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PM Podcast: मोदी ने कहा, बचपन बेहद गरीबी में बीता, पिता की चाय की दुकान से सीखे जीवन के सबक

PM ने याद किया कि कैसे उनके पिता देर रात तक अथक परिश्रम करते थे और उनकी मां यह सुनिश्चित करती थीं कि बच्चों को कभी भी परिस्थितियों के संघर्ष का एहसास न हो। अभावों में जीने की इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों ने कभी हमारे दिमाग पर कोई छाप नहीं छोड़ी।

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Mukesh Pandit
PM podcast

Photograph: (X)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबी में बिताए अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने पिता की चाय की दुकान और अपनी मां से जीवन के सबक सीखे, जिससे उनके मन में छोटी उम्र में ही सेवा की भावना आ गई। मोदी ने लेक्स फ्रीडमैन के साथ पॉडकास्ट में अपने बचपन के बारे में बताया। मोदी ने कहा कि उनका बचपन बिना खिड़कियों वाले एक छोटे से घर में बीता, जहां उनके माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-चाची और दादा-दादी एक साथ रहते थे। उन्होंने कहा, “मेरा शुरुआती जीवन बेहद गरीबी में बीता लेकिन हमें कभी गरीबी का बोझ महसूस नहीं हुआ। 

पिता देर रात तक अथक परिश्रम करते थे

उन्होंने याद किया कि कैसे उनके पिता देर रात तक अथक परिश्रम करते थे और उनकी मां यह सुनिश्चित करती थीं कि बच्चों को कभी भी परिस्थितियों के संघर्ष का एहसास न हो। प्रधानमंत्री ने कहा, इन सबके बावजूद, अभावों में जीने की इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों ने कभी हमारे दिमाग पर कोई छाप नहीं छोड़ी। मोदी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि कबसे, लेकिन साफ-सुथरे कपड़े पहनने की आदत बचपन से ही है और इस बात को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने स्कूल जाते समय पहने जाने वाले अपने सफेद कपड़ों के जूतों का उदाहरण दिया। 

नंगे पांव देखकर चाचा ने दिलाए कैनवास के जूते

प्रधानमंत्री ने याद किया कि जब उनके चाचा ने उन्हें नंगे पैर स्कूल जाते देखा तो उन्हें एक जोड़ी सफेद कैनवास के जूते दिलवाए। उन्होंने कहा कि जूते मिलने के बाद अगली चिंता यह थी कि इन्हें कैसे साफ रखा जाए। मोदी ने कहा, “शाम को स्कूल खत्म होने के बाद, मैं थोड़ी देर के लिए रुक जाता था। मैं हर कक्षा तक जाता और शिक्षकों द्वारा फेंके गए चाक के बचे हुए टुकड़े इकट्ठा करता। मैं चाक के टुकड़ों को घर ले जाकर उन्हें पानी में भिगोता और उसे मिलाकर पेस्ट बनाने के बाद अपने कैनवास के जूतों को इससे पॉलिश करता, जिससे वे फिर से चमकदार सफेद हो जाते।” 

ते एक अनमोल संपत्ति थे, धन का प्रतीक

मोदी ने कहा, “मेरे लिए वे जूते एक अनमोल संपत्ति थे, धन का प्रतीक। और मुझे ठीक से पता नहीं क्यों लेकिन बचपन से ही हमारी मां सफाई को लेकर बेहद सजग रहती थीं। शायद यहीं से हमें यह आदत विरासत में मिली।” प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी मां को पारंपरिक उपचार व उपचार पद्धतियों का ज्ञान था और वह इन घरेलू उपचारों से बच्चों का इलाज करती थीं। उन्होंने उन दिनों को याद करते हुए कहा, “हर सुबह सूर्योदय से पहले लगभग पांच बजे, वह (मोदी की मां) बच्चों का इलाज करना शुरू कर देती थीं, इसलिए सभी बच्चे और उनके माता-पिता हमारे घर पर इकट्ठा होते थे। छोटे बच्चे रोते थे इसलिए हमें जल्दी उठना पड़ता था।” 

