नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तराखंड में आगामी पंचायत चुनावों पर हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है! आरक्षण संबंधी विवादों के चलते नैनीताल हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी है, जिससे प्रदेशभर में राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है और आम जनता के मन में भी कई सवाल खड़े हो गए हैं। इस अचानक आए फैसले ने न केवल चुनावी तैयारियों पर पानी फेर दिया है, बल्कि भविष्य की दिशा को लेकर भी अनिश्चितता बढ़ा दी है।
उत्तराखंड, देवभूमि जिसे कहा जाता है, इन दिनों एक बड़े राजनीतिक भूचाल से गुजर रहा है। जिस पंचायत चुनाव का बेसब्री से इंतजार हो रहा था, जिस पर नेता और जनता, दोनों की निगाहें टिकी थीं, उस पर अब ग्रहण लग गया है। जी हाँ, आपने सही पढ़ा! नैनीताल हाईकोर्ट ने आरक्षण से जुड़े एक अहम मामले पर सुनवाई करते हुए आगामी उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है।
उम्मीदवार जुटे थे अपने प्रचार में
सोचिए, गांव-गांव में, गली-गली में चुनावी माहौल बन रहा था। उम्मीदवार अपने-अपने प्रचार में जुटे थे, वोटरों को लुभाने की कोशिशें जारी थीं, और अचानक ये खबर आती है कि चुनाव रुक गए हैं। ये फैसला किसी झटके से कम नहीं है। अब हर कोई यही सोच रहा है कि ऐसा क्यों हुआ? इसके पीछे क्या वजह है? और अब आगे क्या होगा?
दरअसल, मामला आरक्षण से जुड़ा है। कुछ लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उत्तराखंड पंचायत चुनाव में आरक्षण के नियमों का सही से पालन नहीं हो रहा है, या उनमें कुछ विसंगतियाँ हैं। हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को गंभीरता से लिया और पूरे मामले की सुनवाई के बाद पाया कि वाकई इस पर और ध्यान देने की जरूरत है। इसी के चलते कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को फिलहाल रोक दिया है।
नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले ने बहुतों को किया निराश
इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हैं, जो इतने समय से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। जिन्होंने लाखों रुपए खर्च किए, दिन-रात एक करके प्रचार किया, और अपने सपनों को साकार करने की उम्मीद पाले बैठे थे। उनके लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं है। साथ ही, उन गाँव-देहात की जनता के लिए भी यह एक चिंता का विषय है, जो अपने चुने हुए प्रतिनिधियों का इंतजार कर रहे थे ताकि उनके क्षेत्र में विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ सकें।
पंचायत चुनावों पर सचिव पंचायतीराज चंद्रेश कुमार ने दी बड़ी जानकारी
पंचायती राज सचिव ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में आरक्षण व्यवस्था से संबंधित नियमावली की अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) की प्रक्रिया गतिमान है।
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा वर्तमान में पंचायतों में आरक्षण प्रक्रिया पर अंतरिम आदेश (स्थगन) पारित किया गया है, जिसकी समुचित रूप से अनुपालना की जा रही है।
सचिव पंचायतीराज ने कहा कि आरक्षण नियमावली 2025 की गजट
नोटिफिकेशन की प्रति प्रिंटिंग के लिए राजकीय प्रेस रुड़की में गतिमान है, जिसे शीघ्र जारी कर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि स्थिति से अवगत कराते हुए उचित न्यायिक मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार न्यायालय की पूर्ण गरिमा एवं निर्देशों का सम्मान करते हुए पंचायतीराज व्यवस्था को संविधान व विधि सम्मत रूप से संचालित करने हेतु प्रतिबद्ध है।
अब सबकी निगाहें कोर्ट के अगले कदम पर टिकीं
अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट के अगले कदम पर टिकी हैं। सरकार की ओर से भी इस मामले में क्या रुख अपनाया जाता है, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे? या फिर कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए आरक्षण के नियमों में सुधार करेंगे और फिर से चुनावी प्रक्रिया शुरू की जाएगी? ये सारे सवाल अब अनिश्चितता के घेरे में हैं।
यह तो तय है कि उत्तराखंड पंचायत चुनाव अब कुछ समय के लिए टल गए हैं। इससे न केवल चुनावी प्रक्रिया में देरी होगी, बल्कि प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर भी कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस पूरी स्थिति का असर राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विकास कार्यों पर भी पड़ सकता है। उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में कोई स्पष्टता आएगी ताकि जनता और उम्मीदवारों की अनिश्चितता खत्म हो सके।
क्या आप भी इस फैसले से हैरान हैं? आपकी क्या राय है, क्या हाईकोर्ट का यह कदम सही है? कमेंट करके हमें बताएं और इस महत्वपूर्ण खबर को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें!
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