नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
नदियों, झीलों और वेटलैंड क्षेत्र का लगातार दोहन होता जा रहा है जिससे इसमें रहने वाले जीव जन्तुओं के लिए जीवन का संकट पैदा हो गया है। ताजा पानी के इन स्त्रोतों में जैव विविधता ( Biodiversity) पाई जाती है, जो किसी देश के आर्थिक विकास और आजीविका के लिए बहुत ही जरूरी है लेकिन इन पर गंभीर खतरा मंड़राता जा रहा है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। पृथ्वी और महासागरों पर रहने वाले जीवों के साथ- साथ ताजे पानी में रहने वाले जीवों पर भी विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है।
इन जीवों को है गंभीर खतरा
शोधकर्ताओं ने जीवों के अस्तित्व के खतरे पर चिंता व्यक्त करते हुए एक रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में बताया गया कि ताजे पानी में रहने वाली मछलियों, ड्रैगनफ्लाई और डैमसेल्फलाई जैसे जीवों को अधिक खतरा है। वैज्ञानिकों ने विलुप्त हुए जीवों की सूची जारी की। रिपोर्ट में जैव विविधता वाले क्षेत्रों की सुरक्षा पर भी बल दिया गया। ताजे पानी में रहने वाले जीवों पर संकट पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। 1970 से 2015 तक 35 फीसदी वेटलैंड एरिया नष्ट हो चुकी हैं और शेष 65 फीसदी खतरे में हैं। वेटलैंड एरिया खत्म होने की दर वनों के नष्ट होने की दर से तीन गुना ज्यादा है। पृथ्वी पर नदियों, झीलों और वेटलैंड एरिया का दायरा लगातार सिमट रहा है। जिन नदियों की लम्बाई 1000 किलामीटर से ज्यादा है, उनमें से 37 फीसदी अपने पूरे क्षेत्र में ठीक से प्रवाहित नहीं हो रही है। कुल जीवों के 10 फीसदी जीव- जन्तु इनमें पाये जाते हैं।
क्या है वेटलैंड्स
दलदल वाली भूमि या जहां पानी भरा रहता है, ऐसा क्षेत्र वेटलैंड के अंतर्गत आता है। इससे धरती का वाटर लेवल भी संतुलित रहता है। पोखर, तालाब इससे अंतर्गत आते हैं।
पानी के इन स्त्रोतों के दोहन का कारण
अत्याधिक विकास साथ में विनाश भी लेकर आता है। लगातार बढ़ता शहरीकरण, जल प्रदूषण, अपशिष्ट पदार्थ इनको नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत में 1970 से अब तक एक तिहाई से ज्यादा वेटलैंड्स एरिया का अस्तित्व खत्म हो चुका है।