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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।कई बार देखने में आया है कि पवित्र पेशे की आड़ में चिकित्सक जैसे लोग भी घिनौने काम में लग जाते हैं। दिल्ली पुलिस ने ऐसे 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो गोद लेने के फर्जी कागजात का तैयार करके कर माता-पिता द्वारा अनचाहे शिशुओं को निःसंतान दंपतियों को 1.8 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये के बीच बेचे देते थे। गिरफ्तार लोगों में पेशे से चिकित्सक भी शामिल है। पुलिस ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों से एक वर्ष से कम आयु के छह शिशुओं को बचाया गया। गिरफ्तार लोगों में मुख्य आरोपी सुंदर (35) भी शामिल है, जो कथित तौर पर बिचौलिए का काम करता था।
चिकित्सा प्रतिनिधि कॉर्डिनेटर की भूमिका निभाता था
पुलिस के अनुसार, सुंदर चिकित्सा प्रतिनिधि (एमआर) के रूप में काम करता था और बच्चों के माता-पिता तथा संभावित खरीदारों के बीच समन्वय स्थापित करता था। अन्य आरोपियों में एक डॉक्टर भी शामिल है, जिसकी पहचान कमलेश कुमार (33) के रूप में हुई है और वह आगरा जिले के फतेहाबाद कस्बे में स्थित केके अस्पताल का मालिक है। पुलिसकर्मियों ने कमलेश को पकड़ लिया, जो मरीज़ बनकर उसके क्लिनिक में गए थे। इस मामले में दो बहनें कृष्णा (28) और प्रीति (30) भी आरोपी हैं।
चिकित्सक की बहनें भी गोरखधंधे में शामिल
कृष्णा बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) पाठ्यक्रम की अंतिम वर्ष की छात्रा है और प्रीति बीएएमएस की डिग्री पूरी कर चुकी है। उनकी मां नर्स का काम करती है और दोनों बहनों पर अनचाहे बच्चों को जन्म देने में भी शामिल होने का आरोप है। पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पूर्वी) हेमंत तिवारी ने बताया कि मामला 22 अगस्त को तब सामने आया जब ईंट भट्टे पर काम करने वाले उत्तर प्रदेश के बांदा निवासी सुरेश ने शिकायत दर्ज कराई कि उसका सबसे छोटा बेटा देर रात आईएसबीटी सराय काले खां से लापता हो गया है। अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ बहरोड़ जा रहा सुरेश आराम करने के लिए आईएसबीटी पर रुका था। उसने बताया कि जब परिवार प्लेटफॉर्म नंबर दो पर सो रहा था तो रात करीब 11 बजे उन्हें पता चला कि उनका छह महीने का बच्चा गायब है। सनलाइट कॉलोनी थाने में अपहरण और तस्करी से संबंधित भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं के साथ-साथ किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया।
आईएसबीटी से बच्चे का अपहरण किया था
टीम ने आईएसबीटी की सीसीटीवी फुटेज खंगाली और संदिग्धों को बस स्टैंड से बच्चे को ले जाते हुए देखा। अधिकारी ने कहा, सीसीटीवी में दो लोग संदिग्ध हालत में एक बच्चे को ले जाते हुए दिखाई दे रहे थे। हालांकि, आईएसबीटी से बाहर निकलने के बाद हमें कोई सुराग नहीं मिला। हमने उस दौरान इलाके में सक्रिय मोबाइल नंबर को खंगाला और ऐसे चार-पांच नंबर पर ध्यान केंद्रित किया। तकनीकी निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर पुलिस उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद के पिनाहट पहुंची, जहां संदिग्धों में से एक को गिरफ्तार कर लिया गया जिसकी पहचान वीरभान (30) के रूप में हुई। पूछताछ के दौरान, वीरभान ने कथित तौर पर खुलासा किया कि उसने अपने ससुर कालीचरण (45) के साथ मिलकर रामबरन नाम के एक व्यक्ति के इशारे पर बच्चे का अपहरण किया था, जिसने उन्हें लगभग पांच से छह महीने के बच्चे के बदले पैसे देने का वादा किया था।
