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PM मोदी ने खुद चुना था Operation Sindoor नाम, सिंदूर की शक्ति से कर दिया पाकिस्तान का सीना छलनी

पाकिस्तान के खिलाफ संयुक्त रूप से की गई कारगर और सटीक कारवाई से ‘ऑपरेशन सिंदूर’जन-जन की जुबान पर चढ़ चुका है। आइए जानते हैं इसका आपरेशन सिंदूर क्यों रखा गया और किसने यह नाम रखा। यह नाम न केवल पहलगाम हमले का भावनात्मक और सांस्कृतिक जवाब था।

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Mukesh Pandit
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पहलगाम हमले का भावनात्मक  और सांस्कृतिक जवाब
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेनाओं की संयुक्त रूप से की गई कारगर और सटीक कारवाई से ‘ऑपरेशन सिंदूर’जन-जन की जुबान पर चढ़ चुका है। आइए जानते हैं इसका नाम आपरेशन सिंदूर क्यों रखा गया और किसने यह नाम रखा। यह नाम न केवल पहलगाम हमले का भावनात्मक और सांस्कृतिक जवाब था, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की कठोर नीति को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऑपरेशन का नाम सुझाकर, इसकी रणनीति तैयार करने में मार्गदर्शन देकर और इसे निगरानी करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कार्रवाई न सिर्फ पहलगाम हमले का बदला थी, बल्कि 26/11 जैसे पुराने आतंकी हमलों का हिसाब चुकाने का भी प्रतीक बन गई है।

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आपरेशन सिंदूर के नामकरण की पृष्ठभूमि

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से प्रेरित है, जिसमें आतंकियों ने 26 नागरिकों, मुख्य रूप से हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया था। इस हमले में कई महिलाएं विधवा हो गईं, जिनमें नवविवाहिताएं भी शामिल थीं। आतंकियों ने महिलाओं को छोड़ते हुए कहा था, जाओ, मोदी को बता देना। इस घटना ने देश में आक्रोश पैदा किया। ‘सिंदूर’ का नाम भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के सुहाग और पति की लंबी उम्र के प्रतीक से जुड़ा है। पहलगाम हमले में मारे गए लोगों, खासकर लेफ्टिनेंट विनय नरवाल जैसे नवविवाहित पुरुषों की विधवाओं के सिंदूर को उजाड़ने की क्रूरता का बदला लेने के लिए इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखा गया। यह नाम आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई और पीड़ितों को न्याय दिलाने के संकल्प को दर्शाता है। india operation sindoor | india operation sindoor live | Operation Sindoor | operation sindoor air strike | operation sindoor india 

पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका:

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सुझाया। उन्होंने पिछले सप्ताह की बैठकों में स्पष्ट किया कि पहलगाम हमले में आतंकियों ने पुरुषों को निशाना बनाकर कई महिलाओं का सुहाग छीना, जिसका कड़ा जवाब देना जरूरी है। यह नाम पीड़ित विधवाओं के सम्मान और आतंकियों को कड़ा संदेश देने के लिए चुना गया। पीएम मोदी ने ऑपरेशन की योजना और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हमले से पहले उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और तीनों सेना प्रमुखों के साथ कई गुप्त बैठकें कीं, जिसमें आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने की रणनीति तैयार की गई। उन्होंने सेना को पूरी छूट दी कि वे समय और तरीका स्वयं तय करें। प्रधानमंत्री मोदी ने रातभर अभियान पर नजर रखी और बाद में सफल हमले के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की साप्ताहिक बैठक में सशस्त्र बलों की प्रशंसा की। सूत्रों ने बताया कि पहलगाम में नागरिकों की हत्या का बदला लेने के लिए इस सैन्य अभियान का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखना प्रधानमंत्री का विचार था। भारतीय परंपरा में विवाहित महिलाएं ‘सिंदूर’ का इस्तेमाल करती हैं। 

ऑपरेशन की निगरानी: 

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7 मई 2025 की रात को जब भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने संयुक्त रूप से पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की, तब मोदी पूरी रात जागकर अपने आवास से ऑपरेशन पर नजर रखे हुए थे। उन्हें पल-पल की जानकारी दी जा रही थी। हमले के बाद मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया और सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा। पाकिस्तान भारत की ओर से की गई इस सटीक कारवाई के बाद से छटपटा रहा है। खासतौर से आतंकी सरगना अजहर मसूद का पूरा परिवार ही इस हमले में मारा गया। कहा जा रहा इससे अजहर मसूद खून के आंसू बहाने पर विवश हो गया है। पाकिस्तान को भी ऐसी उम्मीद नहीं थी कि भारत ऐसा कोई कड़ा जवाब देगा। 

विधवाओं के आंसुओं से पूरा देश द्रवित था

सरकार ने एक आधिकारिक ब्रीफिंग में कहा कि लक्ष्यों को रात 1.05 बजे से 1.30 बजे के बीच निशाना बनाया गया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके स्थित ठिकानों पर सटीक मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए, जिनमें बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ और मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा भी शामिल था। पहलगाम के इस हमले में कुछ नवविवाहित युवक भी मारे गए थे और उनकी विधवाओं के शोकाकुल चेहरों ने पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी थी। हमले में मारे गए नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पार्थिव देह के पास बैठीं उनकी पत्नी हिमांशी की तस्वीर इस हमले की जघन्यता की कहानी कह रही थी। दोनों की हमले से एक सप्ताह पहले ही शादी हुई थी और वे हनीमून मनाने पहलगाम गए थे। रायपुर के दिनेश मिरानिया और नेहा विवाह की वर्षगांठ मनाने पहुंचे थे, वहीं कानपुर निवासी शुभम द्विवेदी भी फरवरी में शादी के बाद छुट्टियां मनाने अपनी पत्नी के साथ पहलगाम पहुंचे थे। 

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