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वो 10 मिनट और New Delhi railway station लाशों से पट गया, फिर भीड़ के सामने बौनी नजर आई व्यवस्था...

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर स्पेशल ट्रेन के अनाउसमेंट से मची भगदड़ ने 10 मिनट के छोटे से अंतराल में ही 18 से ज्यादा लोगों की जान ले ली। इस घटना ने व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लगा दिया है। इस पूरी घटना का मुख्य अपराधी 'रेलवे प्रशासन' को माना जा रहा है

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Mukesh Pandit
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भगदड़ के बाद का नजारा।.. Photograph: (X)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर स्पेशल ट्रेन के अनाउसमेंट से मची भगदड़ ने 10 मिनट के छोटे से अंतराल में ही 18 से ज्यादा लोगों की जान ले ली। इस घटना ने एक बार फिर व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लगा दिया है। इस पूरी घटना का मुख्य अपराधी 'रेलवे प्रशासन' को माना जा रहा है, जो भीड़ का आकलन करने में विफल रहने के साथ ही स्टेशन पर भीड़ को नियंत्रित करने के मैनेजमेंट में भी पूरी तरह फेल रहा। जिसने रेलवे प्लेटफार्म को मौत की डगर में तब्दील कर दिया। घटनास्थल पर मौजूद एक कुली का कहना है, 'प्रयागराज जाने वाली ट्रेन को 12 नंबर प्लेटफॉर्म से 16 नंबर पर कर दिया, तो लोग 16 नंबर प्लेटफॉर्म पर भागने लगे। ऐसे में पुल और एस्केलेटर पर लोग फंस गए। मैंने खुद 15 लाशें लोड की हैं। प्रशासन के बहुत कम लोग थे। प्रशासन ने आग का समझ कर आग की दमकल गाड़ियां भेज दी।'

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Photograph: (X)
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शुरुआत में झूठ बोलता रहा रेलवे प्रशासन

शुरुआत में रेलवे प्रशासन भगदड़ से ही इनकार करता रहा। समाचार एजेंसी ने एक्स पर रेलवे प्रशासन की ओर से लिखा..स्टेशन पर किसी तरह ही भगदड़ ने मची है, लोग अफवाहों पर ध्यान न दें।...देर रात को जब दिल्ली के एलजी ने मौतों की पुष्टि की, तब कहीं जाकर रेलवे प्रशासन की नींद टूटी और उनसे मौत का आंकड़ा बताया। बाद में समाचार एजेंसी ने भी रेलवे प्रशासन के 'अफवाह वाले झूठ' की पोल खोल कर रख दी। अब भी मौत के आंकड़ों को लेकर तरह-तरह के दावें किए जा रहे हैं। हालांकि एलएनजेपी अस्पताल ने 18 लोगों के मरने की पुष्टि कर दी है। लेकिन स्टेशन पर मौजूद एक कुली की बात मानें तो उनका कहना है कि मैंने खुद 15 लाशों को अपने हाथों से लोड किया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मौत का आंकड़ा कितना अधिक है। 

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भीड़ इतनी ज्यादा थी पुलिस कंट्रोल नहीं कर सकी

उधर, एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, 'पब्लिक इतनी बढ़ गई थी कि पुलिस कंट्रोल ही नहीं कर पा रही थी। प्लेटफॉर्म तो खाली थे, जितनी भी भीड़ थी वो पूल पर ही थी। वहीं पर भगदड़ हुई। ट्रेनें जहां आनी थी, वहीं आई। प्लेटफॉर्म चेंज का अनाउंसमेंट नहीं हुआ। मुझे 26 साल हो गए, आज तक इतनी भीड़ नहीं देखी।' भगदड़ में जान गंवाने वालों में 9 महिलाएं, 4 पुरुष, 5 बच्चे शामिल हैं। कहा जा कहा है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज महाकुंभ जाने वाले यात्रियों की भारी भीड़ शाम से ही उमड़ने लगी थी। कई अन्य प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि स्टेशन के सभी प्लेटफॉर्म्स पर भीड़ बहुत ज्यादा थी, लेकिन प्लेटफॉर्म नंबर 12, 13, 14 और 15 पर स्थिति और बदतर थी।

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प्लेटफार्म बदलने से मची अफरा-तफरी

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भगदड़ की स्थिति रेलवे द्वारा ट्रेनों के ठहराव को लेकर बार-बार प्लेटफॉर्म नंबर बदलने की घोषणा के कारण उत्पन्न हुई। पुलिस उपायुक्त (DCP)रेलवे, केपीएस मल्होत्रा ​​के अनुसार, प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी। इसी ट्रेन पर चढ़ने के लिए यात्रियों की भारी भीड़ प्लेटफॉर्म पर मौजूद थी। लेकिन इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि भीड़ मैनेजमेंट करने में रेलवे प्रशासन नाकाम हुआ है। मल्होत्रा खुद मानते हैं कि दो ट्रेनों की देरी हादसे की मुख्य वजह है। एक माह से यहां हर रोज भीड़ आ रहा थी, जीआरपी और आरपीएफ मिलकर भीड़ को मैनेज कर रहे थे, लेकिन शनिवार का जो टाइम था, उसमें ट्रेनों के टाइम में मिस मैच होने से यह हादसा हुआ।

राहुल ने जताया शोक, बोले, फिर नाकामी उजागर

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा है, 'नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से कई लोगों की मृत्यु और कईयों के घायल होने की ख़बर अत्यंत दुखद और व्यथित करने वाली है।  शोकाकुल परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की आशा करता हूं। यह घटना एक बार फिर रेलवे की नाकामी और सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करती है। प्रयागराज जा रहे श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए स्टेशन पर बेहतर इंतजाम किए जाने चाहिए थे। सरकार और प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि बदइंतजामी और लापरवाही के कारण किसी को अपनी जान न गंवानी पड़े।'

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