अपराध के लिए 50-50 हज़ार रुपये
पुलिस के अनुसार इसके बाद, आरोपी बच्चे को केके अस्पताल ले गया, जहां डॉ. कमलेश कथित तौर पर तस्करी की इस कड़ी में एक अहम कड़ी था। पुलिस ने बताया कि डॉक्टर ने तीनों को इस अपराध के लिए 50-50 हज़ार रुपये दिए थे। इसके बाद पुलिस मरीज बनकर अस्पताल परिसर में घुस गई, जहां एक पुलिसकर्मी ने हृदय रोगी होने का नाटक किया, जबकि दो अन्य ने तीमारदार बनकर डॉक्टर से इलाज करने का आग्रह किया। जब डॉक्टर ने उन्हें अपने कक्ष में बुलाया, तो टीम ने उसे पकड़ लिया। पूछताछ में कथित तौर पर पता चला कि अपहृत बच्चे को फिरोजाबाद निवासी सुंदर नाम के एक व्यक्ति को बेच दिया गया था। सुंदर को उत्तर प्रदेश-राजस्थान सीमा पर लगभग 50 किलोमीटर तक पीछा करने के बाद पकड़ा गया, जब वह अस्पताल में पुलिस की छापेमारी की खबर सुनकर भागने की कोशिश कर रहा था। सुंदर ने कथित तौर पर पुलिस को बताया कि उसने शिशु को आगरा में कृष्णा शर्मा और प्रीति शर्मा नामक एक दंपति को बेच दिया था। उनके घर पर छापा मारा गया, जिससे अपहृत शिशु बरामद हो गया और उसे उसके माता-पिता को सौंप दिया गया।
तस्करी किए गए बच्चों के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा
दंपति को गिरफ्तार कर लिया गया और उनसे पूछताछ के बाद पुलिस को तस्करी किए गए बच्चों के एक बड़े नेटवर्क का पता चला। पुलिस ने बताया कि बच्चे को बिचौलिया रितु के माध्यम से ज्योत्सना नाम की एक महिला को फिर से बेचा जाना था। पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने उत्तराखंड के नैनीताल में एक दंपति को एक और बच्चा बेचा था। इसके बाद, नैनीताल में छापेमारी की गई, जहां से तस्करी किए गए बच्चे को बरामद कर लिया गया। तकनीकी निगरानी के आधार पर रितु के घर का पता लगाया गया और उसे पकड़ लिया गया। इसके बाद आगरा और लखनऊ में छापेमारी की गई, जिससे ज्योत्सना की गिरफ्तारी हुई और आगरा के एक परिवार से दो महीने का बच्चा बरामद हुआ, जिसे उसने कथित तौर पर बच्चा बेचा था।
कई बच्चों को बेचा था, जिनमें 10 दिन का बच्चा भी शामिल
सुंदर द्वारा अपनी संलिप्तता उजागर करने के बाद रुबीना अग्रवाल उर्फ रचिता मित्तल नामक एक अन्य महिला को गिरफ्तार कर लिया गया। उसने कथित तौर पर कई बच्चों को बेचा था, जिनमें 10 दिन का एक बच्चा भी शामिल था, जिसे आगरा के एक अन्य परिवार से मुक्त कराया गया। आगे की जांच से पता चला कि सुंदर ने कथित तौर पर एक अन्य आरोपी निखिल से एक साल की बच्ची भी प्राप्त की थी और उसे फतेहाबाद के एक परिवार को बेच दिया था। बच्ची को बचा लिया गया और निखिल को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस का मानना है कि इस मामले से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हैदराबाद, चेन्नई और उत्तराखंड में सक्रिय तस्करों के एक संगठित नेटवर्क का पता चला है, जो बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर कमजोर परिवारों को निशाना बनाकर पैसों के लिए बच्चों को बेचते हैं। चार आरोपियों - वीरभान, कालीचरण, प्रीति शर्मा और ज्योत्सना को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि सुंदर, डॉ. कमलेश, रितु, कृष्णा शर्मा और रुबीना सहित अन्य आरोपियों को पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में रखा गया है। : Crime | crimenews | crime latest story | Crime in India n