गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने की चेतावनी दी है, तो जरूरी है कि तापमान के टॉर्चर को झेलने के लिए हम अपने आप को तैयार करें, अपने एसी की सर्विस करा लें ताकि वह बेहतर एफिसिएंसी के साथ काम कर सके। इस बीच यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया वर्कले के इंडिया एनर्जी एंड क्लाईमेट सेंटर (आईईसीसी) का एक चौंकाने वाला अध्ययन सामने आया है। इस स्टडी के तथ्य बताते हैं कि भारत के एसी कम दक्षता पर काम करते हैं, इससे हर साल करीब 2.2 लाख करोड़ रुपये की बिजली ज्यादा खर्च होती है।
जेब के अलावा देश की उर्जा शक्ति का भी नुकसान
हमारे एसी कम ऊर्जा दक्षता पर काम करते हैं इससे हमारी जेब पर तो अतिरिक्त भारत पड़ता ही है, देश की ऊर्जा का भी नुकसान होता है और इस परिणाम भी हमें पावर कट और ब्लैक आउट के रूप में झेलना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि एसी समेत हमारे तमाम उपकरण बेहतर ऊर्जा दक्षता पर काम करने वाले हों।
10 वर्षो में 15 करोड़ तक पहुंच जाएगी सेल
आईईसीसी द्वारा कराई गई स्टडी में यह भी बताया गया है कि भारत में हर साल एक से डेढ़ करोड़ एसी खरीदे जाते हैं। आने वाले वर्षों में इनकी संख्या गुणात्मक रूप से बढ़ने के आसार हैं। स्टडी के बाद आईईसीसी का अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में भारत में हर साल 13 से 15 करोड़ नए एसी खरीदे जाएंगे।
केवल एसी खर्च करेंगे इतनी बिजली
आईईसीसी के अध्ययन में यह भी पता चला है कि भारत में अगले 10 वर्षों में केवल एसी में ही देश की कुल बिजली का 30 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने लगेगा। स्टडी में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक 2030 तक भारत में केवल एसी 120 गीगा वॉट बिजली खर्च करने लगेंगे और उसके अगले पांच वर्षों में 2035 तक बिजली की खपत बढ़कर 130 गीगा वॉट होने की उम्मीद है।
एक स्टार वाले एसी में 5 स्टार दक्षता की जरूरत
आईईसीसी के अध्ययन में यह भी कहा गया है कि भारत में चल रहे एक स्टार रेटिंग वाले एसी में 5 स्टार रेटिंग वाले एसी की ऊर्जा दक्षता शामिल करने की जरूरत है। स्टडी में कहा गया है कि सही नीतिगत फैसले लिए जाएं तो ऊर्जा दक्षता बढ़ाने से एसी की कीमतें भी नहीं बढ़ेंगी। यानी वर्तमान दामों पर भी ऊर्जा दक्षता वाले एसी तैयार किए जा सकते हैं।
कॉस्टल एरिया के लिए विशेष एसी की जरूरत
आईईसीसी ने अपनी स्टडी के आधार पर कॉस्टल एरिया में विशेष एसी की जरूरत पर जोर दिया है। दरअसल कॉस्टल एरिया में हवा में नमी ज्यादा होती है, इसलिए यहां ऐसे एसी इस्तेमाल करने की जरूरत है तो अधिक नमी में अधिक ऊर्जा दक्षता के साथ काम कर सकें। आईईसीसी का मानना है कि कॉस्टल एरिया के विशेष तौर पर एसी तैयार किए जाएं।