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क्यों चर्चा में हैं Top 10 AI Countries : आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस में कहां है INDIA?

2025 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि एक वैश्विक क्रांति बन चुका है। स्टैनफोर्ड और ग्लोबल एआई इंडेक्स जैसी रिपोर्ट्स बताती हैं कि एआई मॉडल इंसानों जैसी समझ हासिल कर चुके हैं। भारत का AI स्टार्टअप कैसे दे रहा चुनौती?

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Ajit Kumar Pandey
क्यों चर्चा में हैं Top 10 AI Countries : आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस में कहां है INDIA? | यंग भारत न्यूज

क्यों चर्चा में हैं Top 10 AI Countries : आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस में कहां है INDIA? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।कल्पना कीजिए, एक ऐसी दुनिया जहां आपका फोन आपकी सेहत का डॉक्टर बने, खेतों में रोबोट फसलें काटें और ट्रैफिक जाम खुद-ब-खुद सुलझ जाएं। ये कोई साइंस फिक्शन नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की हकीकत है। 2025 में एआई ने दुनिया को हिला दिया है। 

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट कहती है कि एआई मॉडल्स अब इंसानों जितने स्मार्ट हो चुके हैं। लेकिन सवाल ये है – इस रेस में भारत कहां खड़ा है? क्या हम टॉप देशों के कंधों पर चढ़ सकते हैं या पीछे रह जाएंगे? 

इस एक्सप्लेनर में हम एआई के भारत में भविष्य को आसानी से समझेंगे। हम देखेंगे कि टॉप 10 देश कैसे आगे हैं, भारत की पोजिशन क्या है, और ये सब कैसे हमारी जिंदगी, नौकरियां और इकोनॉमी को कैसे बदलेगा। 

एआई क्या है और क्यों ये इतना बड़ा डील है? 

एआई मतलब मशीनों को इंसानों जैसी सोचने की ताकत देना। जैसे चैटजीपीटी जो आपकी बातें समझकर जवाब देता है, या गूगल मैप्स जो ट्रैफिक देखकर रास्ता बताता है। 2025 में एआई का मार्केट 500 बिलियन डॉलर का हो चुका है। 

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स्टैनफोर्ड की एआई इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक, एआई इन्वेस्टमेंट 2024 में 50 प्रतिशत बढ़ा। लेकिन ये सिर्फ टेक नहीं, ये रोजगार, हेल्थ और एजुकेशन बदल रहा है। भारत 1.4 अरब लोगों का देश है। जहां स्मार्टफोन हर हाथ में है। 

एआई यहां किसानों को मौसम की भविष्यवाणी दे सकता है, डॉक्टरों को बीमारियों का जल्दी पता चला सकता है। लेकिन चुनौतियां भी हैं – डेटा की कमी, स्किल गैप और प्राइवेसी इश्यूज। फिर भी, भारत का एआई स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। 

दुनिया की एआई रेस: टॉप 10 देशों की क्रमवार लिस्ट, एआई में कौन लीडर है? 

हमने ग्लोबल एआई इंडेक्स (टॉर्टॉइज मीडिया), स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स और सेल्सफोर्स रीडिनेस इंडेक्स जैसे सोर्सेज से डेटा लिया। ये 2025 के लेटेस्ट अपडेट्स पर बेस्ड हैं। ध्यान दें, रैंकिंग मेट्रिक्स पर डिपेंड करती है – जैसे इन्वेस्टमेंट, पेटेंट्स, टैलेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर। यहां टॉप 10 देशों की लिस्ट है, स्कोर्स के साथ (100 में से)।

