नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में झण्डे गाडने की तैयारी कर रहा है। इसरो के स्पेडेक्स मिशन के तरह दो सैटेलाइट को डॉकिंग तकनीक के जरिए जोडने का सफल ट्रायल पूरा हो चुका है। सैटेलाइट एक दूसरे के बेहद करीब पहुंचने के बाद फिर से दूर हो गए। स्पैडेक्स मिशन के तरह दो उपग्रहों को पहले 15 मीटर फिर तीन मीटर करीब लाया गया।
स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट ( स्पेडेक्स ) मिशन में बहुत ही जटिल तकनीक का प्रयोग किया है। इसरो ने एक सैटेलाइट को दूसरे सैटेलाइट से मिलने की घटना को ‘ रोमांचक हाथ मिलाना ‘ नाम दिया है। इसरो ने जब बताया कि उनकी स्थिति का मूल्यांकन किया जा रहा है तब सैटेलाइट एस 01 चेजर और एसडीएक्स 02 टारगेट एक दूसरे से महज 230 मीटर की दूरे पर थे।
इस तरह हुई डॉकिंग की प्रोसेस
इसरो ने बताया कि डॉकिंग की घटना से पहले दोनों सैटेलाइट को 15 मीटर की दूरी पर होल्डिंग पोजीशन पर रखा गया था। फिर दोनों सैटेलाइट ने एक दूसरे के वीडियो और फोटो जारी किए। लगभग तीन बजे के समय सैटेलाइट एक दूसरे से करीब 230 मीटर की दूरी पर ही थे फिर उनको 105 मीटर की दूरी पर लाया गया। लगभग दो घंटे बाद इसरो ने बताया कि वे अब सिर्फ 15 मीटर की ही दूरी हैं फिर उनको और नजदीक 3 मीटर की दूरी पर लाया गया।
क्या होती है डॉकिंग प्रोसेस
डॉकिंग अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत ही जटिल प्रिक्रिया है। इस तकनीक के माध्यम से दो सैटेलाइट या दो अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़ा जाता है। इस प्रोसेस के माध्यम से सैटेलाइट एक – दूसरे के साथ अपना डाटा साझा कर सकते हैं, इसके साथ – साथ इंसानों को भी एक यान से दूसरे यान में जाने में आसानी होगी। अगर भारत इस तकनीक में सफल हो जाता है तो पूरी दुनिया में डॉकिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।