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"गंगा की धार - कांवड़ का भार - शिवभक्ति की पुकार : इसलिए कांवड़िए पहले आते हैं हरिद्वार!"

हरिद्वार में श्रावण मास के दौरान हर की पौड़ी पर शिवभक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। कांवड़ यात्रा अटूट आस्था और समर्पण का प्रतीक है, जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगाजल लेने आ रहे हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि त्याग और भक्ति का अद्भुत संगम है।

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Ajit Kumar Pandey

"गंगा की धार, कांवड़ का भार और शिवभक्ति की पुकार — इसलिए कांवड़िए पहले आते हैं हरिद्वार!" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।उत्तराखंड के हरिद्वार में श्रावण मास शुरू होते ही हर की पौड़ी शिवभक्तों से गुलजार हो गई है। पवित्र गंगाजल भरने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं, जिससे चारों ओर भक्ति और उत्साह का माहौल है। यह कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अटूट आस्था, त्याग और समर्पण का प्रतीक है।

श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही हरिद्वार की हर की पौड़ी का नजारा बदल गया है। चारों तरफ केसरिया रंग के परिधान पहने शिवभक्त दिखाई दे रहे हैं, जिनके कंधों पर कांवड़ें हैं और मुख पर 'बम-बम भोले' का जयघोष। यह भीड़ हर साल बढ़ती जा रही है और इसका मुख्य कारण है लोगों की भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था। इस बार भी प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए खास इंतजाम किए हैं, लेकिन भक्तों का जोश और समर्पण देखने लायक है।

गंगा में डुबकी लगाकर पवित्र जल भरने के लिए भक्त घंटों कतार में खड़े रहते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि अपनी इच्छाओं और मन्नतों को पूरा करने का एक तरीका भी है। कई भक्त सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पैदल चलकर आते हैं, जो उनकी अटूट श्रद्धा को दर्शाता है।

कांवड़ यात्रा: एक कठिन तपस्या और अटूट श्रद्धा

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कांवड़ यात्रा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए की जाने वाली एक कठिन तपस्या है। भक्त पवित्र गंगाजल को अपनी कांवड़ों में भरकर लाते हैं और उसे अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। यह यात्रा शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर काफी चुनौतीपूर्ण होती है। भक्तों को लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ती है, उन्हें थकान और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन उनकी भक्ति उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

इस यात्रा के दौरान, भक्त कठोर नियमों का पालन करते हैं, जैसे कि सात्विक भोजन करना, जमीन पर सोना और किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना। यह सब उनके समर्पण का ही हिस्सा है। हर साल लाखों लोग इस यात्रा में शामिल होते हैं, जिनमें युवा, बुजुर्ग और महिलाएं सभी शामिल होते हैं।

हर की पौड़ी: आस्था का केंद्र बिंदु

हर की पौड़ी हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है। मान्यता है कि यहां गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रावण मास में इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है, क्योंकि इस दौरान भगवान शिव धरती पर आते हैं और अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं।

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यहां का वातावरण इतना दिव्य और शांत होता है कि भक्तगण सारी चिंताओं को भूलकर सिर्फ भक्ति में लीन हो जाते हैं। शाम की गंगा आरती का नजारा तो अद्भुत होता है, जब हजारों दीपक गंगा की लहरों पर तैरते हैं और पूरा वातावरण मंत्रोच्चार से गूंज उठता है। यह अनुभव हर किसी को एक अलग ही ऊर्जा से भर देता है।

कांवड़ यात्रा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह यात्रा लोगों को एकजुट करती है, चाहे वे किसी भी क्षेत्र या वर्ग के हों। इस दौरान लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं, उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध कराते हैं और एक साथ भगवान शिव का जयघोष करते हैं।

यह यात्रा हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। सदियों से चली आ रही यह परंपरा हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती है और नई पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति और धर्म के प्रति जागरूक करती है। सरकार और स्वयंसेवी संगठन भी कांवड़ यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं करते हैं, जैसे कि चिकित्सा शिविर, पानी की व्यवस्था और सुरक्षा इंतजाम।

प्रशासन की तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था

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इस साल उत्तराखंड प्रशासन ने कांवड़ यात्रा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष पुलिस बल तैनात किया गया है और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता मिल सके। ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए भी विशेष प्लान बनाए गए हैं ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, लाखों की संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है, और सभी को सुरक्षित और सुचारु यात्रा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। यह सब सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन और भक्तों के बीच सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कैसे करें कांवड़ यात्रा को यादगार और सुरक्षित?

अगर आप भी इस कांवड़ यात्रा में शामिल होने की सोच रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:

पर्याप्त पानी पिएं: यात्रा के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है।

हल्के कपड़े पहनें: सूती और आरामदायक कपड़े यात्रा के लिए बेहतर होते हैं।

आराम करें: थकान होने पर बीच-बीच में आराम करें।

भीड़ से बचें: ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगहों पर सतर्क रहें।

सुरक्षा नियमों का पालन करें: प्रशासन द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करें।

यह यात्रा आपको एक अविस्मरणीय अनुभव देगी और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर भी।

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