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हरिद्वार में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के ‘हर की पौड़ी’ घाट पर गंगा दशहरा के अवसर पर हजारों श्रद्धालु जुटे। आज गुरूवार 5 जून की सुबह से ही गंगा में डुबकी लगाने वालों की कतारें लगी रहीं। श्रद्धालुओं ने स्नान कर पुण्य अर्जित किया और गंगा आरती में शामिल होकर आध्यात्मिक शांति पाई। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए थे। गंगा दशहरा पर्व पर उत्तराखंड के धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक ऊर्जा का अद्भुत संगम देखा गया।
गंगा दशहरा, आस्था और पुण्य का पर्व, इस बार भी श्रद्धालुओं की भावनाओं और विश्वास की गहराई लेकर आया। 5 जून को हरिद्वार स्थित पवित्र ‘हर की पौड़ी’ पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही गंगा स्नान की परंपरा शुरू हो गई। हर कोई इस पुण्य तिथि पर मां गंगा की कृपा पाने के लिए आतुर नजर आया।
गंगा दशहरा को हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इसलिए हर साल ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। विशेषकर उत्तराखंड में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यहीं से मां गंगा की यात्रा आरंभ होती है।
#WATCH हरिद्वार (उत्तराखंड): गंगा दशहरा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने ‘हर की पौड़ी’ पर स्नान किया। pic.twitter.com/rAbeheNEiL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 5, 2025
हर की पौड़ी बना श्रद्धा का केंद्र
हर की पौड़ी घाट पर सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। गंगा दशहरा के दिन स्नान को मोक्षदायी माना जाता है। श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित किया। साथ ही फूल, दीप और गंगाजल चढ़ाकर मां गंगा से आशीर्वाद मांगा। घाट पर गूंजते मंत्रों और शंखध्वनि ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
स्नान के बाद लोगों ने मंदिरों में पूजा-अर्चना की। पंडितों द्वारा विशेष दशहरा पूजन संपन्न कराया गया। जगह-जगह भंडारों का आयोजन किया गया, जहां यात्रियों को प्रसाद वितरित हुआ।
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सुरक्षा और व्यवस्थाओं की परीक्षा भी पास
हरिद्वार जिला प्रशासन और उत्तराखंड पुलिस ने गंगा दशहरा के अवसर पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए थे। घाटों पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात थीं। ड्रोन कैमरों से निगरानी की गई और हर की पौड़ी पर विशेष बैरिकेडिंग की गई थी।
ट्रैफिक व्यवस्था को भी नियंत्रित करने के लिए रूट डायवर्जन किया गया। पार्किंग के लिए अतिरिक्त स्थान चिन्हित किए गए थे। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मोबाइल मेडिकल यूनिट्स और एम्बुलेंस सेवा मुहैया कराई गई थी।
बाजारों में भी दिखी रौनक
गंगा दशहरा के मौके पर हरिद्वार के बाजारों में विशेष सजावट की गई थी। पूजा सामग्री, गंगाजल, दीप, फूल और धार्मिक पुस्तकों की दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिली। स्थानीय व्यापारियों को इस दिन अच्छा लाभ हुआ।
इसके अलावा घाटों के पास हस्तशिल्प और उत्तराखंडी लोककला की दुकानें भी सजी थीं। पर्यटकों ने इनसे स्मृति चिह्न खरीदे और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी लिया।
आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा माहौल
हरिद्वार में इस दिन का अनुभव सिर्फ स्नान और पूजा तक सीमित नहीं था, बल्कि एक संपूर्ण आध्यात्मिक यात्रा जैसा था। गंगा आरती के समय हर की पौड़ी का दृश्य अत्यंत दिव्य और मनमोहक था। दीपों की कतारें, गूंजती आरती और श्रद्धालुओं के चेहरे पर शांति की मुस्कान—इन सबने इस पर्व को अविस्मरणीय बना दिया।
गंगा दशहरा के अवसर पर आए श्रद्धालुओं ने बताया कि इस बार का आयोजन बेहद सुव्यवस्थित और भावनात्मक रूप से जोड़ने वाला रहा।
क्या है गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व?
गंगा दशहरा को गंगा के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा पृथ्वी पर उतरी थीं। यह पर्व दस पापों के नाश का प्रतीक है, इसलिए इसे दशहरा कहा गया। इस दिन गंगा स्नान करने से मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शुद्धि मिलती है।
क्या आपने कभी गंगा दशहरा पर हरिद्वार का अनुभव किया है? आपको सबसे ज्यादा आध्यात्मिक ऊर्जा किस स्थान से मिली? कमेंट करें और अपनी राय साझा करें।
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