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पूर्व बॉक्सर ने 48 साल जेल में मौत की सजा के इंतजार में गुजारे, रिहाई पर मिला इतना मुआवजा आप हैरान रह जाएंगे

जापान के एक एक पूर्व बॉक्सर को हत्या का दोषी करार दे कर लंबे समय तक मौत की सजा के इंतजार में कैद रखा गया। अब वह जापान के इतिहास का सबसे बड़ा मुआवजा लेकर जेल से रिहा किया गया।

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Mukesh Pandit
iwao Hakamada.

Former boxer iwao Hakamada with sister Photograph: (Kyodo News)

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टोक्यो, वाईबीएन नेटवर्क।

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जापान के जाने माने बॉक्सर इवाओ हाकामादा ने हत्या के एक मामले में हिरासत में 48 साल से ज्यादा वक्त बिताया। इस तरह उन्होंने दुनिया में सबसे लंबे समय तक मौत की सजा का इंतजार कैद में रह कर किया है, जापान की सरकार उन्हें हर दिन के लिए लगभग 83 अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दे रही है। मीडिया का दावा है कि इस तरह के मामलों में यह जापान में दिया गया सबसे बड़ा मुआवजा है। यानी उन्हें 14.4 लाख डॉलर का मुआवजा मिलेगा, जो विश्व का इतिहास में सबसे अधिक है।

अपने बॉस, पत्नी और उसके दो बच्चों की हत्या का था आरोप

अब  89 साल के हो चुके हाकामादा को 1966 में चार लोगों की हत्या का दोषी करार दिया गया था। उनकी बहन और दूसरे लोगों ने उन्हें इस दोष से मुक्त करने के लिए लंबा अभियान चलाया, जिसके बाद पिछले साल उन्हें कोर्ट ने इस मामले में निर्दोष करार दिया। इस मामले ने जापान के न्याय तंत्र पर बड़े सवाल उठाए हैं और उनकी समीक्षा करने की मांग हो रही है।

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इवाओ हाकामादा।
रिहाई के बाद पूर्व बॉक्सर इवाओ हाकामादा। Photograph: (File)

14.4 लाख डॉलर का मुआवजा मिलेगा

सिजुओका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने इसी सप्ताह हाकामादा के लिए मुआवजे पर फैसला सुनाया। कोर्ट के प्रवक्ता ने एक समाचार एजेंसी से कहा, वादी को 217,362,500 येन यानी 14.4 लाख डॉलर का मुआवजा मिलेगा।" इसी अदालत ने बीते साल सितंबर में इस मामले की दोबारा सुनवाई में फैसला दिया था कि हाकामादा दोषी नहीं थे और पुलिस ने सबूतों से छेड़छाड़ की थी। उस वक्त अदालत ने कहा था हाकामादा के साथ, "अमानवीय तरीके से पूछताछ की गई थी, जिसका मकसद उन्हें आरोप मानने के लिए मजबूर करना था," जिसे बाद में उन्होंने वापस ले लिया था।

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पुलिस ने की थी सबूतों से छेड़छाड़

बताते दें कि पूर्व बॉक्सर हाकामादा को उनके बॉस, उनकी पत्नी और दो किशोर बच्चों की हत्या और उन्हें लूटने का दोषी माना गया था। शुरुआत में उन्होंने आरोपों से इनकार किया, लेकिन पुलिस का कहना था कि आखिरकार उन्होंने जुर्म कबूल कर लिया। सुनवाई के दौरान हाकामादा ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उनसे जबरन जुर्म कबूल कराया गया। हत्या के करीब एक साल बाद जांच अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने खून के धब्बों वाला कपड़ा बरामद किया है। इसे तब एक अहम सबूत माना गया बाद में अदालत ने कहा कि उसे जांच अधिकारियों ने ही रखवाया था।

मौत की आशंका में दशकों का इंतजार

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हाकामादा के वकीलों का कहना है कि 1966 में गिरफ्तारी से लेकर रिहाई तक उन्होंने जो कुछ झेला है उसके लिए यह मुआवजा काफी कम है। 2014 में मुकदमे की दोबारा सुनवाई की मंजूरी मिलने के बाद उनकी रिहाई हुई। हाकामादा के वकील हिदेयो ओगावा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "मेरा ख्याल है कि वह इसे स्वीकार करेंगे...उनकी मुश्किलों की इससे कुछ भरपाई हो सकेगी। हालांकि पिछले 47-48 वर्षों में जो मुश्किलें उन्होंने झेली हैं और इस हाल में पहुंचे हैं, यह दिखाता है कि अदालत ने जो गलतियां की हैं, उनकी 20 करोड़ येन से भरपाई नहीं होगी।"

जो आदमी चार दशक तक हिरासत में रहे और हर पल मौत की आशंका में बिताए उसकी हालत समझी जा सकती है। उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका काफी बुरा असर हुआ है। उनके वकीलों का कहना है कि "वह सपनों की दुनिया में जी रहे थे।"

जापान का न्याय तंत्र काफी सख्त

हाकामादा अब अपनी बहन के साथ रहते हैं और उन्हें अपने समर्थकों की मदद भी मिली है। जापान में किसी मामले की दोबारा सुनवाई बहुत कठिन है। अक्सर मौत की सजा का इंतजार कर रहे कैदियों को फांसी दिए जाने से महज कुछ घंटे पहले इसकी सूचना मिलती है। हाकामादा पांचवें ऐसे कैदी हैं, जिन्हें विश्वयुद्ध के बाद मौत की सजा के मुकदमों में दोबारा सुनवाई की मंजूरी मिली। इससे पहले के चार मामलों में भी कैदियों को मुकदमे से बरी किया गया। विकसित देशों में अमेरिका के अलावा जापान अकेला ऐसा लोकतांत्रिक देश है जहां अब भी मौत की सजा दी जाती है। 

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