नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। न्यायमूर्ति गवई को राष्ट्रपति भवन में एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई। उन्होंने हिंदी में शपथ ली। उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली है जो 65 वर्ष की आयु होने पर मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए। न्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उनका कार्यकाल छह महीने से अधिक समय का होगा और वह 23 नवंबर तक पद पर रहेंगे।
गवई का करियर अत्यंत प्रेरणादायक
समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह सहित प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। न्यायमूर्ति गवई का करियर अत्यंत प्रेरणादायक रहा है। उनका जन्म 24 नवंबर, 1960 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की और 1985 में वकालत शुरू की। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत के दौरान कई महत्वपूर्ण मामलों में हिस्सा लिया। 2003 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया, और 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। उनकी नियुक्ति ने सामाजिक विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले प्रमुख न्यायाधीशों में से एक हैं।
शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं
न्यायमूर्ति गवई ने अपने कार्यकाल में संवैधानिक और सामाजिक न्याय से जुड़े मामलों पर विशेष ध्यान दिया। वे निष्पक्षता, पारदर्शिता और कानून के शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। उनके निर्णयों में सामाजिक समानता, अल्पसंख्यक अधिकारों और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता झलकती है। बतौर सीजेआई, उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे न्यायिक सुधारों को बढ़ावा देंगे, खासकर मुकदमों के बैकलॉग को कम करने और तकनीक के उपयोग को बढ़ाने में।
सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक मूल्यों को मजबूत किया
उनके शपथ ग्रहण के अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनकी नियुक्ति का स्वागत किया। यह माना जा रहा है कि उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट न केवल संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करेगा, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल 23 मई, 2026 तक रहेगा, और इस दौरान उनके नेतृत्व में भारतीय न्यायपालिका नई ऊंचाइयों को छूने की उम्मीद है।