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महाराष्ट्र में जबरन हिंदी थोपने की कोशिश किसी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे: Raj Thackeray

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य किए जाने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इसे “हिंदी जबरन थोपने की कोशिश” बताया।

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Ranjana Sharma
Vikram (7)
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मुंबई, आईएएनएस: महाराष्ट्र में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य करने के फैसले पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि राज्य में जबरन हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा। हम हिंदू हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम हिंदी (भाषी) भी हैं। महाराष्ट्र की स्मिता मराठी भाषा से जुड़ी है और मराठी को सम्मान मिलना चाहिए।
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हिंदी भाषा को बलपूर्वक थोपा गया

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने बुधवार को हिंदी भाषा को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने आशंका जताई कि आने वाले चुनावों में मराठी और हिंदी भाषा का मुद्दा राजनीतिक रूप से गरमा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में "बांटो और राज करो" जैसी स्थिति पैदा की जा रही है और हिंदी जबरन थोपी जा रही है। मनसे प्रमुख ने चेतावनी दी कि अगर हिंदी भाषा को बलपूर्वक थोपा गया तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अपने अंदाज में जवाब देगी। उन्होंने लोगों से अपील की, "अगर मराठी से प्रेम है तो हिंदी थोपने का विरोध करें। यह सरकार को मेरा तीसरा पत्र है। हमने पहले भी लिखा था कि शिक्षा विभाग में मराठी और अंग्रेजी के बाद हिंदी सिर्फ विकल्प होनी चाहिए, अनिवार्य नहीं। मराठी भाषी छात्रों को इससे नुकसान हो रहा है।

अन्‍य राज्‍यों में कोई और भाषा नहीं स‍िखाई जाती

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राज ठाकरे ने सवाल उठाया कि जब उत्तर प्रदेश, बिहार या मध्य प्रदेश में कोई तीसरी भाषा नहीं सिखाई जाती है तो महाराष्ट्र पर ही हिंदी क्यों थोपी जा रही है? अगर गुजरात में हिंदी नहीं सिखाई जाती तो महाराष्ट्र में क्यों? उन्होंने कहा, "मनसे की ओर से स्कूलों को पत्र भेजा जाएगा और यह देखा जाएगा कि कौन-कौन से स्कूल जबरन हिंदी पढ़ा रहे हैं। मनसे प्रमुख ने राजनीतिक दलों से भी अपील की कि "मराठी भाषा के सम्मान" के लिए एकजुट होकर इस विषय पर सरकार से सवाल पूछें।
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