Dantewada Science Centre: जहां कभी बंदूकें गरजती थीं, वहां आज सपने पल रहे हैं
छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित दंतेवाड़ा में स्थित विज्ञान केंद्र शिक्षा और नवाचार का गढ़ बन गया है, जहां वैज्ञानिक सोच और भविष्य के सपने आकार ले रहे हैं।
रायपुर, वाईबीएन नेटवर्क। दंतेवाड़ा की वीरानियों में अब विज्ञान का उजाला है, जो भय के साए में पले बच्चों को उम्मीदों के आकाश में उड़ने की हिम्मत दे रहा है। दरअसल, कभी हिंसा और अराजकता के लिए पहचाना जाने वाला दंतेवाड़ा आज एक नई कहानी बुन रहा है, विज्ञान और शिक्षा की कहानी। छत्तीसगढ़ के सुदूर जंगलों में बना अत्याधुनिक विज्ञान केंद्र न केवल बच्चों के सपनों को आकार दे रहा है, बल्कि पूरे क्षेत्र में विश्वास और उम्मीद का संचार कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे "नई उम्मीद की किरण" बताया, और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों की ओर से आभार जताया। दंतेवाड़ा का विज्ञान केंद्र आज उस जज्बे का प्रतीक बन गया है जो कहता है, 'संघर्ष के बीच भी उजाले की राह निकलती है।'
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दंतेवाड़ा की प्रगति का प्रतीक बना विज्ञान केंद्र
लंबे समय तक माओवादी हिंसा से प्रभावित दंतेवाड़ा अब बदलाव की राह पर है। दंतेवाड़ा विज्ञान केंद्र, जो एक अत्याधुनिक शैक्षणिक सुविधा केंद्र है, इसी परिवर्तन का प्रतीक बनकर उभरा है। यह केंद्र उस क्षेत्र में नई आशा जगा रहा है जहां कभी शिक्षा और अवसरों की भारी कमी थी। इस केंद्र का उद्देश्य छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रेरित करना है, जिससे उन्हें वैश्विक बदलावों को समझने और नए करियर विकल्प तलाशने का अवसर मिल सकें। यह पहल भारतीय संविधान के उस आदर्श को भी साकार करती है, जिसमें वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद और जिज्ञासा को बढ़ावा देने की बात कही गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा- विज्ञान केंद्र उस क्षेत्र में प्रगति और संभावनाओं का प्रतीक है, जो कभी अराजकता के लिए जाना जाता था।
Photograph: (Google)
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दंतेवाड़ा- डर से उम्मीद तक
दंतेवाड़ा के जिलाधिकारी मयंक चतुर्वेदी ने बताया कि माओवादी प्रभाव वाले क्षेत्र में इस पैमाने पर विज्ञान केंद्र स्थापित करना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा- अब दंतेवाड़ा में भय से शिक्षा और हिंसा से नवाचार की ओर ध्यान स्थानांतरित हो रहा है।दंतेवाड़ा के छात्रों और शिक्षकों के लिए यह केंद्र खोज और प्रेरणा का केंद्र बन चुका है। पोंडम गांव के 11वीं के छात्र अभिषेक ने कहा- विज्ञान केंद्र की यात्रा ने हमारे लिए नए करियर विकल्प खोले हैं। सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल गिरधर शिवहरे ने इसे छात्रों के लिए जिज्ञासा और नवाचार को प्रोत्साहित करने वाला स्थान बताया।
विज्ञान से जुड़े अनूठे अनुभव
विज्ञान केंद्र कई थीम आधारित क्षेत्रों में विभाजित हैं, विज्ञान गैलरी, खनिज संग्रहालय, अंतरिक्ष क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र और कृषि क्षेत्र। यहां बच्चों को विभिन्न वैज्ञानिक मॉडलों से सीखने का मौका मिलता है। एक तरह से कह सकते हैं कि खेल- खेल में पढ़ाई की व्यवस्था है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के रोमांचक पहलुओं को रोचक अंदाज मेंं जान सकते हैं और हाइड्रोपोनिक्स जैसी स्मार्ट कृषि तकनीकों से परिचित हो सकते हैं।इसके अलावा केंद्र में पर्यावरण शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी इंटरैक्टिव प्रदर्शनियाँ जागरूकता बढ़ाने का काम कर रही हैं।
जिज्ञासा और नवाचार का केंद्र
यह केंद्र न केवल शिक्षा का एक आधुनिक मंच है, बल्कि रचनात्मकता और वैज्ञानिक सोच को भी बढ़ावा देता है। स्थानीय छात्रों के लिए यह महज एक भवन नहीं, बल्कि एक नई उम्मीद का प्रतीक बन गया है।दंतेवाड़ा विज्ञान केंद्र, संघर्ष से जूझते क्षेत्र में ज्ञान, विकास और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ता एक चमकता हुआ प्रकाश स्तंभ बन चुका है।