नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
Tahawwur Rana | Tahawwur Rana India | 2008 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का भारत प्रत्यर्पण देश के लिए एक बड़ी सफलता है। यह मामला न केवल भारत की कानूनी मजबूती को दर्शाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की बढ़ती कूटनीतिक पहुंच का भी प्रमाण है। राणा को अमेरिका से भारत लाने की प्रक्रिया आसान नहीं थी, लेकिन दो प्रमुख कारकों ने इस प्रत्यर्पण को संभव बनाया।
Tahawwur Rana update | Tahawwur Rana News : तहव्वुर राणा ने अमेरिकी अदालत में अपने प्रत्यर्पण को चुनौती देते हुए "डबल जेपार्डी" (Double Jeopardy) का तर्क दिया था। इस सिद्धांत के अनुसार, किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार सजा नहीं दी जा सकती। राणा का दावा था कि वह पहले ही अमेरिका में आतंकवाद से जुड़े मामले में सजा काट चुका है, इसलिए उसे भारत में दोबारा मुकदमे का सामना नहीं करना चाहिए।
हालांकि, भारत की कानूनी टीम ने इस तर्क को सफलतापूर्वक खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में राणा पर मुंबई हमले की साजिश रचने और लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने के अलग आरोप लगे हैं, जो अमेरिका में उसके दोषसिद्ध मामले से भिन्न हैं। इस प्रकार, भारत का कानूनी पक्ष मजबूत साबित हुआ और अदालत ने प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी।
2. भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी का प्रभाव
तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत भी एक निर्णायक कारक रही। अमेरिका ने इस मामले में भारत का साथ दिया, जो दोनों देशों के बीच मजबूत सुरक्षा सहयोग को दर्शाता है। खास बात यह है कि डेमोक्रेटिक (बाइडन) और रिपब्लिकन (ट्रंप) दोनों प्रशासनों ने राणा के प्रत्यर्पण को स्वीकृति दी।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा था कि "तहव्वुर राणा को भारत सौंपा जाएगा"। यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों में आपसी विश्वास को दिखाता है। इसके अलावा, अमेरिकी अधिकारियों ने भारतीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया, जिससे प्रत्यर्पण प्रक्रिया तेज हुई।
- पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक, जो पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रह चुका है।
- लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादी डेविड कोलमन हेडली का सहयोगी।
- 2008 मुंबई हमले (26/11) की साजिश में शामिल होने का आरोप।
- 2011 से अमेरिकी जेल में बंद, जहाँ उसे आतंकवादी गतिविधियों में सहयोग के लिए 14 साल की सजा हुई।
- एनआईए राणा के खिलाफ मुंबई हमले से जुड़े सबूतों की जांच करेगी।
- विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान मामले की सुनवाई में भाग लेंगे।
- भारतीय अदालत में आतंकवाद, हत्या और साजिश के मामलों में मुकदमा चलेगा।
भारत के लिए बड़ी जीत
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण न केवल न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भारत की वैश्विक साख को भी मजबूत करता है। यह मामला दिखाता है कि कैसे कानूनी सूझबूझ और कूटनीतिक प्रभाव मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सफलता दिला सकते हैं।