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GST-Customs cases में Fir न होने पर भी अग्रिम जमानत मांग सकता है व्यक्ति

Superem Court ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अग्रिम जमानत का प्रावधान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम और सीमा शुल्क कानून पर लागू होता है और व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर भी गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए अदालतों का रुख कर सकता है। 

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Mukesh Pandit
सर्वोच्च न्यायालय
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

Superem Court ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अग्रिम जमानत का प्रावधान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम और सीमा शुल्क कानून पर लागू होता है और व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर भी गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए अदालतों का रुख कर सकता है। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने सीमा शुल्क अधिनियम, जीएसटी अधिनियम में दंड प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछले साल 16 मई को फैसला सुरक्षित रखा था। 

जीएसटी मामलों में भी जमानत मांगने का हक

याचिकाओं में कहा गया है कि ये प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और संविधान के अनुरूप नहीं हैं। प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दंड प्रक्रिया सहिंता (सीआरपीसी) और उसके बाद बने कानून-भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के प्रावधान अग्रिम जमानत जैसे मुद्दों पर सीमा शुल्क और जीएसटी अधिनियमों के तहत भी आरोपी पर लागू होंगे। अदालत ने कहा कि जीएसटी और सीमा शुल्क अधिनियमों के तहत संभावित गिरफ्तारी का सामना करने वाले व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज होने से पहले भी अग्रिम जमानत का अनुरोध करने के हकदार हैं। विस्तृत फैसले का इंतजार है। इस मामले में मुख्य याचिका राधिका अग्रवाल ने 2018 में दायर की थी।

भोपाल गैस त्रासदी: हाई कोर्ट  के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार

उच्चतम न्यायालय ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले अपशिष्ट को मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में स्थानांतरित कर उसका निपटान करने के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने ‘यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड’ के संयंत्र से निकले अपशिष्ट के निपटान के बृहस्पतिवार को होने वाले परीक्षण पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई), राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के विशेषज्ञों ने मुद्दों पर अपने विचार दिए हैं, जिन पर उच्च न्यायालय के साथ-साथ विशेषज्ञ पैनल ने भी गौर किया है। 

उच्च न्यायालय में जाने की सलाह

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शीर्ष अदालत ने कचरे के निपटान का विरोध करने वाली नागरिक संस्थाओं के सदस्यों सहित पीड़ित पक्षों से इस मामले पर सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के पास जाने को कहा। उच्चतम न्यायालय ने 25 फरवरी को प्राधिकारियों से कहा था कि वे उसे मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के खतरनाक अपशिष्ट के निपटान के संबंध में बरती गई सावधानियों के बारे में अवगत कराएं। अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के लगभग 377 टन खतरनाक कचरे को भोपाल से 250 किलोमीटर और इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक संयंत्र में निपटान के लिए ले जाया गया था। यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से दो-तीन दिसंबर, 1984 की रात को अत्यधिक जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ (एमआईसी) का रिसाव हुआ था, जिसके कारण 5,479 लोग मारे गए थे और पांच लाख से अधिक लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। 

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