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वाशिंगटन, वाईबीएन डेस्क। भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद जिस तरह इसरायल एवं ईरान में भीषण जंग छिड़ी है, इसने परमाणु हथियारों को लेकर दुनिया में एक बार फिर नए सिरे से बहस छिड़ गई है। वर्तमान में नौ देश ऐसे हैं जो या तो खुद ये स्वीकार करते हैं कि उनके पास परमाणु हथियार हैं या ऐसा माना जाता है कि उनके पास ये हथियार मौजूद हैं। सबसे पहले परमाणु हथियार रखने वाले पांच मूल परमाणु हथियार संपन्न देश थे, अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन। इनमें से पांच देश—अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और चीन—परमाणु अप्रसार संधि (NPT)के तहत आधिकारिक तौर पर परमाणु हथियार संपन्न देश माने जाते हैं।
परमाणु हथियारों की दौड़
सच्चाई यह है कि परमाणु हथियारों की दौड़ और उनके आधुनिकीकरण ने वैश्विक सुरक्षा को जटिल बना दिया है। रूस और अमेरिका के पास सबसे बड़ा शस्त्रागार है, जबकि भारत और पाकिस्तान जैसे देश क्षेत्रीय संतुलन को प्रभावित करते हैं। परमाणु हथियारों का उपयोग न केवल विनाशकारी होगा, बल्कि यह वैश्विक कूटनीति और पर्यावरण पर भी गहरा प्रभाव डालेगा। इसलिए, परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
नौ देशों के पास परमाणु हथियार
दुनिया में नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं। ये हैं अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, और इसरायल। इन देशों को सामूहिक रूप से "न्यूक्लियर क्लब" के रूप में जाना जाता है। इनमें से पांच देश—अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और चीन—परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तहत आधिकारिक तौर पर परमाणु हथियार संपन्न देश माने जाते हैं। अन्य चार देश—भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, और इसरायल—NPTके सदस्य नहीं हैं, लेकिन इन्होंने परमाणु हथियार विकसित किए हैं।
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रूस के पास 5,500 से ज़्यादा परमाणु हथियार
रूस के पास सबसे ज़्यादा परमाणु हथियार हैं, जिसके पास 5,500 से ज़्यादा परमाणु हथियार हैं। अमेरिका के पास 5,044 परमाणु हथियार हैं, जो अमेरिका और 5 अन्य देशों: तुर्की, इटली, बेल्जियम, जर्मनी और नीदरलैंड में हैं। इन 2 देशों के पास मौजूद कुल परमाणु हथियार दुनिया के परमाणु हथियारों का लगभग 90% है। उत्तर कोरिया और इसरायल के पास मौजूद कुल वारहेड्स की संख्या अभी तक पुष्ट नहीं हुई है। हालांकि, यह अनुमान लगाया गया है कि उत्तर कोरिया के पास 40-50 अलग-अलग हथियार बनाने के लिए पर्याप्त विखंडनीय सामग्री है, जबकि इसरायल के पास 200 तक की सामग्री है, जबकि अनुमान है कि उसके पास 90 मौजूदा वारहेड्स हैं।
'एक परमाणु बम सैकड़ों हज़ारों लोगों को मार सकता है, जिसके मानवीय और पर्यावरणीय परिणाम स्थायी और विनाशकारी हो सकते हैं। अकेले न्यूयॉर्क पर सिर्फ़ एक परमाणु हथियार के विस्फोट से अनुमानित 583,160 मौतें होंगी।'
परमाणु हथियारों का वैश्विक प्रभाव
परमाणु हथियारों की मौजूदगी वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित करती है। NPT का उद्देश्य परमाणु प्रसार को रोकना था, लेकिन भारत, पाकिस्तान, और उत्तर कोरिया जैसे देशों ने इसे दरकिनार कर परमाणु हथियार विकसित किए। इसरायल की अस्पष्ट नीति और उत्तर कोरिया का आक्रामक रुख वैश्विक चिंता का विषय है। इसके अलावा, ईरान जैसे देशों के परमाणु कार्यक्रम पर भी नजर रखी जा रही है, जो भविष्य में परमाणु शक्ति संपन्न देशों की संख्या बढ़ा सकता है।
परमाणु हथियार संपन्न देश और उनकी स्थिति
रूस के पास दुनिया में सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के पास लगभग 5,500 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 1,718 तैनात हैं। रूस ने अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण जारी रखा है और बैलिस्टिक मिसाइलों और अन्य उन्नत प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में, रूस ने कई बार परमाणु हथियारों का उपयोग करने की धमकी दी है, जिससे वैश्विक तनाव बढ़ा है।
