Advertisment

National Workaholics Day: सावधान, काम का बोझ, कहीं आपकी जिंदगी के घंटे न कम कर दे

आज वर्कहॉलिक डे है, जो हर साल 5 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर उन लोगों को समर्पित है, जो हमेशा काम में व्यस्त रहते हैं और शायद ही कभी अपने लिए समय निकाल पाते हैं। यही काम करने का 'नशा' उन्हें वर्कहॉलिक बनाता है।

author-image
Mukesh Pandit
Workaholics day
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

माना कि जिंदगीमें काम करना बेहद जरूरी है। परंतु कई लोग ऐसे भी होते हैं, जिनका फोकस सिर्फ काम पर होता है। उन्हें काम के अलावा जिंदगी में और कुछ दिखाई ही नहीं देता। यही काम करने का 'नशा' उन्हें वर्कहॉलिक बनाता है। इसकी वजह से सेहत ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों पर भी इसका असर पड़ता है। वर्कहॉलिक होने से रुतबा, पैस कमाया जा सकता है, लेकिन परिवार, दोस्तों और सोशल लाइफ से भी दूर हो जाते हैं। सच्चाई यह है कि जीवन में यह भी आवश्यक है। पिछलों दिनों हमारे देश में काम के घंटों को लेकर बहस भी चली। आइए जानते हैं क्या है इस दिन का महत्व और कितने घंटे काम करना उचित है...

काम को ही प्राथमिकता देने वालों के लिए खास दिन

आज वर्कहॉलिक डे है, जो हर साल 5 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर उन लोगों को समर्पित है, जो हमेशा काम में व्यस्त रहते हैं और शायद ही कभी अपने लिए समय निकाल पाते हैं। सामान्य भाषा में कहें तो यह उन लोगों की मेहनत और समर्पण को पहचान देता है, जो अपने काम को इतनी प्राथमिकता देते हैं कि अक्सर अपनी निजी जिंदगी को नजरअंदाज कर देते हैं।

जीवन के अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना जरूरी

नेशनल वर्कहॉलिक्स डे, जरूरत से ज्यादा काम करने वाले लोगों को यह याद दिलाने के लिए है कि उन्हें समय निकालकर अपने जीवन के अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। वर्कहॉलिक आमतौर पर लंबी अवधि तक काम करते हैं और अक्सर 40 घंटे के सामान्य कार्यसप्ताह से कहीं अधिक समय तक काम करते हैं। ऐसे लोगों के लिए सप्ताह में 50-60 या उससे भी ज्यादा घंटे काम करना सामान्य बात है। हालांकि, इस तरह की कार्यशैली के गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं, जैसे कि तनाव, थकान, बर्नआउट और वर्क-लाइफ बैलेंस का अभाव।

ओवरवर्क करने से मानसिक और शारीरिक थकान

यह समझना बेहद जरूरी है कि काम के प्रति प्रतिबद्धता और मेहनत से सफलता जरूर मिलती है, लेकिन लगातार ओवरवर्क करने से मानसिक और शारीरिक थकान, स्वास्थ्य समस्याएं और रिश्तों में तनाव आ सकता है। अक्सर होता भी है कि ऐसे लोगों को व्यक्तिगत और भावनात्मक नुकसान का सामना करना पड़ता है। मसलन, नेशनल वर्कहॉलिक्स डे पर लोगों को यह प्रोत्साहन दिया जाता है कि वे रुकें, अपने काम करने के तरीकों पर विचार करें और जरूरत हो तो कुछ बदलाव करें, ताकि काम और निजी जीवन के बीच बेहतर संतुलन बना सकें।

1947 में हुआ वर्कहॉलिक' शब्द का इस्तेमाल

Advertisment

वर्कहॉलिक होने की अवधारणा मानव इतिहास में लंबे समय से मौजूद रही है। हालांकि नेशनल वर्कहॉलिक्स डे मनाने की शुरुआत को लेकर कोई आधिकारिक तथ्य नहीं हैं, लेकिन माना जाता है कि 16वीं शताब्दी के दौरान इसकी शुरुआत हुई थी। 'वर्कहॉलिक' शब्द का पहला प्रयोग 1947 में टोरंटो डेली स्टार में हुआ, लेकिन इसे 1968 में कॉमेडियन रॉडनी डेंजरफील्ड ने लोकप्रिय बनाया, जब उन्होंने अपने पिता के काम और शराब के प्रति रिश्ते को वर्णित किया। 16वीं शताब्दी में प्यूरिटन समुदाय ने काम को सामाजिक कर्तव्य और समृद्धि का स्रोत माना, जिसने आधुनिक वर्कहॉलिज्म की नींव रखी।

क्यों मनाया जाता है?

यह दिन उन लोगों को पहचानने और जागरूक करने का अवसर देता है जो काम को हर चीज से ऊपर रखते हैं। यह एक तरह की लत है, जिसे सामाजिक रूप से स्वीकार किया जाता है, लेकिन यह व्यक्तिगत जीवन को नुकसान पहुंचाती है। यह दिन लोगों को काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह सिखाता है कि काम महत्वपूर्ण है, लेकिन स्वास्थ्य और रिश्तों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

वर्क के सामान्य घंटे

भारत में, फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 और शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट्स एक्ट के अनुसार, एक सामान्य कार्य सप्ताह में 48 घंटे ( प्रति दिन 9 घंटे और सप्ताह में एक दिन अवकाश) निर्धारित हैं। हालांकि, निजी क्षेत्र में कई कर्मचारी, खासकर प्रबंधकीय भूमिकाओं में, इससे अधिक काम करते हैं। वैश्विक स्तर पर, सामान्य कार्य सप्ताह को 40 घंटे (प्रति दिन 8 घंटे, 5 दिन) माना जाता है। लेकिन वर्कहॉलिक्स अक्सर 50-60 घंटे या इससे भी अधिक काम करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

सप्ताह में कितने घंटे काम करना सही है?

Advertisment

आदर्श कार्य घंटे व्यक्तिगत परिस्थितियों, नौकरी की प्रकृति, और स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। 40-48 घंटे प्रति सप्ताह काम करना एक संतुलित कार्य सप्ताह माना जाता है, जो उत्पादकता और व्यक्तिगत जीवन के लिए समय देता है। नियमित ब्रेक और लचीले कार्य घंटे तनाव को कम करते हैं और मानसिक स्पष्टता बढ़ाते हैं। सप्ताह में 40-48 घंटे से अधिक काम करने से बचें। यदि अतिरिक्त काम जरूरी हो, तो सुनिश्चित करें कि यह अस्थायी हो और आत्म-देखभाल के लिए समय निकाला जाए। National Workaholics Day | work-life balance | mental health awareness | breaking health update | Digital health care | Health Awareness | Health Advice not present in content

Health Advice Health Awareness Digital health care breaking health update mental health awareness work-life balance National Workaholics Day
Advertisment
Advertisment