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रैंक देश ओवरऑल स्कोरमुख्य स्ट्रेंथ
1अमेरिका95 टॉप एआई मॉडल्स (40 प्रतिशत ग्लोबल)इन्वेस्टमेंट (200B+ डॉलर) 
2चीन85 पेटेंट्स (70 प्रतिशत वर्ल्ड)  क्लस्टर्स (230 डॉलर)
3यूनाइटेड किंगडम 78 रिसर्च और टैलेंट एआई सेफ्टी फोकस
4सिंगापुर 75 गवर्नमेंट पॉलिसी  हाई एडॉप्शन रेट
5कनाडा 72 एआई रिसर्च हब्स (टोरंटो) ओपन सोर्स कंट्रीब्यूशन
6जर्मनी 70 इंडस्ट्री इंटीग्रेशन ऑटो, मैन्युफैक्चरिंग
7भारत 65 स्टार्टअप्स (5000+)  डिजिटल इंडिया पुश
8साउथ कोरिया63 रोबोटिक्स  5G इंटीग्रेशन
9इजराइल 62 इनोवेशन हब  डिफेंस एआई
10फ्रांस 60 यूरोपियन एआई एक्ट रिसर्च फंडिंग


ये रैंकिंग टॉर्टॉइज ग्लोबल एआई इंडेक्स 2024-25 और स्टैनफोर्ड 2025 पर बेस्ड है। अमेरिका लीड करता है क्योंकि ओपनएआई, गूगल जैसे जायंट्स यहां हैं। 

चीन पेटेंट्स में आगे, लेकिन क्वालिटी में अमेरिका से पीछे। भारत 7वें स्पॉट पर है – एंगेजमेंट इंडेक्स में तो हम तीसरे नंबर पर हैं, क्योंकि यहां एआई यूजर्स की तादाद 57 प्रतिशत है। 

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क्यों चर्चा में हैं Top 10 AI Countries : आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस में कहां है INDIA? | यंग भारत न्यूज
क्यों चर्चा में हैं Top 10 AI Countries : आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस में कहां है INDIA? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

भारत एआई रेस में कहां? 

हमारी स्ट्रेंथ और स्ट्रगल भारत का एआई सफर दिलचस्प है। 2025 में हम टॉप 7 में हैं, लेकिन पोटेंशियल टॉप 3 का है। 

क्यों? देखिए हमारी ताकत 

डिजिटल आर्मी और स्टार्टअप बूम भारत में 800 मिलियन इंटरनेट यूजर्स हैं। आधार, यूपीआई जैसे सिस्टम्स पहले से डेटा रिच हैं। नेशनल एआई स्ट्रैटेजी 2018 से हम 'एआई फॉर ऑल' पर फोकस कर रहे हैं। 

2025 तक 10,000 एआई स्टार्टअप्स हो चुके हैं – ओला, फ्लिपकार्ट, पेटीएम सब एआई यूज कर रहे। उदाहरण: कृषि में क्रॉपइन ऐप किसानों को 30 प्रतिशत ज्यादा पैदावार देता है। हेल्थ में, नियोलाइफ जैसे स्टार्टअप्स कैंसर डिटेक्ट करते हैं। 

इकोनॉमिक इम्पैक्ट: मैकिंसे रिपोर्ट कहती है, एआई से भारत की जीडीपी 2035 तक 1 ट्रिलियन डॉलर बढ़ सकती है। 

नौकरियां: 2025 में 2 मिलियन एआई जॉब्स क्रिएट होंगी, लेकिन स्किल्ड वर्कर्स की जरूरत। 

चुनौतियां: डेटा, स्किल्स और इथिक्स 

लेकिन रुकिए, सब गुलाबी नहीं। भारत में डेटा प्राइवेसी लॉ कमजोर है – डेटा प्रोटेक्शन बिल 2025 में पास हुआ, लेकिन इंप्लीमेंटेशन स्लो। 

टैलेंट गैप बड़ा: आईआईटी जैसे इंस्टीट्यूट्स से 10,000 ग्रेजुएट्स निकलते हैं, लेकिन ग्लोबल डिमांड 1 मिलियन की है। ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट स्पीड लो, तो एडॉप्शन स्लो। 

एक रियल स्टोरी: मुंबई की एक कंपनी ने एआई चैटबॉट बनाया, लेकिन लोकल लैंग्वेज डेटा की कमी से हिंदी में गड़बड़ियां आईं। 

सॉल्यूशन: गवर्नमेंट का इंडिक एआई मिशन, जो 10 भाषाओं में ट्रेनिंग डेटा बना रहा है। भारत की पोजिशन टॉप 10 में मजबूत है, लेकिन टॉप 5 में आने के लिए इंफ्रा और पॉलिसी पर काम चाहिए। 

