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वीडियो क्रॉन्फ्रेंस के मामले में गवाहों के बयान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उपलब्ध कराएं : कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में किसी भी पक्ष को केवल इसलिए नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए कि गवाह अदालत में उपस्थित नहीं है और जिस दस्तावेज/पूर्व लिखित बयान के साथ ऐसे गवाह का सामना कराना है, उसे वह नहीं दिखाया जा सकता।

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Mukesh Pandit
SUPREME COURT PIC

Photograph: (X.com)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। देश की शीर्ष अदालत ने निचली अदालतों को निर्देश दिया कि वे उन सभी कार्यवाहियों में गवाहों के पिछले बयानों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उपलब्ध कराएं, जहां उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए से जिरह की गई है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने एक आपराधिक मामले में उत्पन्न प्रक्रियागत अनियमितता को देखते हुए यह निर्देश पारित किया। 

 गवाहों के साक्ष्य वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दर्ज कराएं

शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रौद्योगिकी की प्रगति के इस युग में, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां गवाहों के साक्ष्य वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दर्ज किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में किसी भी पक्ष को केवल इसलिए नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए कि गवाह अदालत में उपस्थित नहीं है और जिस दस्तावेज/पूर्व लिखित बयान के साथ ऐसे गवाह का सामना कराना है, उसे वह नहीं दिखाया जा सकता। 

गवाही अब हो जाएगी आसान

पीठ ने कहा, "हम स्पष्ट करते हुए निर्देश देते हैं कि हर उस मामले में, जहां किसी गवाह का बयान वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दर्ज किया जाना प्रस्तावित है और उस गवाह का कोई पूर्व लिखित बयान या अन्य लिखित सामग्री उपलब्ध है, तथा संबंधित पक्ष गवाह से उस बयान/लिखित सामग्री का सामना कराना चाहता है, तो निचली अदालत यह सुनिश्चित करेगी कि उस बयान/दस्तावेज़ की एक प्रति इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाह को भेजी जाए।” 

तकनीक का प्रयोग करें अदालतें

शीर्ष अदालत का निर्देश उस मामले में आया जहां बचाव पक्ष एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी से प्रभावी ढंग से जिरह करने में असमर्थ था जो वीडियो लिंक के माध्यम से कनाडा से गवाही दे रही थी और निचली अदालत उसे उसके पहले के असंगत बयान वाले दस्तावेज नहीं दिखा सकी थी। supreme court | supreme court cbse | delhi highcourt | Patna Highcourt | court | Allahabad High Court

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