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Weather Forcast: सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान, IMD ने जारी की बाढ़ और भूस्खलन की चेतावनी

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि सितंबर 2025 के लिए मासिक औसत वर्षा 167.9 मिलीमीटर के दीर्घकालिक औसत के 109 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है। इस मानसून मौसम में देश के कई हिस्सों में पहले ही भारी बारिश की वजह से आपदाएं आ चुकी हैं।

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Mukesh Pandit
weather 29 july 2025

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अगस्त में कोहराम मचा चुका मानसून सितंबर में भी जमकर बरसेगा। भारत में सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है। इस मानसून मौसम में देश के कई हिस्सों में पहले ही भारी बारिश की वजह से आपदाएं आ चुकी हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि सितंबर 2025 के लिए मासिक औसत वर्षा 167.9 मिलीमीटर के दीर्घकालिक औसत के 109 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है। पूर्वानुमान के अनुसार, अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक वर्षा होगी। हालांकि, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों, साथ ही सुदूर दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों और उत्तर-पश्चिमी भारत के हिस्सों में सामान्य से कम वर्षा होने का अनुमान है। 

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उत्तराखंड में भूस्खलन और अचानक बाढ़ की आशंका

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने चेतावनी दी कि भारी वर्षा से सितंबर में उत्तराखंड में भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ सकती है और दक्षिणी हरियाणा, दिल्ली और उत्तरी राजस्थान में सामान्य जनजीवन बाधित हो सकता है। उन्होंने कहा, उत्तराखंड से कई नदियां निकलती हैं। इसलिए, भारी बारिश का मतलब है कि कई नदियां उफान पर होंगी और इसका असर निचले इलाकों के शहरों और कस्बों पर पड़ेगा। इसलिए, हमें इसे ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में महानदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भी भारी बारिश का अनुमान है। 

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45 साल बाद सितंबर में बारिश में इतनी वृद्धि 

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महापात्र ने कहा कि 1980 के बाद से सितंबर में बारिश में मामूली वृद्धि का रुझान है, 1986, 1991, 2001, 2004, 2010, 2015 और 2019 में इस महीने में कम बारिश को छोड़कर। आईएमडी ने कहा कि सितंबर के दौरान पश्चिम-मध्य, उत्तर-पश्चिम और दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों में मासिक औसत अधिकतम तापमान सामान्य से लेकर सामान्य से नीचे रहने की उम्मीद है। हालांकि, पूर्व-मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम भारत और पश्चिमी तटीय क्षेत्र के कुछ इलाकों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। 

अगस्त में सामान्य से अधिक बरसात

आईएमडी के आंकड़े के अनुसार, एक जून से 31 अगस्त के बीच भारत में 743.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो 700.7 मिलीमीटर की दीर्घकालिक औसत से लगभग 6 प्रतिशत अधिक है। इसके अनुसार जून में 180 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से लगभग 9 प्रतिशत अधिक थी और उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में अच्छी-खासी बारिश हुई। जुलाई में 294.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से लगभग 5 प्रतिशत अधिक थी, जिसमें मध्य भारत में 22 प्रतिशत की अधिकता थी। अगस्त में 268.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 5.2 प्रतिशत अधिक थी। 

अगस्त में 265 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई

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महापात्र ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में अगस्त में 265 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो 2001 के बाद से इस महीने में सबसे अधिक और 1901 के बाद से 13वीं सबसे अधिक बारिश है। इस क्षेत्र में अब तक मानसून के तीनों महीनों में सामान्य से ज़्यादा बारिश हुई है। कुल मिलाकर, उत्तर-पश्चिम भारत में एक जून से 31 अगस्त के बीच 614.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य 484.9 मिलीमीटर से लगभग 27 प्रतिशत ज़्यादा है। आईएमडी के अनुसार, दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में अगस्त में 250.6 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से लगभग 31 प्रतिशत अधिक है। यह 2001 के बाद से इस महीने में तीसरी सबसे अधिक और 1901 के बाद से आठवीं सबसे अधिक वर्षा है।

चरम मौसम संबंधी घटनाएं भी हुईं

कुल मिलाकर, इस क्षेत्र में एक जून से 31 अगस्त के बीच 556.2 मिलीमीटर की सामान्य वर्षा की तुलना में 607.7 मिलीमीटर वर्षा हुई, जो 9.3 प्रतिशत अधिक है। असामान्य रूप से अधिक वर्षा के साथ-साथ कई चरम मौसम संबंधी घटनाएं भी हुईं। पंजाब में दशकों में सबसे भीषण बाढ़ आई, जिसमें उफनती नदियां और टूटी नहरें हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि में जलमग्न हो गईं और लाखों लोग विस्थापित हो गए। हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ के कारण भूस्खलन हुआ और जान-माल का व्यापक नुकसान हुआ। 

पश्चिमी विक्षोभ की वजह से अधिक बारिश

आईएमडी ने इस अतिरिक्त वर्षा के लिए सक्रिय मानसून को दिया, जिसे लगातार पश्चिमी विक्षोभों का समर्थन प्राप्त हुआ, जिससे क्षेत्र में अधिक वर्षा हुई। महापात्र ने कहा कि 28 जुलाई से 14 अगस्त के बीच सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण पश्चिमी हिमालय और आसपास के मैदानी इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई, जिससे 5 अगस्त को उत्तरकाशी में अचानक बाढ़ और भूस्खलन हुआ और उत्तर प्रदेश एवं बिहार में नदियों में बड़ी बाढ़ आई। उन्होंने कहा कि 14 अगस्त से मानसून तेजी से सक्रिय हुआ और महीने के उत्तरार्ध में चार निम्न-दाब प्रणालियों ने 15 दिनों तक सक्रिय स्थिति बनाए रखी। 

पंजाब और हरियाणा में भारी से बहुत भारी वर्षा 

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आईएमडी प्रमुख ने कहा कि लगातार सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और तेज़ मानसूनी हवाओं के कारण 21 से 27 अगस्त के बीच उत्तर-पश्चिम भारत और आसपास के पश्चिमी हिमालयी राज्यों में "बेहद और असाधारण रूप से भारी वर्षा" हुई। उन्होंने कहा कि 22 से 24 अगस्त तक पूर्वी राजस्थान में और 23 से 26 अगस्त तक पंजाब और हरियाणा में भारी से बहुत भारी वर्षा हुई, जबकि 23 से 27 अगस्त तक जम्मू कश्मीर के कटरा में भूस्खलन और जम्मू, पंजाब तथा राजस्थान के कुछ हिस्सों में भीषण बाढ़ आई। बीस अगस्त को कोंकण और मध्य महाराष्ट्र के घाटों में, 23 अगस्त को पूर्वी राजस्थान में, 27 अगस्त को जम्मू क्षेत्र में और 28 अगस्त को तेलंगाना में भी असाधारण रूप से भारी वर्षा दर्ज की गई। : delhi weather news | delhi weather today | IMD Weather Updates | IMD Weather Warning | imd weather forecast today | Himachal Weather Update not present in content

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