एआई के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: अच्छा-बुरा दोनों एआई सिर्फ टेक नहीं, ये सोसाइटी चेंज कर रहा। आइए ब्रेकडाउन करें। 

आर्थिक बूस्ट: जॉब्स क्रिएट और डिस्ट्रॉय 

पॉजिटिव साइड: एआई से मैन्युफैक्चरिंग में 20 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी। भारत में, टेक्सटाइल इंडस्ट्री में एआई क्वालिटी चेक करता है, जिससे एक्सपोर्ट बढ़ा है। 

साल 2025 में एआई से 69 मिलियन नई जॉब्स ग्लोबली, भारत को 20 प्रतिशत शेयर। 

नेगेटिव: ऑटोमेशन से 8.5 प्रतिशत जॉब्स खतरे में – जैसे ड्राइवर्स, डेटा एंट्री। लेकिन नई जॉब्स जैसे एआई एथिसिस्ट, डेटा साइंटिस्ट आएंगी। 

सॉल्यूशन: री-स्किलिंग प्रोग्राम्स, जैसे स्किल इंडिया का एआई मॉड्यूल। 

सामाजिक चेंज: हेल्थ, एजुकेशन और इक्वालिटी हेल्थ में।

क्रांति: एआई से कोविड जैसी महामारी में डायग्नोसिस 40 प्रतिशत फास्ट। भारत में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर हेल्थकेयर मिशन से ग्रामीण एरिया में टेलीमेडिसिन बूस्ट। 

एजुकेशन: बायजू जैसे ऐप्स पर्सनलाइज्ड लर्निंग देते, ड्रॉपआउट रेट 15 प्रतिशत कम। 

इश्यूज: बायस। अगर ट्रेनिंग डेटा में जेंडर बायस हो, तो एआई महिलाओं को कम सैलरी जॉब्स सजेस्ट करेगा। भारत में, 2025 के एआई एथिक्स गाइडलाइंस ये फिक्स करने की कोशिश कर रहे। 

पर्यावरण: एआई डेटा सेंटर्स बिजली खाते, लेकिन ग्रीन एआई से कार्बन फुटप्रिंट कम हो सकता। 

एक दिलचस्प फैक्ट: 2025 में इंडोनेशिया जैसे देशों में 80 प्रतिशत लोग एआई को बेनिफिशियल मानते हैं, भारत में 70 प्रतिशत। लेकिन, यूएस में सिर्फ 50 प्रतिशत – फियर ऑफ जॉब लॉस। 

क्यों चर्चा में हैं Top 10 AI Countries : आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस में कहां है INDIA? | यंग भारत न्यूज
क्यों चर्चा में हैं Top 10 AI Countries : आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस में कहां है INDIA? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

भारत का भविष्य: अवसर और रोडमैप तो, भारत एआई सुपरपावर बनेगा? 

हां, अगर स्मार्ट मूव्स करें। 

गवर्नमेंट का प्लान: 2025-30 में 10 डॉलर बिलियन इन्वेस्टमेंट। नेशनल सेंटर फॉर एआई, जहां रिसर्चर्स वर्ल्ड क्लास मॉडल्स बनाएंगे। 

प्राइवेट सेक्टर: रिलायंस, टीसीएस जैसे जायंट्स 1 बिलियन डॉलर फंड लगा चुके। 

अवसर: एग्रीकल्चर में 60 प्रतिशत पॉपुलेशन डिपेंडेंट, एआई से वाटर मैनेजमेंट बेहतर। 

स्मार्ट सिटीज: बेंगलुरु में एआई ट्रैफिक लाइट्स से जाम 25 प्रतिशत कम। 

ग्लोबल एक्सपोर्ट: भारतीय एआई टैलेंट अमेरिका जाता, लेकिन अब रिवर्स ब्रेन ड्रेन – गूगल, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया हब्स खोल रहे। 

रोडमैप क्या है स्किलिंग: 1 करोड़ यूथ को एआई ट्रेनिंग। 

इंफ्रा: 5जी और क्लाउड कंप्यूटिंग बूस्ट। 

पॉलिसी: डेटा शेयरिंग लॉज। 

इनोवेशन: स्टार्टअप फंडिंग डबल। चुनौतियां हैं, लेकिन हिस्ट्री बताती है – भारत ने आईटी रेवोल्यूशन में दुनिया हिला दी। एआई में भी वही जादू हो सकता। 

एआई – दोस्त या दुश्मन? 

