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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत का हवाई सुरक्षा कवच बनकर रूस के मिसाइल सिस्टम सुदर्शन S-400 ने जिस तरह पाकिस्तान के कायरना ड्रोन और हवाई हमलों को नाकाम किया वह काबिलेतारीफ तो है ही, इसका पूरा श्रेय पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की दूरदर्शिता को भी जाता है, जिन्होंने अमेरिका के भारी विरोध के बावजूद मिसाइल सिस्टम की खरीद का फैसला लेकर भारत की रक्षा नीति को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। S-400 की खरीद को पर्रिकर की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक माना जाता है। X पर कई पोस्ट्स में उन्हें 'दूरदृष्टा' और 'रक्षा कवच' का निर्माता कहा गया।
भारत का रक्षा कवच बना S-400 डिफेंस सिस्टम
पहलगाम में क्रूर आतंकी हमले के बाद जैसे ही पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने सैन्य कारवाई शुरू की, बौखलाए पाकिस्तान ने भी भारत पर ड्रोन की मदद से नागरिक और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। लेकिन भारत ने जैसे ही आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, भारत ने सीमा पर S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को एक्टिवेट कर दिया। यह ऐसी बेहतरीन मिसाइल है, जो दूर-दूर के टारगेट को कैप्चर करके उनके मार सकती है और पाकिस्तान की मिसाइलों को भी हवा में ही मार गिराने की क्षमता है। आइए जाने, अमेरिका के विरोध के बावजूद मनोहर पर्रिकर ने कैसे किया RussinS-400 की खरीद का महत्वपूर्ण फैसला।
पर्रिकर ने रक्षा नीति को आधुनिक बनाया
पूर्व ऱक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर (2014-2017) ने भारत की रक्षा नीति को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पर्रिकर ने रक्षा खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने रक्षा खरीद नीति (Defence Procurement Policy) को संशोधित किया। उन्होंने रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार के आरोपों को कम करने के लिए पारदर्शिता पर जोर दिया।
स्वदेशीकरण और मेक इन इंडिया:
मनोहर पर्रिकर ने 'मेक इन इंडिया' पहल को रक्षा क्षेत्र में बढ़ावा दिया। स्वदेशी हथियारों और उपकरणों के विकास के लिए DRDOऔर निजी क्षेत्र की कंपनियों को प्रोत्साहित किया। तेजस लड़ाकू विमान और आकाश मिसाइल प्रणाली जैसे स्वदेशी प्रोजेक्ट्स को गति प्रदान की।
पर्रिकर और सैन्य आधुनिकीकरण:
उन्होंने भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए आधुनिक हथियारों और प्रणालियों की खरीद को प्राथमिकता दी। राफेल लड़ाकू विमान सौदे की नींव उनके कार्यकाल में रखी गई। सैन्य बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से पूर्वोत्तर और सीमावर्ती क्षेत्रों में, को मजबूत करने पर ध्यान दिया। पर्रिकर ने रक्षा रणनीति को पड़ोसी देशों, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान, से उत्पन्न होने वाले खतरों के अनुरूप ढाला। उनकी रणनीति में बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली का निर्माण शामिल था।
प्रशासनिक कुशलता
मनोहर पर्रिकर अपनी सादगी, तकनीकी ज्ञान और प्रशासनिक दक्षता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने रक्षा मंत्रालय में जटिल मुद्दों को सरलता से हल करने की अद्भुत क्षमता दिखाई।
S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद
S-400 ट्रायम्फ (NATO नाम : SA-21 Growler) रूस द्वारा विकसित दुनिया की सबसे उन्नत सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों में से एक है। भारत द्वारा इसकी खरीद में मनोहर पर्रिकर की भूमिका निर्णायक थी। पर्रिकर ने रक्षा मंत्री बनते ही भारत की वायु रक्षा प्रणालियों की कमियों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की कमी है, जो चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से उत्पन्न खतरों का सामना करने के लिए आवश्यक थी।2016 में गोवा में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत और रूस के बीच S-400 की खरीद के लिए अंतर-सरकारी समझौता हुआ।
