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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । हरिद्वार की ज़मीन में ही नहीं, अब उत्तराखंड की राजनीति में भी हलचल मच चुकी है। सीएम धामी ने भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई करते हुए अफसरों की गर्दन पर गिरी गाज। IAS-PCS अधिकारियों पर निलंबन की गूंज अब पूरे देश में सुनाई दे रही है। 12 अधिकारियों की लापरवाही ने सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब इस घोटाले की जांच की आंच मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी पहुंच सकती है।
हरिद्वार भूमि घोटाले को लेकर उत्तराखंड सरकार ने बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए दो वरिष्ठ IAS और एक PCS अधिकारी को निलंबित कर दिया है। इनमें हरिद्वार DM कामेंद्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी और SDM अजयवीर सिंह शामिल हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने इस मामले में अब तक कुल 12 अधिकारियों को निलंबित कर भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है। राज्य में हड़कंप मच गया है और जांच अब और गहराई तक जाएगी।
हरिद्वार ज़मीन घोटाले में धामी सरकार की सबसे बड़ी कार्रवाई
उत्तराखंड के हरिद्वार में ज़मीन घोटाले की खबरें पिछले कुछ महीनों से चर्चा में थीं। लेकिन अब इस घोटाले पर सरकार की चुप्पी टूटी है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ताबड़तोड़ एक्शन लिया है।
दो IAS और एक PCS अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, पूरे घोटाले की विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है।
इस घटनाक्रम से साफ है कि उत्तराखंड सरकार अब भ्रष्टाचार पर किसी तरह की नरमी दिखाने के मूड में नहीं है।
हरिद्वार भूमि घोटाले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए भूमि घोटाले में दो वरिष्ठ IAS अधिकारियों और एक PCS अधिकारी को निलंबित कर दिया है। इन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जाएगी। इस मामले में अब तक कुल बारह लोगों को निलंबित…
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 3, 2025
किन अफसरों पर गिरी गाज?
सरकार की ओर से जिन अधिकारियों पर निलंबन की तलवार चली है, उनके नाम हैं:
- कामेंद्र सिंह (DM, हरिद्वार)
- वरुण चौधरी (पूर्व नगर आयुक्त)
- अजयवीर सिंह (SDM)
इन तीनों पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी भूमि को निजी स्वामित्व में बदलवाने की अनुमति दी, नियमों को ताक पर रखा और सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया।
अब तक कितने अधिकारी हुए निलंबित?
इस पूरे प्रकरण में अब तक कुल 12 अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं।
इनमें:
- ज़िला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी
- नगर निगम के अफसर
- राजस्व विभाग के कर्मचारी
- तकनीकी सहयोगी भी शामिल हैं।
ये सभी अधिकारी किसी न किसी रूप में घोटाले में संलिप्त पाए गए हैं या जांच में संदिग्ध भूमिका निभा रहे थे।
घोटाले का पूरा गणित: जमीन, नक्शा और हेराफेरी
यह भूमि घोटाला उस समय सुर्खियों में आया जब हरिद्वार के कुछ क्षेत्रों में सरकारी ज़मीनों को गलत दस्तावेज़ों के आधार पर निजी लोगों को हस्तांतरित कर दिया गया।
- नक्शों में हेराफेरी की गई
- भू-अभिलेख में छेड़छाड़ की गई
- सरकारी नियमों को ताक पर रखकर प्लॉट आवंटन किया गया
सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला 100 करोड़ से ज्यादा का हो सकता है, जिसकी परतें अभी खुलनी बाकी हैं।
मुख्यमंत्री धामी का सख्त रुख
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कहा है— "भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
उनका यह एक्शन सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की छवि सुधारने का प्रयास भी माना जा रहा है।
जांच का दायरा और भी बड़ा हो सकता है
सूत्रों की मानें तो अभी जिन 12 अधिकारियों को निलंबित किया गया है, वह शुरुआती लिस्ट है।
जांच में और नाम सामने आ सकते हैं, और यह कार्रवाई आगे भी जारी रह सकती है।
SIT (विशेष जांच दल) या CBI जांच की मांग भी उठ रही है।
जनता में रोष और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घोटाले के उजागर होने के बाद जनता के बीच गुस्सा साफ नजर आ रहा है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि आम आदमी को ज़मीन के लिए सालों लग जाते हैं और अफसरों ने चुपचाप पूरी कॉलोनी बेच डाली!
विपक्षी दलों—कांग्रेस और आप—ने इसे "प्रशासनिक भ्रष्टाचार का सबूत" बताते हुए धामी सरकार पर हमला बोला है।
विपक्ष के आरोप और सत्तापक्ष की सफाई
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा:
"अगर मुख्यमंत्री ईमानदार हैं तो SIT से जांच क्यों नहीं करवाते?"
वहीं, बीजेपी नेताओं का कहना है कि धामी सरकार की कार्रवाई ही इस बात का सबूत है कि वो ईमानदारी से काम कर रही है।
घोटाले की जांच अब कहां तक पहुंची?
सरकारी सूत्रों के अनुसार, संबंधित ज़मीनों के दस्तावेज़ों को जब्त कर लिया गया है। सभी 12 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। SIT गठन की प्रक्रिया विचाराधीन है। अगले 7 दिनों में और गिरफ्तारी संभव है।
क्या धामी सरकार की छवि सुधरेगी?
- यह एक्शन धामी सरकार की ईमानदार छवि को मजबूत करने की कोशिश है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब जांच निष्पक्ष और तेज़ होगी, और सभी दोषियों को सज़ा मिलेगी।
- हरिद्वार भूमि घोटाला उत्तराखंड की प्रशासनिक मशीनरी की गंभीर खामियों को उजागर करता है।
- धामी सरकार की कार्रवाई सराहनीय है लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है।
- अब असली परीक्षा इस बात की होगी कि क्या दोषियों को जेल भेजा जाएगा या सिर्फ कागज़ों में कार्रवाई होकर रह जाएगी।
क्या आप इस घोटाले पर सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हैं? कमेंट करें और अपनी राय जरूर दें।
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