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"Muzaffarnagar में किसान पंचायत का बड़ा फैसला, टिकैत को दी गई जिम्मेदारी, जानें सरकार से क्या हुई मांग"

मुजफ्फरनगर में बीकेयू ने आपात किसान पंचायत आयोजित की, जिसमें राकेश टिकैत के साथ हुए दुर्व्यवहार की निंदा की गई और उन्हें पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया।

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Ajit Kumar Pandey
RAKESH TIKAIT
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने शनिवार को मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में एक आपात 'किसान पंचायत' का आयोजन किया। यह पंचायत पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में आयोजित जन आक्रोश रैली के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत के साथ हुए दुर्व्यवहार के जवाब में बुलाई गई। पंचायत में मंच से राकेश टिकैत को भारी पगड़ी बांधी गई, जो सम्मान और एकजुटता का प्रतीक थी। इसके साथ ही, भाकियू ने टिकैत की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।

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बता दें कि शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में दक्षिणपंथी समूहों द्वारा आयोजित जन आक्रोश रैली में राकेश टिकैत के साथ धक्का-मुक्की की गई थी, जिसके दौरान उनकी पगड़ी जमीन पर गिर गई। इस घटना ने किसान समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया। भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने इसे "राजनीतिक साजिश" करार दिया और आरोप लगाया कि यह किसान आंदोलन को कमजोर करने का सुनियोजित प्रयास था। उन्होंने कहा, "यह घटना अचानक नहीं हुई। यह एक विशेष राजनीतिक दल की साजिश थी, जिसका मकसद किसानों की आवाज को दबाना है।"

पंचायत में पहुंचे कई राज्यों के किसान

पंचायत में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली के किसानों ने हिस्सा लिया। सिसौली और मुजफ्फरनगर में सुबह से ही किसानों का जमावड़ा शुरू हो गया था। पंचायत में किसानों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया और सरकार से इस घटना की जांच की मांग की। राकेश टिकैत ने कहा, "कुछ लोग जानबूझकर रैली में व्यवधान डालने आए थे। वे नशे में थे और उनके इरादे साफ नहीं थे। यह किसानों के सम्मान पर हमला है।"

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पंचायत में भाकियू ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और सरकार से आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की। साथ ही, टिकैत ने घोषणा की कि भाकियू इस हमले के विरोध में ट्रैक्टर मार्च आयोजित करेगी। उन्होंने कहा, "हम शांति से अपनी बात रखेंगे, लेकिन किसानों के सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा।" नरेश टिकैत ने चेतावनी दी कि अगर ऐसी घटनाएं दोबारा हुईं, तो किसान चुप नहीं रहेंगे।

पंचायत में स्थानीय नेताओं और किसान प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे। एक वक्ता ने कहा, "राकेश टिकैत किसानों की आवाज हैं। उनकी पगड़ी गिराना सिर्फ एक व्यक्ति का अपमान नहीं, बल्कि पूरे किसान समुदाय का अपमान है।" पंचायत में यह भी फैसला लिया गया कि भाकियू भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए संगठनात्मक स्तर पर कदम उठाएगी।

इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी। कई लोगों ने टिकैत के समर्थन में पोस्ट किए, जबकि कुछ ने इस घटना को राजनीतिक नजरिए से देखा। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी इस घटना की निंदा की और टिकैत के साथ एकजुटता जताई। पंचायत के बाद मुजफ्फरनगर और सिसौली में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।

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टिकैत के साथ हुए व्यवहार की निंदा

भाकियू ने इस पंचायत के जरिए न केवल टिकैत के साथ हुए व्यवहार की निंदा की, बल्कि किसानों के बीच एकता का संदेश भी दिया। यह पंचायत एक बार फिर यह साबित करती है कि किसान अपनी आवाज को दबने नहीं देंगे। आने वाले दिनों में भाकियू के अगले कदमों पर सबकी नजर रहेगी।

मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की पंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत को मंच से ही भारी पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया। इस दौरान उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई और सरकार से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की मांग की गई। पंचायत में किसानों ने सरकार की कृषि नीतियों का विरोध जताते हुए आंदोलन को तेज करने का फैसला लिया।

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टिकैत ने किसानों से एकजुट होकर संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया। इस बैठक में हजारों किसानों ने हिस्सा लिया और आगे की रणनीति तय की। सुरक्षा के मुद्दे पर टिकैत ने कहा कि वह किसान आंदोलन के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं, लेकिन सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

पगड़ी बांधकर किया गया सम्मानित

मुजफ्फरनगर में बीकेयू की पंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत को मंच से भारी पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया। इस दौरान उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई गई और सरकार से तुरंत सुरक्षा प्रदान करने की मांग की गई। पंचायत में किसानों ने सरकार की कृषि नीतियों का विरोध करते हुए आंदोलन को और मजबूती से आगे बढ़ाने का फैसला लिया।

राकेश टिकैत ने किसानों से एकजुट होकर संघर्ष जारी रखने का आग्रह किया। इस बैठक में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया और आने वाले आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की। टिकैत ने साफ किया कि वह किसान हितों के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं, लेकिन सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए

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