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उत्तराखंड में गैर मुस्लिमों के संचालित संस्थानों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने वाला विधेय़क विधानसभा में पेश

उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक, 2025 विधानसभा में पेश किया गया। इसके लागू होने पर उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम,2016 और उत्तराखंड गैर सरकारी अरबी एवं फारसी मदरसा मान्यता नियम 2019 निरस्त हो जाएंगे। 

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Mukesh Pandit
Uttrakhand cabinet

देहरादून, वाईबीएन डेस्क। उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक, 2025 विधानसभा में पेश किया गया। इस पर कल विधानसभा में निर्णय लिया जाएगा। उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड का स्थान लेगा। हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 2016 में उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम पारित किया था। इसके पारित होने पर यह स्वत निरस्त हो जाएगा।

निर्धारित शर्तें पूरी होने पर ही संस्थान को मिलेगा दर्जा

 अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक, 2025 के अंतगर्त राज्य में संचालित सभी मदरसों को 1 जुलाई, 2026 तक उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से संबद्धता प्राप्त करनी होगी और उसके बाद अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त करने के लिए उन्हें उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण में आवेदन करना होगा।

 निर्धारित शर्तें पूरी होने पर ही संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा दिया जाएगा। राज्य में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदायको ही दिया जाता है।

गुरुमुखी और पाली भाषाओं की भी पढ़ाई संभव

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उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दी गई।इसके लागू होने से मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में गुरुमुखी और पाली भाषाओं की भी पढ़ाई संभव होगी।

इस विधेयक में एक प्राधिकरण के गठनका प्रस्ताव है। जिसमें सभी अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थानों के लिए मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य हो जाएगा। कहा जा रहा है कि यह प्राधिकरण इन संस्थानों में शैक्षणिक उत्कृष्टता को सुगम बनानेऔर बढ़ावा देने के लिए काम करेगा। ताकि अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को गुणवत्ता शिक्षा मिल सके।

नए विधेयक की मुख्य बातें

  • राज्य में एक अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन होगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को दर्जा देगा।
  • मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय द्वारा स्थापित किसी भी संस्थान को मान्यता लेने के लिए प्राधिकरण से अनुमति लेनी होगी।
  • संस्थानों को सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनी एक्ट के तहत पंजीकृत होना होगा और संपत्तियां संस्थान के नाम पर दर्ज होनी चाहिए।
  • सभी संस्थानों में पढ़ाई उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड द्वारा तय मानकों के अनुसार होगी।
  • पारदर्शिता की कमी, वित्तीय गड़बड़ी या सामाजिक-सांप्रदायिक सौहार्द के विरुद्ध गतिविधियों पर मान्यता रद्द की जा सकेगी।
  • विधेयक लागू होने के बाद गुरुमुखी और पाली भाषा की पढ़ाई भी संभव होगी।
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