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इसरायल से संघर्ष के बीच ईरान में खुफिया एजेंसी मोसाद के जासूस को दी गई फांसी

इसरायल से संघर्ष के बीच ईरान ने सोमवार को इस्माइल फेकरी नामक व्यक्त को फांसी दे दी। इस पर इसरायल की खतरनाक खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए जासूसी करने का आरोप था।  ईरानी न्यूज एजेंसी के मुताबिक, फेकरी को पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। 

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Mukesh Pandit
Mossad Spy

तेहरान, वाईबीएन डेस्क।इसरायल से संघर्ष के बीच ईरान ने सोमवार को इस्माइल फेकरी नामक व्यक्त को फांसी दे दी। इस पर इसरायल की खतरनाक खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए जासूसी करने का आरोप था।  ईरानी न्यूज एजेंसी के मुताबिक, फेकरी को पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। उस पर मोसाद के दो एजेंटों के संपर्क में रहकर ईरान की संवेदनशील खुफिया जानकारी साझा करने का आरोप था। कई महीनों की जांच और कानूनी प्रक्रिया के बाद, उसे फांसी की सजा दी गई। यह हाल के हफ्तों में मोसाद से संबंधित आरोपों में ईरान द्वारा दी गई तीसरी फांसी थी।

फ़ेकरी पर 'पृथ्वी पर भ्रष्टाचार' और जासूसी के आरोप

न्यायपालिका की मिज़ान ऑनलाइन समाचार वेबसाइट ने कहा, "मोसाद एजेंट इस्माइल फ़ेकरी को 'पृथ्वी पर भ्रष्टाचार' और 'मोहरेबेह' (भगवान के खिलाफ युद्ध छेड़ने) के गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था, उसे आपराधिक प्रक्रिया की पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद फांसी पर लटका दिया गया।" मिज़ान ने कहा कि सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होने और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फैसले को बरकरार रखने के बाद फांसी दी गई। ईरानी मीडिया ने बताया कि तेहरान के पश्चिम में अल्बोरज़ प्रांत में पुलिस ने मोसाद से संबंध रखने के संदेह में दो लोगों को गिरफ़्तार किया है। उसी दिन बाद में, इज़राइल ने कहा कि उसने ईरान की खुफिया सेवाओं के लिए काम करने के संदेह में दो नागरिकों को गिरफ़्तार किया है। दशकों की दुश्मनी और लंबे समय तक चले छाया युद्ध के बाद, इज़राइल ने शुक्रवार को एक आश्चर्यजनक हमला किया, जिसके बारे में उसका कहना है कि यह ईरान की परमाणु और सैन्य सुविधाओं को निशाना बना रहा है।

इन लोगों को दी जा चुकी है फांसी

ईरान ने हाल के वर्षों में मोसाद से जुड़े कई अन्य लोगों को भी फांसी दी है। ईरान में इस्माइल फेकरी और अन्य को फांसी देना इजरायल और ईरान के बीच चल रही खुफिया जंग का हिस्सा है। मोसाद अपनी उन्नत तकनीक, गुप्त नेटवर्क, और साहसिक ऑपरेशनों के लिए जानी जाती है, लेकिन इसकी कुछ असफलताएं भी चर्चा में रही हैं। यह एजेंसी इजरायल की सुरक्षा के लिए दुश्मन देशों में गहरी पैठ बनाकर काम करती है, जिससे यह दुनिया की सबसे प्रभावशाली खुफिया एजेंसियों में से एक है।

पेड्राम मदनी: 2020 में तेहरान से गिरफ्तार, इस व्यक्ति को जासूसी और वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोप में 2025 में फांसी दी गई। वह कथित तौर पर यूरोप से बिटकॉइन और यूरो के जरिए धन प्राप्त करता था और मोसाद के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल था।
मोहसिन लैंगरनेशिन: 2020 से 2022 तक मोसाद को तकनीकी और ऑपरेशनल सहायता देने के आरोप में फांसी दी गई।
चार अन्य व्यक्ति: दिसंबर 2023 में, मोसाद से संबंध के आरोप में तीन पुरुषों और एक महिला को फांसी दी गई थी।

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इसरायल की मोसाद कैसे काम करती है?

मोसाद (इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस) इजरायल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है, जिसे दुनिया की सबसे प्रभावी और रहस्यमयी जासूसी एजेंसियों में से एक माना जाता है। इसका गठन 13 दिसंबर 1949 को इजरायल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन के आदेश पर हुआ था। मोसाद का मुख्य उद्देश्य इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना, आतंकवाद का मुकाबला करना, और दुश्मन देशों की गतिविधियों पर नजर रखना है।

1. संगठन और संरचना
मोसाद इजरायल की खुफिया तिकड़ी का हिस्सा है, जिसमें अमान (सैन्य खुफिया) और शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा) भी शामिल हैं। इसका मुख्यालय तेल अवीव में है, और यह सीधे इजरायली प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।

विभाग: मोसाद के छह प्रमुख विभाग हैं:

कलेक्शन डिपार्टमेंट: जासूसी और सूचना संग्रह।
पॉलिटिकल एक्शन एंड लाइजन डिपार्टमेंट: मित्र देशों और अन्य खुफिया एजेंसियों के साथ सहयोग।
स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन: हत्याएं, तोड़फोड़, और गुप्त अभियान।
अन्य विभागों में तकनीकी संचालन, साइकॉलॉजिकल वॉरफेयर, और अनुसंधान शामिल हैं।
कर्मचारी और बजट: मोसाद में लगभग 7,000 कर्मचारी कार्यरत हैं, और इसका वार्षिक बजट करीब 2.8 बिलियन डॉलर (लगभग 23,000 करोड़ रुपये) है। नेतृत्व: वर्तमान में डेविड बार्निया मोसाद के निदेशक हैं, जिन्होंने जून 2021 में यह जिम्मेदारी संभाली।

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2. एजेंटों की भर्ती और प्रशिक्षण

मोसाद अपने एजेंटों को सावधानीपूर्वक चुनता है। 

कात्सा (Katsa): ये खुफिया अधिकारी होते हैं, जो ऑपरेशनों का नेतृत्व करते हैं और सूचनाएं एकत्र करते हैं।
किडॉन (Kidon): यह मोसाद का विशेष हत्यारा दस्ता है, जो लक्षित हत्याओं को अंजाम देता है। इन्हें दो साल की गहन प्रशिक्षण दिया जाता है।
चयन प्रक्रिया: एजेंटों को बुद्धिमत्ता, भाषाई कौशल, और मनोवैज्ञानिक स्थिरता के आधार पर चुना जाता है। कई बार विदेशी नागरिकों को भी भर्ती किया जाता है, जैसे एली कोहेन, जिन्होंने सीरिया में जासूसी की थी।

3. प्रमुख ऑपरेशन और कार्यशैली

मोसाद अपनी गुप्त और सटीक कार्रवाइयों के लिए प्रसिद्ध है। इसके कुछ उल्लेखनीय ऑपरेशन:

लक्षित हत्याएं: 2020 में ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की हत्या, जिसमें रिमोट-कंट्रोल्ड मशीन गन और AI का उपयोग किया गया।
1996 में हमास के बम विशेषज्ञ याहया अयाश की हत्या, जिसमें उनके मोबाइल फोन में विस्फोटक लगाया गया।
गुप्त अभियान:1960 में नाजी युद्ध अपराधी एडोल्फ एकमैन का अर्जेंटीना से अपहरण।
ईरान में गुप्त ड्रोन बेस स्थापित करना, जिससे 2025 में तेहरान के पास बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चरों को नष्ट किया गया।
जासूसी नेटवर्क: मोसाद ने ईरान, सीरिया, और लेबनान जैसे देशों में गहरी पैठ बनाई है। उदाहरण के लिए, 2018 में ईरानी परमाणु दस्तावेज चुराए गए।
तकनीकी नवाचार: मोसाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, माइक्रो रोबोट, और रिमोट-कंट्रोल सिस्टम का उपयोग करता है।

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4. कार्यक्षेत्र और रणनीति

मोसाद का मुख्य ध्यान इजरायल के शत्रु देशों (जैसे ईरान, सीरिया, लेबनान) और आतंकी संगठनों (हमास, हिजबुल्लाह) पर होता है। इसकी रणनीतियां:

साइकॉलॉजिकल वॉरफेयर: दुश्मनों के बीच भ्रम फैलाने के लिए प्रचार और मीडिया का उपयोग।
काउंटर-इंटेलिजेंस: अन्य देशों के जासूसों को पकड़ना और निष्क्रिय करना।
सर्जिकल स्ट्राइक: सटीक हमले, जैसे लेबनान में पेजर बम हमले।
गुप्त नेटवर्क: मोसाद ने दुश्मन देशों में गुप्त ठिकाने और ड्रोन बेस स्थापित किए हैं।

5. मोसाद की असफलताएं

1997 में खालिद मिशाल की हत्या का असफल प्रयास: जॉर्डन में मोसाद एजेंट पकड़े गए, जिससे कूटनीतिक संकट पैदा हुआ।
1954 का लावोन अफेयर: मिस्र में बम हमलों की योजना विफल हुई, जिससे इजरायल की किरकिरी हुई।
2023 में हमास हमला: मोसाद गाजा से हमास के हमले की भविष्यवाणी करने में असफल रहा।

6. मोसाद की खासियत

रहस्यमयता: मोसाद की आंतरिक संरचना और ऑपरेशन गोपनीय होते हैं।
तकनीकी श्रेष्ठता: AI, ड्रोन, और साइबर तकनीकों का उपयोग।
वैश्विक पहुंच: मोसाद ने दमिश्क, तेहरान, पेरिस, और बगदाद जैसे शहरों में ऑपरेशन किए हैं।
नैतिकता पर विवाद: लक्षित हत्याएं और गुप्त ऑपरेशन नैतिकता पर सवाल उठाते हैं।

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