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"नए कुलपति की नियुक्ति पर हंगामा, पुलिस बल तैनात! क्या हरिद्वार के गुरुकुल में हो रही है शिक्षा पर सियासत?" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित आज मंगलवार 8 जुलाई 2025 को गुरुकुल विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर भारी हंगामा देखने को मिला। प्रभात सेंगर को नया कुलपति बनाए जाने के विरोध में कर्मचारी और छात्र आमने-सामने आ गए, जिससे कैंपस में तनाव बढ़ गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तहसीलदार के साथ भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा। यह पूरा मामला विश्वविद्यालय के भविष्य और इसकी गरिमा पर सवाल उठा रहा है।
धार्मिक और शैक्षिक नगरी हरिद्वार में स्थित प्रतिष्ठित गुरुकुल विश्वविद्यालय मंगलवार को उस वक्त रणभूमि में बदल गया जब नए कुलपति की नियुक्ति को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। कुलपति प्रभात सेंगर को पदभार ग्रहण कराने पहुंचे अधिकारियों को कर्मचारियों और छात्रों के गुस्से का सामना करना पड़ा। कैंपस में तनाव इस कदर बढ़ गया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तहसीलदार के साथ भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
जैसे ही खबर फैली कि प्रतिनिधि सभा की ओर से प्रभात सेंगर को नया कुलपति नियुक्त किया गया है, विश्वविद्यालय के कर्मचारी विरोध में सड़कों पर उतर आए। उनका कहना था कि यह नियुक्ति नियमों के खिलाफ है और विश्वविद्यालय की परंपराओं का अनादर है। कुछ ही देर में दो गुट आमने-सामने आ गए – एक गुट नए कुलपति की नियुक्ति का समर्थन कर रहा था, जबकि दूसरा इसका पुरजोर विरोध कर रहा था।
कुलपति कार्यालय पर कर्मचारियों का कब्जा: कैसे शुरू हुआ गतिरोध?
विरोध प्रदर्शन की शुरुआत कुलपति कार्यालय के बाहर से हुई, जहां कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। वे कुलपति कार्यालय के बाहर डटे रहे और किसी को भी अंदर जाने से रोका। इसी बीच, एसडीएम जितेंद्र कुमार अपनी टीम के साथ नव नियुक्त कुलपति को पदभार ग्रहण कराने पहुंचे। माहौल उस वक्त और गरमा गया जब एसडीएम जितेंद्र कुमार ने जबरन ताला खोलकर नव नियुक्त कुलपति प्रभात सेंगर को कार्यभार ग्रहण कराया।
इस घटना के बाद कर्मचारियों का गुस्सा और भड़क गया। उन्होंने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि, कुलपति कार्यालय के भीतर प्रतिनिधि सभा की ओर से एसडीएम की मौजूदगी में कार्यभार संभालने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई, लेकिन बाहर का माहौल शांत होने का नाम नहीं ले रहा था।
छात्रों की भी नाराजगी: क्या है उनके विरोध का कारण?
कर्मचारियों के साथ-साथ छात्रों में भी नाराजगी देखी गई। छात्रों का एक बड़ा तबका भी इस नियुक्ति को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करा रहा था। उनका मानना था कि इस तरह की विवादित नियुक्ति से विश्वविद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता और शांतिपूर्ण वातावरण प्रभावित होगा। सोशल मीडिया पर भी गुरुकुल विश्वविद्यालय के इस घटनाक्रम को लेकर चर्चाएँ तेज़ हो गईं, जिससे यह मुद्दा और गहरा गया।
गुरुकुल विश्वविद्यालय: एक प्रतिष्ठित संस्थान पर संकट
गुरुकुल विश्वविद्यालय का अपना एक गौरवशाली इतिहास है। यह संस्थान वैदिक शिक्षा और आधुनिक ज्ञान का संगम रहा है, जिसने देश को कई विद्वान और प्रतिष्ठित व्यक्ति दिए हैं। ऐसे में कुलपति विवाद जैसी घटनाएँ निश्चित रूप से संस्थान की छवि को धूमिल करती हैं। यह सिर्फ एक नियुक्ति का मामला नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय की आंतरिक राजनीति और प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।
मौके पर तैनात पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी लगातार दोनों गुटों के बीच शांति बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं। कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि गुरुकुल विश्वविद्यालय प्रशासन इस विवाद को कैसे सुलझाता है और क्या नव नियुक्त कुलपति प्रभात सेंगर इस अशांति के बीच अपना काम सुचारू रूप से कर पाएंगे। इस घटना ने एक बार फिर शिक्षा संस्थानों में बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप की बहस को जन्म दे दिया है।
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