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बलूच विद्रोह ने बढ़ाई Pakistan की टेंशन, जानें 25 साल से लड़ रही बलूच लिबरेशन आर्मी का क्या है मकसद?

पाकिस्तान के अलगाववादी समूह ने सेना और उसके शिविरों पर हमले अचानक तेज कर दिए हैं। बलूच लिबरेशन आर्मी ने जिस तरह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ गठजोड़ किया है, उससे पाकिस्तान की चुनौती और बढ़ गई है। 

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Mukesh Pandit
बलूच लिबरेशन आर्मी और मुक्ति संघर्ष की गाथा

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। आतंकवाद की पनाहगाह माना जाने वाला पाकिस्तान एक साथ कई मोर्चों पर जूझ रहा है। पहलगाम की कायराना घटना के बाद भारतीय सेना की भीषण और सटीक कारवाई का सामना कर रहे पाकिस्तान पर बलूच लिबरेशन आर्मी ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पाकिस्तान के इस अलगाववादी समूह ने पाकिस्तानी सेना और उसके शिविरों पर हमले अचानक तेज कर दिए हैं। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने जिस तरह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ गठजोड़ किया है, उससे पाकिस्तान की चुनौती और बढ़ गई है।

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गुरुवार को बीएलए ने पाकिस्तानी सेना के काफिले पर हमला किया, जिसमें उनके 14 सैनिक मारे गए। आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलएल क्या है? जिसने पाकिस्तान को बड़ी टेंशन दे दी है। क्या है इसका इतिहास और क्या है इसकी मांगे? आइए जानें बलूच लिबरेशन आर्मी की पूरी दास्तां और क्या है उसका मुक्ति संघर्ष। India Pakistan border | India Pakistan conflict | India Pakistan News | India Pakistan Relations 

बलूच लिबरेशन आर्मी और यूनाइटेड बलूच आर्मी।
बलूच लिबरेशन आर्मी और यूनाइटेड बलूच आर्मी के लड़ाकों की फाइल फोटो

ट्रेन हाईजैक से चर्चा में आया

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पाकिस्तान का उग्रवादी अलगाववादी समूह बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) एक बार फिर ट्रेन हाइजैक करने के बाद चर्चा में आ गया है। बीएलए ने 450 यात्रियों को ले जा रही एक यात्री ट्रेन पर हमला कर दिया था और 100 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया। इसमें कई सुरक्षा अधिकारी भी शामिल हैं। इस ऑपरेशन में 6 सुरक्षाकर्मियों की भी मौत हो गई है। अब बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। साथ ही सभी बलूच राजनीतिक कैदियों और जबरन गायब हुए लोगों को रिहा करने की मांग की थी। ताजा घटनाक्रमों में बीएलए ने अचानक पाकिस्तान सेना पर हमले तेज कर दिए हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव का धुआं और गहरा व घना हो गया है। 

क्या है बीएलए

पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और क्षेत्रफल के हिसाब से 44% भूभाग रखता है, लेकिन इसकी जनसंख्या केवल 6% है। यह प्राकृतिक संसाधनों जैसे गैस और खनिजों से समृद्ध है, फिर भी आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA)और बलूचिस्तान आंदोलन इस क्षेत्र में स्वतंत्रता और स्वायत्तता की मांग को लेकर चल रहे संघर्ष का प्रतीक माने जाते हैं। यह आंदोलन ऐतिहासिक, राजनीतिक और सामाजिक अन्याय की जड़ों से उपजा है, जिसका लक्ष्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से मुक्त करना या कम से कम क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करना है। पिछले कुछ वर्षों में BLA की गतिविधियां तेज हुई हैं। 

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Save The Balooch

क्या है आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बलूचिस्तान का इतिहास स्वतंत्रता और बाहरी शासन के खिलाफ संघर्ष से भरा है। 1947 में भारत के विभाजन से पहले, बलूचिस्तान चार रियासतों—कलात, मकरान, लस बेला और खारन—के रूप में ब्रिटिश शासन के अधीन था। इन रियासतों को आंतरिक मामलों में स्वतंत्रता थी, और वे भारत या पाकिस्तान में विलय या स्वतंत्र रहने का विकल्प चुन सकती थीं। 4 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन और मुहम्मद अली जिन्ना ने बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता दी, और 11 अगस्त को इसे स्वतंत्र घोषित किया गया। हालांकि, 1948 में पाकिस्तानी नेताओं ने कलात के खान अली खान पर दबाव डालकर बलूचिस्तान का जबरन विलय कर लिया, जिसे बलूच अवैध मानते हैं। यह विलय बलूच राष्ट्रवाद और विद्रोह की शुरुआत थी।

