मथुरा, आईएएनएस। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वृंदावन में शनिवार को सीवर सफाई कर रहे दो युवकों की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना केशव धाम पुलिस चौकी के निकट स्थित एक पेट्रोल पंप के पास गेस्टहाउस के सीवर की सफाई के दौरान हुई।दोनों श्रमिक सीवर चैंबर में जहरीली गैस के कारण बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिजनों का अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा
इस घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और ठेकेदार पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया। घटना के बाद से ठेकेदार फरार है, जिसकी तलाश में पुलिस जुट गई है। जानकारी के अनुसार, छोटेलाल (35) पुत्र रोशन लाल, निवासी सहपउ और नरेंद्र (45) पुत्र रामपाल, निवासी खुशीपुरा राल मथुरा, गेस्टहाउस के सीवर की सफाई करने के लिए चैंबर में उतरे थे।
बेहोश होने पर चैंबर से बाहर निकाला
बताया जा रहा है कि सीवर में बनी जहरीली गैस के कारण दोनों अचानक बेहोश हो गए। वहां मौजूद अन्य लोगों ने तुरंत उन्हें चैंबर से बाहर निकाला और पुलिस की मदद से जिला संयुक्त चिकित्सालय पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उपचार के दौरान दोनों को मृत घोषित कर दिया। दोनों युवकों की मौत की खबर मिलते ही उनके परिजन अस्पताल पहुंच गए। इस घटना से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में काफी देर तक हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि ठेकेदार ने सीवर सफाई जैसे खतरनाक कार्य के लिए श्रमिकों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण और उचित प्रशिक्षण के भेजा, जिसके कारण यह दर्दनाक हादसा हुआ।
ठेकेदार की जांच
सूचना पाकर मौके पर पहुंचे अपर नगर आयुक्त चंद्र प्रकाश पाठक और सीओ सदर संदीप सिंह ने परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया। अधिकारियों के आश्वासन के बाद ही दोनों मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका। अधिकारी ने बताया कि सीवर सफाई का कार्य करवाने वाले ठेकेदार की जांच की जा रही है, जो घटना के बाद से फरार है। पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है और ठेकेदार के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज करने की तैयारी में है।
अप्रैल मई में 34 मौतें
सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान जहरीली गैसों के कारण कई लोगों की मौत हुई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2023 तक 377 लोगों की जान गई, और 2024-2025 में भी मौतों का सिलसिला जारी रहा। अप्रैल-मई 2025 में ही 34 मौतें दर्ज की गईं। अनुमानित तौर पर, दो वर्षों में 100 से अधिक मौतें हुईं। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा मामले सामने आए।
कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन खतरनाक गैसें
सीवर में हाइड्रोजन सल्फाइड (H₂S), मीथेन (CH₄), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), और अमोनिया (NH₃) जैसी जहरीली गैसें जानलेवा हैं। हाइड्रोजन सल्फाइड विशेष रूप से खतरनाक है, जो सांस लेने में दिक्कत और बेहोशी का कारण बनती है। मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड ऑक्सीजन की कमी पैदा करते हैं, जिससे दम घुटने से मौत हो सकती है। इन गैसों का खतरा तब बढ़ जाता है जब सफाई कर्मचारियों को बिना सुरक्षा उपकरणों (जैसे ऑक्सीजन मास्क, सेंसर) के सीवर में उतारा जाता है। मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध के बावजूद, लापरवाही और मशीनों की कमी के कारण यह समस्या बनी हुई है।