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Photograph: (File)
नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता के बारे में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा गृह मंत्रालय को दिए गए अभ्यावेदन (Representations)की स्थिति से अवगत कराए। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने अगली सुनवाई 26 मार्च के लिए निर्धारित की। अदालत ने विशेष रूप से याचिका में संलग्न दस्तावेज को ध्यान में रखने को कहा, जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय के विदेशी प्रभाग द्वारा प्रतिवादी संख्या 2 (राहुल गांधी) को जारी किया गया 29 अप्रैल, 2019 का एक पत्र है।
स्वामी का दावा, राहुल की नागरिकता ब्रिटिश
स्वामी ने कहा कि वह अपने अभ्यावेदन (Representations)की स्थिति जानना चाहते हैं। अधिवक्ता सत्य सभरवाल द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया कि 6 अगस्त, 2019 को मंत्रालय को एक पत्र भेजा गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि गांधी ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष ‘स्वेच्छा से खुलासा’ किया था कि उनकी नागरिकता ब्रिटिश है, जो ब्रिटिश पासपोर्ट रखने के बराबर है। स्वामी ने कहा कि कांग्रेस नेता ने भारतीय नागरिक होने के नाते संविधान के अनुच्छेद 9 का उल्लंघन किया है, जिसे भारतीय नागरिकता अधिनियम के साथ पढ़ा जाए, और अब वे भारतीय नागरिक नहीं रहेंगे।
एक पखवाड़े में करें स्थित स्पष्ट
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अपनी शिकायत की स्थिति के बारे में पूछताछ करने के लिए मंत्रालय को कई बार अभ्यावेदन दिया, लेकिन न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही उन्हें इसके बारे में सूचित किया गया। गांधी को अप्रैल 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा लिखे गए पत्र में उन्हें स्वामी द्वारा उनकी नागरिकता के बारे में दिए गए अभ्यावेदन के बारे में बताया गया था और उन्हें पत्र प्राप्त होने के एक पखवाड़े के भीतर मामले में तथ्यात्मक स्थिति से अवगत कराने के लिए कहा गया था।
रिप्रजेंटेशन पर निर्णय अंतिम चरण में
सुनवाई के दौरान, कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर, जिन्होंने गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में केंद्र के बयान के मद्देनजर स्वामी की याचिका निरर्थक है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी कि वे स्वामी के अभ्यावेदन के आधार पर निर्णय लेने के अंतिम चरण में हैं।