, एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट राजू एस धपोला, अनु सचिव मिनी जोशी, डॉ. बिमलेश जोशी आदि मौजूद रहे। 

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आईआरएस के लिए प्रदेशभर में लगेंगे प्रशिक्षण शिविर 

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि उत्तराखण्ड में 09 जून को आईआरएस यानी घटना प्रतिक्रिया प्रणाली की अधिसूचना जारी कर दी गई है। बाढ़ प्रबंधन को लेकर आयोजित की जा रही यह मॉक ड्रिल आईआरएस प्रणाली के तहत होगी। उन्होंने बताया कि आईआरएस में सभी विभागों और अधिकारियों की भूमिका तथा दायित्वों का स्पष्ट निर्धारण किया गया है, ताकि किसी भी अधिकारी को आपदा के दौरान अपने दायित्वों तथा कर्तव्यों को लेकर भ्रम की स्थिति न रहे। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड में राज्य स्तरीय आईआरएस प्रणाली के साथ ही जनपद व तहसील स्तर पर आईआरएस को अधिसूचित किया गया है। अधिकारियों को आईआरएस के बारे में बताने के लिए राज्य, जनपद व तहसील स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

टाक्स फोर्स का किया जाएगा गठन 

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 सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि मानसून अवधि में सभी जनपदों को तहसील स्तर पर टाक्स फोर्स गठित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ और जलभराव की स्थिति में प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द मदद मिल सके, इसके लिए आवश्यक है कि अलग-अलग कार्यों को करने के लिए अलग-अलग टीमें गठित हों। उन्होंने कहा कि आपदा के उपरांत लोगों को त्वरित गति से अहेतुक सहायता वितरित करने, क्षति का आकलन करने, पुनर्निर्माण और पुनर्प्राप्ति के कार्यों को सुगमता से संचालित करने के लिए टाक्स फोर्स का गठन करने को कहा गया है। 

परिदृश्यों पर विस्तार से हुई चर्चा

टेबल टॉप एक्सरसाइज के दौरान बाढ़ व जलभराव से संबंधित विभिन्न परिदृश्यों पर विस्तार से चर्चा की गई। हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान भगदड़ और नदी में डूबने, कलसिया में तटबंध टूटने, बाणगंगा में अतिवृष्टि से जलभराव, सोलानी नदी के जलस्तर में वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में जलभराव के परिदृश्यों पर मॉक अभ्यास होगा। जनपद ऊधमसिंह नगर में बैगूल नदी से स्कूल में जलभराव तथा बच्चों का रेस्क्यू, तथा मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं से प्रभावी तरीके से निपटने का अभ्यास किया जाएगा। इसी तरह नैनीताल, देहरादून तथा चंपावत के मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ के विभिन्न परिदृश्यों को लेकर मॉक ड्रिल की जाएगी। 

अलर्ट को अंतिम छोर में बैठे व्यक्ति तक पहुंचाया जाएगा

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि उत्तराखण्ड में रिस्पांस टाइम में लगातार सुधार हो रहा है। वर्तमान में रिस्पांस टाइम 12 मिनट है। उन्होंने बताया कि आपदाओं से बचाव के लिए पहला कदम है, आपदा की सूचना को समय पर लोगों तक पहुंचाना तथा लोगों द्वारा एलर्ट को देखते हुए कदम उठाना। यूएसडीएमए अंतिम छोर में बैठे व्यक्ति तक एलर्ट पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध है और इस दिशा में तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए संचार के विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

तैयारियों को परखा, सुझाव भी दिए गए

टेबल टॉप एक्सरसाइज के दौरान विभिन्न रेखीय विभागों की तैयारियों को परखा गया। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से पूछा गया कि अतिवृष्टि, बाढ़, जलभराव, मानव वन्य जीव संघर्ष की सूचना प्राप्त होने पर क्या किया गया। किस तरह राहत और बचाव कार्य संचालित किए गए। किन-किन उपकरणों का उपयोग किया गया। गोताखोर, जल पुलिस, जेसीबी, बोट, राफ्ट आदि के परिचालन पर भी विमर्श हुआ। राहत शिविरों में रेस्क्यू किए गए लोगों के लिए क्या-क्या व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं, इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। यूएसडीएमए स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के साथ ही जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र में विभिन्न रेखीय विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। 

जून में औसत से कम बारिश, जूल जुलाई में बरसेंगे मेघ

टेबल टॉप एक्सरसाइज के दौरान मौसम विज्ञान विभाग देहरादून के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह ने बताया कि जून में उत्तराखण्ड में औसत से कम 
बारिश हुई है, लेकिन जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है। इस दौरान उन्होंने मौसम विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले विभिन्न एलर्ट्स की भी जानकारी दी। मॉक ड्रिल के दौरान बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों तक फूड पैकेट एयर ड्राप करने का भी अभ्यास किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फूड पैकेट सही सलामत लोगों तक पहुंचें। साथ ही फूड पैकेट एयर ड्रॉप करने वाले की सुरक्षा भी खतरे में न पड़े।

 

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