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संयुक्त राज्य अमेरिका:
अमेरिका के पास 5,177 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 1,770 तैनात हैं। अमेरिका ने 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले किए, जो इतिहास में इन हथियारों का एकमात्र युद्धक उपयोग है। अमेरिका अपने परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाए रखता है और नाटो सहयोगियों (तुर्की, इटली, बेल्जियम, जर्मनी, नीदरलैंड) में भी कुछ हथियार तैनात करता है।
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चीन:
चीन के पास अनुमानित 600 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 24 तैनात हैं। चीन ने हाल के वर्षों में अपने परमाणु शस्त्रागार को तेजी से बढ़ाया है, विशेष रूप से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों और पनडुब्बी-आधारित मिसाइलों पर ध्यान केंद्रित किया है। यह भारत और अन्य पड़ोसी देशों के लिए चिंता का विषय है।
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फ्रांस
फ्रांस के पास 290 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 280 तैनात हैं। फ्रांस ने 1960 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया और तब से अपने शस्त्रागार को सीमित लेकिन प्रभावी बनाए रखा है।
यूनाइटेड किंगडम:
यूनाइटेड किंगडम के पास 225 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 120 तैनात हैं। यूके ने अपने परमाणु हथियारों को पनडुब्बी-आधारित ट्राइडेंट मिसाइलों पर केंद्रित किया है।
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भारत:
भारत के पास 180 परमाणु हथियार हैं, जो इसे छठा सबसे बड़ा परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाता है। भारत ने 1974 में "स्माइलिंग बुद्धा" नाम से अपना पहला परमाणु परीक्षण किया और 1998 में पोखरण में पूर्ण परमाणु परीक्षण किए। भारत की नीति "नो फर्स्ट यूज" (पहले उपयोग न करना) है, लेकिन वह अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहा है, विशेष रूप से अग्नि-V जैसी मिसाइलों के साथ।
पाकिस्तान:
पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं। पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु परीक्षण किए और तब से अपने शस्त्रागार को बढ़ाने और आधुनिक बनाने में लगा है। भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में, पाकिस्तान ने कई बार परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दी है।
उत्तर कोरिया:
उत्तर कोरिया के पास अनुमानित 50-70 परमाणु हथियार हैं। उत्तर कोरिया ने 2003 में NPT से हटने के बाद 2006 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। इसका परमाणु कार्यक्रम वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा माना जाता है।
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इसरायल:
इसरायल के पास अनुमानित 90 परमाणु हथियार हैं, हालांकि यह आधिकारिक तौर पर अपने परमाणु कार्यक्रम को स्वीकार नहीं करता और "जानबूझकर अस्पष्टता" की नीति अपनाता है।
वैश्विक परमाणु हथियारों की संख्या और स्थिति
SIPRI और फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) के अनुसार, 2025 में दुनिया में कुल 12,121 से 12,331 परमाणु हथियार हैं। इनमें से लगभग 9,585 सैन्य भंडार में हैं, और 3,904 मिसाइलों और विमानों के साथ तैनात हैं। रूस और अमेरिका के पास वैश्विक परमाणु हथियारों का लगभग 90% हिस्सा है।
सभी परमाणु शक्ति संपन्न देश अपने शस्त्रागार को आधुनिक बनाने में लगे हैं।
भारत, पाकिस्तान, और उत्तर कोरिया बैलिस्टिक मिसाइलों पर कई हथियार तैनात करने की क्षमता (MIRV) विकसित कर रहे हैं, जो पहले केवल रूस, अमेरिका, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, और हाल ही में चीन के पास थी। यह आधुनिकीकरण वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ाता है, विशेष रूप से क्षेत्रीय तनावों (जैसे भारत-पाकिस्तान, रूस-यूक्रेन, और चीन-ताइवान) के संदर्भ में।