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'एआई के युग में हर सप्ताह टेक्नोलॉजी अपडेट होती है', ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने इंडोनेशिया के ब्रिक्स परिवार से जुड़ने पर राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो को भारत की ओर से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मापदंडों का शिकार होता रहा। 

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Mukesh Pandit
Brics Sumit
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रियो डी जेनेरियो,आईएएनएस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों पांच देशों की यात्रा पर हैं। वह अपनी यात्रा के चौथे पड़ाव में ब्राजील पहुंचे हैं, जहां उन्होंने रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शिरकत की। उन्होंने सम्मेलन के शानदार आयोजन के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा का हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रिक्स के अंतर्गत सहयोग को नई गति और उर्जा मिली है, और इसके लिए राष्ट्रपति लूला की दूरदर्शिता तथा उनकी अटूट प्रतिबद्धता की सराहना की। 

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ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मापदंडों का शिकार होता रहा

प्रधानमंत्री मोदी ने इंडोनेशिया के ब्रिक्स परिवार से जुड़ने पर राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो को भारत की ओर से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मापदंडों का शिकार होता रहा। चाहे विकास की बात हो, संसाधनों का वितरण हो या सुरक्षा से जुड़े विषय हों, ग्लोबल साउथ के हितों को प्राथमिकता नहीं मिली है। जलवायु वित्त, सतत विकास और प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर ग्लोबल साउथ को कभी कुछ नहीं मिला।

बिना ग्लोबल साउथ के ये संस्थाएं वैसी ही लगती हैं, जैसे मोबाइल में सिम 

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उन्होंने कहा कि 20वीं सदी में बने वैश्विक संस्थानों में मानवता के दो-तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। जिन देशों का आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है, उन्हें निर्णय लेने के मंच पर नहीं बिठाया गया है। यह केवल प्रतिनिधित्व का प्रश्न नहीं है, बल्कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी प्रश्न है। बिना ग्लोबल साउथ के ये संस्थाएं वैसी ही लगती हैं, जैसे मोबाइल में सिम तो है, पर नेटवर्क नहीं। ये संस्थान 21वीं सेंचुरी की चुनौतियों से निपटने में असमर्थ हैं। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्ष हों, महामारी हों, आर्थिक संकट हों, या साइबर और स्पेस में नई उभरती चुनौतियों को लेकर इन संस्थानों के पास कोई समाधान नहीं है।

 विश्व को नए बहुध्रुवीय एवं समावेशी विश्व व्यवस्था की जरूरत

पीएम मोदी ने कहा कि आज विश्व को नए बहुध्रुवीय एवं समावेशी विश्व व्यवस्था की जरूरत है। इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थानों में व्यापक सुधार से करनी होगी। सुधार केवल प्रतीकात्मक नहीं होने चाहिए, बल्कि इनका वास्तविक असर भी दिखना चाहिए। शासन संरचना, मतदान अधिकार और नेतृत्व पद में बदलाव आना चाहिए। ग्लोबल साउथ के देशों की चुनौतियों को पॉलिसी मेकिंग में प्राथमिकता देनी चाहिए।

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नए मित्रों का जुड़ना, इस बात का प्रमाण है 

उन्होंने कहा कि ब्रिक्स का विस्तार, नए मित्रों का जुड़ना, इस बात का प्रमाण है कि ब्रिक्स एक ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की क्षमता रखता है। अब यही इच्छा शक्ति हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, डब्ल्यूटीओ और बहुपक्षीय विकास बैंक जैसे संस्थानों में रिफॉर्म के लिए दिखानी होगी। एआई के युग में हर सप्ताह टेक्नोलॉजी अपडेट होती है। ऐसे में ग्लोबल इन्स्टिट्युशन का 80 वर्ष में एक बार भी अपडेट न होना स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की सॉफ्टवेयर को 20वीं सदी के टाइप राइट्स से नहीं चलाया जा सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने सदैव अपने हितों से ऊपर उठकर मानवता के हित में काम करना अपना दायित्व समझा है। हम ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर सभी विषयों पर रचनात्मक योगदान देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

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