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इस सदी में युवा, जो विश्व की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, अनगिनत अवसरों के साथ-साथ कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 15 से 24 वर्ष की आयु के 1.2 अरब युवा हैं, जो वैश्विक आबादी का 16 प्रतिशत हैं। भारत जैसे विकासशील देशों में युवा आबादी और भी अधिक है, जहां वे राष्ट्र निर्माण की रीढ़ हैं। हालांकि, बेरोजगारी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, पर्यावरणीय संकट और सोशल मीडिया का दबाव जैसी चुनौतियां उन्हें प्रभावित कर रही हैं। ये चुनौतियां न केवल व्यक्तिगत विकास को बाधित करती हैं, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था पर भी असर डालती हैं।
कब हुई इस दिवस की स्थापना
संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, 'अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस' का विचार पहली बार 1991 में वियना, ऑस्ट्रिया में आयोजित संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के विश्व युवा मंच के पहले सत्र में युवाओं द्वारा प्रस्तावित किया गया था। मंच ने युवा संगठनों के साथ साझेदारी में संयुक्त राष्ट्र युवा कोष को समर्थन देने और जागरूकता बढ़ाने के लिए 'अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस' की स्थापना की सिफारिश की थी
महासभा ने सुझाव दिया कि इस दिन को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जाएं, ताकि 1996 में अपनाए गए युवाओं के लिए विश्व कार्यक्रम के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। इसके अलावा, सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2250 (9 दिसंबर 2015) शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में युवाओं की भूमिका को मान्यता देता है। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 2025 की थीम- "प्रौद्योगिकी और साझेदारी के माध्यम से बहुपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाते युवा"
शिक्षा प्रणाली की चुनौतियां
भारतीय शिक्षा प्रणाली अभी भी काफी हद तक रटने और सैद्धांतिक ज्ञान पर आधारित है। यह प्रणाली व्यावहारिक कौशल, रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने में विफल रही है। इसके अलावा, शिक्षा की गुणवत्ता में भी भारी असमानता है, जहां कुछ लोग अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं, वहीं ग्रामीण और गरीब पृष्ठभूमि के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है।
जहां एक ओर इंटरनेट और स्मार्टफोन ने कई अवसर खोले हैं, वहीं दूसरी ओर डिजिटल डिवाइड भी बढ़ गया है। शहरों में जहाँ युवा आसानी से डिजिटल संसाधनों का उपयोग कर पाते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की धीमी गति, उपकरणों की कमी और डिजिटल साक्षरता की कमी के कारण लाखों युवा इन अवसरों से वंचित रह जाते हैं। यह असमानता शिक्षा, रोजगार और सूचना तक पहुँच को प्रभावित करती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव
आज भी भारतीय समाज में युवाओं को पारंपरिक मूल्यों और सामाजिक अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। करियर का चुनाव, विवाह और व्यक्तिगत जीवन से जुड़े फैसलों पर अक्सर परिवार और समाज का दबाव रहता है। यह दबाव युवाओं को अपनी पसंद के रास्ते चुनने से रोकता है और उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित करता है।
भारतीय युवाओं की चुनौतियां
भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। हर साल लाखों युवा कॉलेज से डिग्री लेकर निकलते हैं, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती। इसका मुख्य कारण है कुशलता की कमी और रोजगार के अवसरों की असमानता। पारंपरिक शिक्षा प्रणाली अक्सर युवाओं को उद्योग की ज़रूरतों के हिसाब से तैयार नहीं करती। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र से शहरों की ओर पलायन ने भी शहरों में रोजगार की तलाश करने वालों की संख्या बढ़ा दी है, जिससे प्रतिस्पर्धा और बढ़ गई है। International Youth Day | announcement for youth | Indian youth voice | Indian Youth Power | jobs for youth