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आमतौर पर मानसून सीजनमें टूरिज्म को सुरक्षा की दृष्टि से सही नहीं माना दाता है, क्योंकि भारी बारिश, बाढ़, और लैंडस्लाइड जैसी प्राकृतिक आपदाएं यात्रा को जोखिम भरा बनाती थीं। परंतु इस बार ‘जेनरेशन जेड’और ‘मिलेनियल’इस मौसम में बढ़चढ़ कर यात्रा कर रहे हैं। मानसून के दौरान हिल स्टेशनों, तटीय क्षेत्रों, और प्राकृतिक स्थलों की यात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने तथा इस समय कम खर्च और कम भीड़ के चलते मानसून में पर्यटन बढ़ रहा है।
मानसून यात्रा की बढ़ती लोकप्रियता
लोनावला, खंडाला, मुन्नार, और शिलांग जैसे गंतव्य मानसून में अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। इन स्थानों पर हरियाली, झरनों की गूंज, और ठंडी हवा पर्यटकों को आकर्षित करती है। उदाहरण के लिए, शिलांग में उमियम झील और मुन्नार में चाय के बागान मानसून में और भी आकर्षक हो जाते हैं, जिससे ये स्थान इन पीढ़ियों के लिए पसंदीदा बनते हैं। थॉमस कुक (इंडिया) के अध्यक्ष और देश प्रमुख (अवकाश, एमआईसीई, वीजा) राजीव काले ने कहा, ''पारंपरिक रूप से यात्रा के लिए कम पसंद किया जाने वाला मौसम होने के बावजूद मानसून घूमने का आनंद लेने और बैकवॉटर से लेकर वन्यजीव सफारी, बाइकिंग ट्रेल्स, आध्यात्मिक सर्किट और आयुर्वेद उपचार तक के विशेष ऑफर के साथ रियायती दरों पर यात्रा का सही समय है।''
कौन हैं जेनरेशन जेड’और ‘मिलेनियल’
हाल के वर्षों में भारत में मानसून सीजन के दौरान यात्रा करने का चलन ‘जेनरेशन जेड’ (1997-2012 में जन्मे) और ‘मिलेनियल’ (1981-1996 में जन्मे) के बीच तेजी से बढ़ रहा है। यह बदलाव न केवल पर्यटन उद्योग में एक नया रुझान दर्शाता है, बल्कि यह इन पीढ़ियों की प्राथमिकताओं, जीवनशैली और आर्थिक कारकों को भी उजागर करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस चलन के पीछे कई कारण हैं, जिनमें पर्यावरण के प्रति जागरूकता, लागत-प्रभावी यात्रा विकल्प, और सोशल मीडिया का प्रभाव शामिल हैं। वर्ष 1981 से 1996 के बीच जन्मे लोगों को मिलेनियल और 1997 से 2012 के बीच जन्मे लोगों को जेनरेशन जेड कहा जाता है।
थॉमस कुक (इंडिया) के आंकड़ों के अनुसार, मानसून की छुट्टियों में भारत के युवाओं, कामकाजी पेशेवरों, युगल और सहकर्मियों की गहरी दिलचस्पी देखी जा रही है। एसओटीसी ट्रैवल के अध्यक्ष और देश प्रमुख (अवकाश एवं कॉरपोरेट यात्रा) एस डी नंदकुमार ने कहा कि अब छोटी अवधि की यात्रा अधिक लोकप्रिय हो रही हैं, क्योंकि लोग सप्ताहांत में इसकी योजना बना रहे हैं। लोग छोटी और नियमित छुट्टियां चाहते हैं।
इक्सिगो ग्रुप के सह-मुख्य कार्यपालक अधिकारी रजनीश कुमार ने भी कहा कि इस साल मानसून के मौसम में मांग में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस साल गर्मी में कश्मीर में अशांति के कारण लोग अब धूमने की योजना बना रहे हैं।
लागत-प्रभावी यात्रा
मानसून को ऑफ-सीजन माना जाता है, जिसके कारण होटल, उड़ानें, और पर्यटन पैकेज में भारी छूट मिलती है। ‘जेनरेशन जेड’ और ‘मिलेनियल’ अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बजट-अनुकूल यात्रा विकल्पों की तलाश करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये पीढ़ियाँ कीमतों में कमी का फायदा उठाने के लिए मानसून में यात्रा करना पसंद करती हैं।
प्राकृतिक सुंदरता और शांति
मानसून के दौरान पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों में प्रकृति अपनी पूरी शोभा में होती है। ‘जेनरेशन जेड’ और ‘मिलेनियल’ प्रकृति के साथ समय बिताने और शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर शांति की तलाश में इन स्थानों की ओर आकर्षित होते हैं। पर्यावरणविदों और पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि ये पीढ़ियाँ पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना चाहती हैं।
सोशल मीडिया का प्रभाव
सोशल मीडिया ने यात्रा के रुझानों को काफी हद तक प्रभावित किया है। ‘जेनरेशन जेड’ और ‘मिलेनियल’ इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसे प्लेटफार्मों पर मानसून की तस्वीरें और वीडियो साझा करने के लिए उत्साहित रहते हैं। बारिश में भीगते हुए या झरनों के पास की तस्वीरें सोशल मीडिया पर लोकप्रिय होती हैं, जो इन पीढ़ियों को मानसून यात्रा के लिए प्रेरित करती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, सोशल मीडिया ने यात्रा को एक स्टेटस सिंबल के रूप में स्थापित किया है।