मूल्य मेरे परिवार से मुझे मिले

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मोदी ने कहा, “सेवा की यह भावना एक तरह से इन अनुभवों के माध्यम से पोषित हुई। समाज के प्रति सहानुभूति की भावना, दूसरों के लिए अच्छा करने की इच्छा, ये मूल्य मेरे परिवार से मुझे मिले। मेरा मानना ​​है कि मेरे जीवन को मेरी मां, मेरे पिता, मेरे शिक्षकों और जिस माहौल में मैं बड़ा हुआ, उसने आकार दिया है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि बचपन में वह अपने पिता की चाय की दुकान पर बैठते थे और देखते थे कि लोग एक-दूसरे से कैसे बातचीत करते हैं। उन्होंने कहा, “मैंने उनके बोलने के तरीके, उनके हाव-भाव देखे। इन चीजों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, भले ही मैं उस समय इसे अपने जीवन में ढालने की स्थिति में नहीं था।, मैंने सोचा कि अगर मुझे कभी मौका मिले, तो क्यों नहीं? मैं खुद को अच्छे से पेश क्यों न करूं।” 

पाकिस्तान के साथ शांति बहाली के हर प्रयास से श्वासघात मिला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ शांति बहाल करने के हर प्रयास से सिर्फ दुश्मनी और विश्वासघात ही मिला। उन्होंने उम्मीद जताई कि द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए पड़ोसी मुल्क के शीर्ष नेताओं को सद्बुद्धि आए। अमेरिका के लोकप्रिय पॉडकास्टर और कंप्यूटर वैज्ञानिक लेक्स फ्रीडमैन के साथ बातचीत में मोदी ने याद दिलाया कि उन्होंने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था और उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि दोनों देश एक नई शुरुआत कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “फिर भी, शांति बहाल करने के हर प्रयास के बदले दुश्मनी और विश्वासघात ही मिला। हम ईमानदारी से उम्मीद करते हैं कि उन्हें सद्बुद्धि आए और वे शांति का रास्ता चुनें।”

परीक्षाएं विकास यात्रा का छोटा हिस्सा: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि केवल शैक्षणिक अंक ही किसी छात्र की वास्तविक योग्यता को परिभाषित नहीं कर सकते और परीक्षाएं ज्ञान अर्जन और आत्म-विकास की वृहद यात्रा का एक छोटा सा हिस्सा मात्र हैं। पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में मोदी ने कहा कि आज समाज में एक अजीब मानसिकता विकसित हो गई है, जिसके तहत स्कूल भी अपनी सफलता छात्रों की रैंकिंग से आंकते हैं। मोदी ने कहा, "परिवार भी अपने बच्चे के उच्च रैंक प्राप्त करने पर गर्व महसूस करते हैं, क्योंकि उनका मानना ​​है कि इससे उनके शैक्षिक और सामाजिक कद में सुधार होता है। इस मानसिकता के कारण बच्चों पर दबाव बढ़ गया है। बच्चों को यह भी लगने लगा है कि उनका पूरा जीवन दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं पर निर्भर करता है।" 

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मैंने कभी अकेला महसूस नहीं किया, भगवान हमेशा मेरे साथ: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्हें कभी अकेलापन महसूस नहीं हुआ क्योंकि भगवान हमेशा उनके साथ रहते हैं। मोदी ने रविवार को लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में अपने जीवन पर स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के प्रभावों को भी साझा किया। उन्होंने रामकृष्ण परमहंस आश्रम में बिताए समय और स्वामी आत्मस्थानंद के साथ अपने संबंधों के किस्से भी साझा किए। मोदी ने अकेलेपन के बारे में पूछे जाने पर कहा, “मैं कभी अकेलापन महसूस नहीं करता। मैं ‘वन प्लस वन’ सिद्धांत में विश्वास करता हूं। एक मोदी है और दूसरा ईश्वर। मैं वास्तव में कभी अकेला नहीं होता क्योंकि भगवान हमेशा मेरे साथ रहते हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके लिए “जन सेवा ही प्रभु सेवा है”। 

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