अक्टूबर 2018 में, 5.43 बिलियन डॉलर (लगभग 35,000 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें भारत को पांच S-400 स्क्वाड्रन मिलने थे।पर्रिकर ने S-400 को प्राथमिकता दी, क्योंकि यह प्रणाली लंबी दूरी (40-400 किमी) तक विभिन्न हवाई खतरों, जैसे लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल, को नष्ट करने में सक्षम है। उन्होंने मध्यम और कम दूरी की मिसाइल प्रणालियों की खरीद योजनाओं को रद्द कर दिया, जिससे रक्षा मंत्रालय को 49,300 करोड़ रुपये की बचत हुई। इस निर्णय की आलोचना हुई, लेकिन यह लागत प्रभावी और रणनीतिक रूप से सही साबित हुआ।
S-400 की तैनाती ने भारत की वायु रक्षा को बहुस्तरीय और मजबूत बनाया, खासकर चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर।
चुनौतियों का सामना:
S-400 की खरीद के दौरान अमेरिका के CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) प्रतिबंधों का खतरा था। पर्रिकर और मोदी सरकार ने दबाव के बावजूद इस सौदे को अंतिम रूप दिया। पर्रिकर ने वायुसेना और रक्षा मंत्रालय को इस प्रणाली की आवश्यकता के लिए सहमत किया और इसे रक्षा नीति का केंद्र बनाया। India Pakistan conflict | India Pakistan Deportation | Current Affairs India Pakistan | India Pakistan Latest News | india pakistan latest tension | India Pakistan Tension
S-400 की विशेषताएं और भारत के लिए महत्व:
रेंज और क्षमता: S-400 की मारक क्षमता 400 किमी तक है और यह एक साथ 80 लक्ष्यों को ट्रैक कर 36 को नष्ट कर सकता है। यह क्रूज, बैलिस्टिक और स्टील्थ मिसाइलों को रोकने में सक्षम है।
गतिशीलता: इसे 8x8 ट्रकों पर माउंट किया जा सकता है, जिससे इसे आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है।
रणनीतिक प्रभाव: S-400 ने भारत की वायु रक्षा को अभेद्य बनाया, जैसा कि मई 2025 में कथित तौर पर पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों को नाकाम करने में देखा गया। इसे भारत में 'सुदर्शन चक्र' के नाम से भी जाना जाता है।
तैनाती: तीन स्क्वाड्रन पठानकोट, सिलीगुड़ी और राजस्थान में तैनात हैं, जो चीन और पाकिस्तान की सीमाओं को कवर करते हैं। बाकी दो स्क्वाड्रन 2026 तक मिलने की उम्मीद है।
पर्रिकर की विरासत: उनकी नीति ने भारत को दीर्घकालिक रणनीतिक लाभ प्रदान किया, जिसका प्रभाव हाल के भू-राजनीतिक तनावों में स्पष्ट है।
S-400 चर्चा में क्यों?
भारतीय वायु सेना (IAF) ने अपनी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने के लिये चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर तीन S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा मिसाइल स्क्वाड्रन तैनात किए हैं। भारत ने रूस के साथ पांच S-400 मिसाइल स्क्वाड्रन के लिये एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे। इनमें से तीन भारत को प्राप्त हो चुके हैं जबकि बाकी दो मिलने वाले हैं। इसके साथ ही भारतीय रक्षा अधिग्रहण परिषद ने प्रोजेक्ट कुश के तहत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली (LRSAM) प्रणाली की खरीद को मंज़ूरी दी है।
S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम:
S-400 ट्रायम्फ रूस द्वारा विकसित एक मोबाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणाली है, जो विमान, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल जैसे विभिन्न हवाई लक्ष्यों को रोकने तथा नष्ट करने में सक्षम है।
एक साथ 36 लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम
S-400 की मारक क्षमता 30 किमी. की ऊंचाई के साथ 400 किमी तक है और यह चार अलग-अलग प्रकार की मिसाइलों के साथ एक साथ 36 लक्ष्यों पर हमला कर सकती है। यह परिचालन हेतु तैनात विश्व में आधुनिक सबसे खतरनाक लंबी दूरी की SAM(MLR SAM) है, जिसे अमेरिका द्वारा विकसित टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम (THAAD) से काफी उन्नत माना जाता है।