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दरगाह प्रबंधन ने 150 परिवारों को भेजा नोटिस, किराया चुकाओ अन्यथा जमीन खाली करो...

दरगाह ने ग्रामीणों से जमीन का किराया चुकाने की मांग की है, अन्यथा वक्फ कानून के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है। जानें यह कहां का और क्या है पूरा मामला...

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Ajit Kumar Pandey
WAQF BOARD NE GAON PER DAVA THONKA

WAQF BOARD NE GAON PER DAVA THONKA

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । तमिलनाडु के वेल्लोर जिले के अनैकट्टु तालुका में स्थित कटुकोल्लई गांव में वक्फ संपत्ति को लेकर एक नया विवाद उभरकर सामने आया है। गांव की सैयद अली सुल्तान शाह दरगाह ने 150 से अधिक परिवारों को नोटिस जारी कर उनकी जमीनों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित किया है।

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नोटिस में ग्रामीणों से दरगाह प्रबंधन के साथ समझौता करने और जमीन का किराया चुकाने की मांग की गई है। ऐसा न करने पर जमीन खाली करने या वक्फ कानून के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। इस नोटिस ने ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर दिया है, और उन्होंने जिला प्रशासन से इस मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।

नोटिस का दावा और ग्रामीणों पर असर

दरगाह प्रबंधन का दावा है कि कटुकोल्लाई गांव की कई जमीनें वक्फ बोर्ड के अधीन हैं। नोटिस में कहा गया है कि ग्रामीणों को इन जमीनों के लिए किराया देना होगा, अन्यथा इसे अवैध कब्जा माना जाएगा। किराया न चुकाने की स्थिति में जमीन खाली करने या कानूनी कार्रवाई का सामना करने की बात कही गई है। इस नोटिस ने उन 150 से अधिक परिवारों को संकट में डाल दिया है, जो पीढ़ियों से इन जमीनों पर रह रहे हैं और खेती-बाड़ी कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं।

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bill on waqf board | waqf | tamil nadu | नोटिस के खिलाफ ग्रामीणों ने एकजुट होकर वेल्लोर जिला कलेक्टर कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला और अपनी आपत्तियां दर्ज कीं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास जमीन के मालिकाना हक के वैध दस्तावेज हैं, जिनमें रजिस्टर्ड पट्टे, सरकारी रिकॉर्ड, और पानी कर की रसीदें शामिल हैं। एक ग्रामीण ने बताया, "हमारी चार पीढ़ियां इस गांव में गुजर चुकी हैं। हमारी जमीनें सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं, फिर भी हमें वक्फ बोर्ड की संपत्ति का नोटिस थमा दिया गया। यह हमारे साथ अन्याय है।"

EK GAON KE 150 PARIWAR WAQF BOARD SE PARESHAN
EK GAON KE 150 PARIWAR WAQF BOARD SE PARESHAN

जिला प्रशासन का रुख

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वेल्लोर की जिला कलेक्टर वीआर सुब्बुलक्ष्मी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ग्रामीणों और दरगाह के केयरटेकर एफ सैयद साथम के साथ चर्चा की। प्रशासन ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया है कि इस विवाद का निष्पक्ष और शांतिपूर्ण समाधान निकाला जाएगा। फिलहाल, प्रशासन ने ग्रामीणों को कोई किराया न देने की सलाह दी है और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। प्रशासन का कहना है कि सभी दस्तावेजों की जांच के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

ग्रामीणों के दस्तावेज और दावे

कटुकोल्लाई गांव के निवासियों का दावा है कि उनकी जमीनें पूरी तरह वैध हैं और उनके पास इसके पुख्ता सबूत मौजूद हैं। ग्रामीणों ने सरकारी रिकॉर्ड, जमीन के पट्टे, और कर भुगतान के दस्तावेज प्रशासन के सामने पेश किए हैं। एक अन्य ग्रामीण ने कहा, "हमने अपनी जमीनों के लिए नियमित रूप से कर का भुगतान किया है। अब अचानक हमें वक्फ संपत्ति का हवाला देकर किराया देने या जमीन छोड़ने को कहा जा रहा है। हम अपनी जमीन बचाने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे।"

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तमिलनाडु में वक्फ विवादों का इतिहास

तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। इससे पहले, 2022 में तिरुचिरापल्ली जिले के तिरुचेंदुरई गांव में वक्फ बोर्ड ने करीब 400 एकड़ जमीन पर दावा किया था, जिसमें एक प्राचीन चोल युग का मंदिर भी शामिल था। उस मामले में राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद विवाद सुलझ गया था। कटुकोल्लाई गांव का यह ताजा विवाद एक बार फिर वक्फ कानून और स्थानीय निवासियों के अधिकारों के बीच टकराव को उजागर करता है।

वक्फ बोर्ड और कानून की स्थिति

वक्फ बोर्ड एक धार्मिक और सामाजिक संस्था है, जो मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों का प्रबंधन करती है। इन संपत्तियों का उपयोग धार्मिक, शैक्षिक, या सामाजिक कार्यों के लिए किया जाता है। वक्फ कानून के तहत, बोर्ड को उन जमीनों पर दावा करने का अधिकार है, जो वक्फ के लिए समर्पित की गई हों। हालांकि, पुराने और अस्पष्ट रिकॉर्ड के कारण कई बार स्थानीय निवासियों और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद पैदा हो जाते हैं। कटुकोल्लाई गांव का यह मामला भी ऐसी ही एक स्थिति को दर्शाता है।

भविष्य की संभावनाएं

कटुकोल्लाई गांव के निवासियों ने जिला प्रशासन से इस मामले में निष्पक्ष जांच और स्थायी समाधान की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीनों को बचाने के लिए कानूनी रास्ता अपनाने को तैयार हैं। दूसरी ओर, जिला प्रशासन ने दोनों पक्षों के साथ बातचीत शुरू कर दी है, ताकि इस विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जा सके। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी पक्ष के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।

व्यापक प्रभाव और चर्चा की जरूरत

कटुकोल्लाई गांव का यह विवाद न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे तमिलनाडु में वक्फ संपत्तियों से जुड़े कानूनी और सामाजिक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह मामला जमीन के मालिकाना हक, सरकारी रिकॉर्ड, और वक्फ कानून के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौती को भी दर्शाता है। ग्रामीणों और प्रशासन के बीच चल रही बातचीत के परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

इस मामले का समाधान न केवल कटुकोल्लाई गांव के निवासियों के लिए, बल्कि पूरे राज्य में वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।

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