साल 2025 में एआई रेस तेज है। अमेरिका-चीन आगे, लेकिन भारत जैसे उभरते देश गेम चेंजर हैं। हमारी 7वीं रैंक इंस्पायरिंग है – स्टार्टअप्स, यूथ और डिजिटल बेस से हम टॉप 5 हिट कर सकते। लेकिन याद रखें, एआई टूल है, इंसान ड्राइवर नहीं। जिम्मेदारी से यूज करें, तो ये समृद्धि लाएगा। 

एआई में भारत के भविष्य पर एक्सपर्ट्स ने बताया

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जगप्रीत सिंह नैय्यर, गुरुग्राम Photograph: (YBN)

"भारत एआई अनुसंधान और नवाचार का एक नया केंद्र बनता जा रहा है। सरकार की पहल, जैसे 'राष्ट्रीय एआई रणनीति', और निजी क्षेत्र का बढ़ता निवेश मिलकर एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर रहे हैं। आने वाले समय में भारतीय स्टार्टअप्स वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेंगे। हमें न केवल तकनीकी विकास पर, बल्कि नैतिकता, डेटा सुरक्षा और स्थानीय समस्याओं को हल करने पर भी ध्यान देना होगा। यदि सही दिशा और सहयोग मिला, तो भारत अगले दशक में एआई के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल होकर विश्व को समाधान देने वाला देश बन सकता है।"  -जगप्रीत सिंह नैय्यर, एआई एक्सपर्ट (गुरुग्राम)

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राज कमल पाण्डेय, मुंबई Photograph: (YBN)

"एआई का सबसे बड़ा प्रभाव भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्त जैसे क्षेत्रों में दिखेगा। एआई डॉक्टरों को तेज़ और सटीक निदान में मदद करेगा, शिक्षा को व्यक्तिगत बनाएगा और बैंकिंग सेवाओं को हर व्यक्ति तक पहुंचाएगा। भारत की ताकत इसका विविध और विशाल डेटा है, जो हमें नए समाधान विकसित करने में अनोखा लाभ देता है। परंतु हमें डेटा प्राइवेसी, साइबर सुरक्षा और कौशल विकास जैसे पहलुओं पर गंभीरता से काम करना होगा। आने वाले वर्षों में भारत अपनी नवाचार क्षमता और जनसंख्या लाभांश के साथ एआई क्षेत्र में नेतृत्व कर सकता है।"  -राज कमल पाण्डेय, एआई एक्सपर्ट (मुंबई)

"भारत की युवा पीढ़ी तेजी से एआई और मशीन लर्निंग जैसी नई तकनीकों को सीख रही है। विश्वविद्यालयों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर एआई शिक्षा की पहुंच बढ़ने से विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर का ज्ञान और अवसर मिल रहे हैं। यदि उद्योग और अकादमिक जगत में बेहतर साझेदारी हो, तो शोध और वास्तविक अनुप्रयोगों के बीच की खाई पाटी जा सकती है। एआई का उपयोग कृषि, जल प्रबंधन और स्मार्ट सिटी जैसी भारतीय चुनौतियों में भी होगा। मुझे विश्वास है कि भारत केवल उपभोक्ता नहीं रहेगा, बल्कि एआई के क्षेत्र में निर्माण और नेतृत्व करने वाला देश बनेगा।"  -ऋतु रानी सिंघल, एआई छात्रा (पुणे)

क्या आप एआई से डरते हैं या एक्साइटेड? कमेंट्स में बताएं। यह एक्सप्लेनर आपको जानकारी वाला लगे तो शेयर जरूर करें। ज्यादा जानने के लिए, स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स चेक करें।

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