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1948 में प्रिंस करीम ने पहला सशस्त्र विद्रोह शुरू किया। 1958-59, 1962-63, और 1973-77 में बलूच राष्ट्रवादियों ने कई हिंसक और अहिंसक आंदोलन चलाए। 1973 में, जब बलूचिस्तान की पहली निर्वाचित विधानसभा को केवल दस महीनों में भंग कर दिया गया और नेताओं को गिरफ्तार किया गया, तो संगठित आंदोलन ने जन्म लिया। इसे "हैदराबाद षड्यंत्र केस" के नाम से जाना गया।

Blooch libration Army

बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का उदय

बीएलए का गठन 1970 के दशक में हुआ, लेकिन यह 2000 में औपचारिक रूप से उभरा। इसका उद्देश्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करना है। संगठन में मुख्य रूप से मैरी और बुगती जनजातियों के सदस्य शामिल हैं, जो क्षेत्रीय स्वायत्तता और संसाधनों पर स्थानीय नियंत्रण की मांग करते हैं। BLA ने 2000 में क्वेटा में बम विस्फोट के साथ अपनी गतिविधियां शुरू कीं, जिसमें सात लोग मारे गए। तब से यह संगठन गैस पाइपलाइनों, सैन्य ठिकानों, और सरकारी संपत्तियों पर हमले करता रहा है।

BLA को पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, ईरान और यूरोपीय संघ ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है। पाकिस्तान का दावा करता रहा है कि BLA को भारत और अफगानिस्तान से समर्थन मिलता है, हालांकि इसके कोई ठोस सबूत नहीं हैं। संगठन का नेतृत्व असलम बलूच (2006-2018) ने किया, जिनकी 2018 में अफगानिस्तान में हत्या कर दी गई। वर्तमान में बशीर जैब और रहमान गुल इसके प्रमुख नेता माने जाते हैं।

बलूचिस्तान आंदोलन की मांगें

बलूच आंदोलन की मूल मांग स्वतंत्रता या स्वायत्तता है। बलूचों का मानना है कि पाकिस्तान ने उनके संसाधनों का शोषण किया और उन्हें आर्थिक, राजनीतिक, और सामाजिक रूप से हाशिए पर रखा। प्रांत में गरीबी, कम साक्षरता, और बुनियादी सुविधाओं की कमी इसका प्रमाण है। बलूचों का कहना है कि ग्वादर बंदरगाह और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) जैसे प्रोजेक्ट्स से स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं मिलता, बल्कि यह उनके संसाधनों का दोहन और सैन्यीकरण बढ़ाता है।

BLA और अन्य संगठन, जैसे बलूच राजी आजोई संगर (BRAS),पाकिस्तानी सेना और चीनी हितों को निशाना बनाते हैं। 2025 में BLA ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर 182 लोगों को बंधक बनाया और 90 सैनिकों की मौत का दावा किया। यह हमला उनकी बढ़ती सैन्य क्षमता को दर्शाता है।

चुनौतियां और भविष्य

BLA और बलूच आंदोलन के सामने कई चुनौतियां हैं। पाकिस्तानी सेना की कठोर कार्रवाइयों, नेताओं की हत्याओं, और मानवाधिकार उल्लंघनों ने आंदोलन को कमजोर किया है। इसके बावजूद, BLA अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है और हिट-एंड-रन रणनीतियों में माहिर हो गया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय में बलूच मुद्दे को ज्यादा समर्थन नहीं मिला, क्योंकि BLA को आतंकवादी संगठन माना जाता है। भविष्य में, यदि पाकिस्तान बलूचों की मांगों को संबोधित नहीं करता, तो संघर्ष और गहरा सकता है। बलूच आंदोलन न केवल स्वतंत्रता की लड़ाई है, बल्कि यह क्षेत्रीय संसाधनों, पहचान, और आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग भी है।

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