/young-bharat-news/media/media_files/2025/05/07/M3YoqZ8mWdXzI4UHGMyD.jpg)
Photograph: (YBN)
वह शख्स जो आतंकियों का आका है। वह शख्स, जिसने न जानें भारत समेत कितने देशों में कितने आतंकी हमलों की साजिशें रची और हजारों लोगों की मौत का कारण बना । वह घिनौना शख्स जो आतंकियों का सरपरस्त है । वह शख्स जिसे पाकिस्तान सरकार वीवीआईपी के तौर पर देखती है और उसकी हिफाजत के लिए उसने पूरी व्यवस्था भी की हुई है । उस आतंक के आका का परिवार कल देर रात बहावलपुर में भारतीय सेना की एयर स्ट्राइक में मारा गया । खबर है कि उसके करीब 10 परिजन भारतीय सेना के संयुक्त ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए हैं। अब अपने परिजनों की मौत पर आतंकियों का यह सरपरस्त बिलख रहा है । रोते रोते- मसूद कह रहा है कि काश, इस हमले में मैं भी मर जाता । अब मोदी किसी को नहीं छोड़ेगा। उसने सारे नियम तोड़ दिए हैं।
मसूद के ठिकाने की थी खुफिया जानकारी
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से भारतीय खुफिया एजेंसियां , पाकिस्तान में आतंक के आकाओं के ठिकानों का सटीक पता लगाने में जुटी थीं। इस दौरान उन्हें जैश ए मौहम्मद के सरगना मसूद अजहर और उसके परिजनों के ठिकाने की पुष्ट सूचना मिली । जानकारी मिली कि मसूद अजहर अपने परिजनों के साथ जहां रहता है , वही जैश का मुख्यालय भी है। बस इस जानकारी की पुष्टि होने के बाद मंगलवार देर रात भारतीय सेनाओं ने एक संयुक्त अभियान ''ऑपरेशन सिंदूर'' को चलाते हुए बहावलपुर में मसूद के ठिकाने को निशाना बनाया । Operation Sindoor | india operation sindoor live | india operation sindoor | operation sindoor india | operation sindoor air strike
बिलखता मसूद बोल रहा- मैं भी मर जाता तो अच्छा होता
भारतीय सेना के इस ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपनों को खोने वाला मसूद अजहर बिलखते हुए बोला - अच्छा होता कि मैं भी इस हमले में मारा जाता । अब मोदी किसी को नहीं छोड़ेगा । उसने सब नियम तोड़ दिए हैं। जैश ए मोहम्मद के एक बयान में कह गया है कि इस हमले में मौलाना मसूद अजहर की बहन के साथ मौलाना कशफ का पूरा परिवार मारा गया है । इसके साथ ही मुफ्ती अब्दुल रऊफ के परिवार के लोग हमले में घायल हुए हैं।
जान लें मौलाना मसूद अजहर को
बता दें, मौलाना मसूद अजहर प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख है। वर्ष 1968 में जन्में , मसूद को 1994 में भारत में गिरफ्तार किया गया था । उस दौरान वह अफगानिस्तान के एक आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन का सदस्य था । वह मौलवी के तौर पर अपना जीवन गुजार रहा था । भारत की गिरफ्तार में आने के बाद कुछ आतंकियों ने साल 1999 में कंधार प्लेन हाईजैक प्रकरण को अंजाम दिया था । असल में 24 दिसंबर 1999 को कुछ आतंकियों ने 178 यात्रियों को ले जा रही IEC-814 प्लेन को हाईजैक कर लिया था। इसके बदले उन्होंने तीन आतंकियों को छोड़ने की डील की थी जिसमें मसूद अजहर भी शामिल था। रिहाई के बाद मसूद अजहर पाकिस्तान गया और वहां जाकर उसने जैश ए मोहम्मद नाम से अपना आतंकी संगठन बनाया।
जैश ए मोहम्मद की फंडिंग - ट्रेनिंग का गढ़ नेस्तानाबूत
बता दें कि जैश ए मोहम्मद का मुख्यालय , जिस बहावलपुर में बना हुआ था , वह पाकिस्तान का 12वां सबसे बड़ा शहर है । यह शहर लाहौर से करीब 400 किमी दूर है । जैश का मुख्यालय यहां बने जामिया मस्जिद सुभानल्लाह परिसर में स्थित था । इसे उस्मान ओ अली कैंपस भी कहा जाता था । 18 एकड़ में फैले इस कैंपस के भीतर ही मौलाना मसूद अजहर अपने पूरे कुनबे के साथ रहता था । आईएसआई और पाकिस्तान सरकार के कई अफसर मसूद से मिलने इसी ठिकाने पर आते थे । इस कैंप पर ही जैश के लिए भर्ती कैंप लगता था । इतना ही नहीं इस कैंप में फंडिंग और आतंकियों को ट्रेनिंग भी दी जाती थी । जैश का संस्थापक मौलाना मसूद अजहर इसी बहावलपुर का रहने वाला है और उसे पाकिस्तानी फौज का पूरा संरक्षण मिला हुआ था । सेटेलाइट इमेज से सामने आया है कि यहां एक बड़ी मस्जिद के साथ ही , 600 से अधिक छात्रों के लिए मदरसा , घोड़ों के लिए अस्तबल , स्विमिंग पूल , और एक बड़ा जिम भी मौजूद था।
2002 में जैश पर लगा था प्रतिबंध
2002 में जैश पर प्रतिबंध तो लगा, पर सिर्फ कागज पर : असल में, जैश ए मोहम्मद पर आतंकी गतिविधियों की साजिश रचने के बाद जब अंतरराष्ट्रीय दबाव बना तो वर्ष 2002 में जैश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था , लेकिन यह कार्यवाही मात्र कागजों तक सीमित थी । पाकिस्तानी सरकार ने जैश के कैंपों को पूरी तरह से संरक्षण भी दिया हुआ था । खास बात यह है कि बहावलपुर में जहां जैश का मुख्यालय बनाया गया था उसके पास ही पाकिस्तान का एक खुफिया परमाणु ठिकाना भी है । ऐसा इसलिए भी किया गया था ताकि जैश के मुख्यालय को संरक्षण मिलता रहे ।