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हरेला उत्सव - रुद्राक्ष - धर्म - सरकार : CM धामी का पौधरोपण क्या बनेगी बदलाव की जड़?

मुख्यमंत्री धामी ने हरेला उत्सव में रुद्राक्ष का पौधा लगाकर पर्यावरण और आध्यात्म का अद्भुत संगम दिखाया। यह पहल उत्तराखंड को हरा-भरा बनाने और सतत विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रकृति और मनुष्य के रिश्ते को मजबूत करता है।

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Ajit Kumar Pandey
हरेला उत्सव - रुद्राक्ष - धर्म - सरकार : CM धामी का पौधरोपण क्या बनेगी बदलाव की जड़? | यंग भारत न्यूज

हरेला उत्सव - रुद्राक्ष - धर्म - सरकार : CM धामी का पौधरोपण क्या बनेगी बदलाव की जड़? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला उत्सव में रुद्राक्ष का पौधा लगाकर एक खास संदेश दिया है। यह उत्सव सिर्फ पौधारोपण नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के गहरे रिश्ते का प्रतीक है, जहां रुद्राक्ष जैसे पवित्र वृक्ष का रोपण पर्यावरण संरक्षण के प्रति उत्तराखंड की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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उत्तराखंड में हरेला उत्सव सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रतीक है। इस वर्ष मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पवित्र अवसर पर रुद्राक्ष का पौधा लगाकर एक नई मिसाल पेश की है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण को गंभीरता से ले रही है, और साथ ही रुद्राक्ष जैसे औषधीय और आध्यात्मिक महत्व वाले पौधों के रोपण को बढ़ावा दे रही है।

हरेला, जो कि श्रावण मास में मनाया जाता है, हरियाली और समृद्धि का पर्व है। इस दौरान नए पौधे लगाए जाते हैं और लोग प्रकृति के करीब आते हैं। मुख्यमंत्री धामी का रुद्राक्ष लगाना सिर्फ एक सांकेतिक कार्य नहीं, बल्कि इसके पीछे एक गहरा संदेश छिपा है। रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है, और इसका रोपण न केवल पर्यावरण को लाभ पहुंचाता है बल्कि आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है।

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रुद्राक्ष का महत्व: क्यों है यह इतना खास?

रुद्राक्ष का पेड़, जिसे वैज्ञानिक रूप से Elaeocarpus ganitrus के नाम से जाना जाता है, हिमालय की तलहटी में और भारत के कुछ अन्य हिस्सों में पाया जाता है। इसके बीज को ही रुद्राक्ष कहा जाता है, जो भगवान शिव से जुड़ा माना जाता है।

आध्यात्मिक महत्व: रुद्राक्ष को भगवान शिव का अश्रु माना जाता है। इसे धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन को शांति मिलती है। यह ध्यान और पूजा-पाठ में विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।

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औषधीय गुण: आयुर्वेद में रुद्राक्ष के कई औषधीय गुणों का वर्णन है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करने, तनाव कम करने और हृदय रोगों से लड़ने में सहायक माना जाता है।

पर्यावरणीय लाभ: रुद्राक्ष का पेड़ बड़ा और घना होता है, जो ऑक्सीजन का अच्छा स्रोत है। यह मिट्टी के कटाव को रोकने और जैव विविधता को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। इस तरह, रुद्राक्ष का पौधा लगाना एक बहुआयामी लाभ प्रदान करता है।

मुख्यमंत्री धामी का विजन: उत्तराखंड को हरा-भरा बनाना

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है और यहां प्रकृति का संरक्षण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। हरेला उत्सव जैसे आयोजनों से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ती है। धामी सरकार का लक्ष्य है कि उत्तराखंड को न केवल एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, बल्कि इसे एक पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ राज्य भी बनाया जाए।

सरकार रुद्राक्ष के पौधे जैसे स्वदेशी प्रजातियों के रोपण को बढ़ावा दे रही है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए फायदेमंद हैं। यह पहल "वन महोत्सव" और "गंगा हरियाली" जैसे अभियानों से भी जुड़ी है, जिनका उद्देश्य राज्य में वृक्षारोपण को बड़े पैमाने पर बढ़ाना है।

प्रकृति और पर्यटन: एक साथ विकास की राह

उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर करती है। स्वच्छ पर्यावरण और हरे-भरे जंगल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ऐसे में, हरेला उत्सव और मुख्यमंत्री का रुद्राक्ष रोपण पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सतत पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

जब राज्य हरा-भरा होगा, तो यहां की हवा शुद्ध होगी और वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित आवास बनेगा। यह सब पर्यटकों के लिए उत्तराखंड को और अधिक आकर्षक बनाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने यह भी संकेत दिया कि सरकार रुद्राक्ष को एक ब्रांड के रूप में भी बढ़ावा देने की योजना बना रही है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।

भविष्य की हरित योजनाएं: हरियाली की ओर बढ़ता उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार आने वाले समय में भी बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाएगी। इसमें केवल पारंपरिक पेड़ों पर ही नहीं, बल्कि रुद्राक्ष जैसे विशेष महत्व वाले पौधों पर भी ध्यान दिया जाएगा। स्थानीय समुदायों को भी इन अभियानों में शामिल किया जाएगा, ताकि वे पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी महसूस कर सकें।

मुख्यमंत्री धामी के इस कदम से यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हरेला उत्सव और रुद्राक्ष का रोपण इस दिशा में एक छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य के लिए एक हरित और समृद्ध उत्तराखंड की नींव रखता है। यह एक ऐसी पहल है जो पर्यावरण प्रेमियों और श्रद्धालुओं दोनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

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