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लाल किला विस्फोट में बड़ा एक्शन : एआईयू ने की अल फलाह विश्वविद्यालय की सदस्यता सस्पेंड

एआईयू सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत एक सोसाइटी है और इसके सदस्य भारतीय विवि हैं। यह सदस्य विवि के प्रशासकों और शिक्षाविदों को विचारों के आदान-प्रदान और साझा हितों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

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Mukesh Pandit
Al Falah University

अल फलाह विश्वविद्यालय की सदस्यता सस्पेंड। फाइल फोटो

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि राष्ट्रीय राजधानी में लाल किला के नजदीक हुए कार धमाके के बाद जांच के घेरे में आए अल फलाह विश्वविद्यालय की सदस्यता निलंबित कर दी गई है। एआईयू सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत एक सोसाइटी है और इसके सदस्य भारतीय विश्वविद्यालय हैं। यह सदस्य विश्वविद्यालयों के प्रशासकों और शिक्षाविदों को विचारों के आदान-प्रदान और साझा हितों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। 

अल फलाह विश्वि पर मानकों के उल्लंघन का आरोप

एआईयू की महासचिव पंकज मित्तल ने कहा, भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के उपनियमों के अनुसार, सभी विश्वविद्यालयों को तब तक सदस्य माना जाएगा, जब तक वे मानकों का अनुकरण करते हैं। उन्होंने कहा, हालांकि, संज्ञान में आया है कि अल फलाह विश्वविद्यालय, फरीदाबाद, हरियाणा ने मानकों के अनुकूल कार्य नहीं किया है। तदनुसार, अल फलाह विश्वविद्यालय, फरीदाबाद, हरियाणा को दी गई एआईयू की सदस्यता तत्काल प्रभाव से निलंबित की जाती है।

एआईयू के नाम या लोगो का उपयोग का हक नहीं

मित्तल ने बताया कि अल फलाह विश्वविद्यालय को अपनी किसी भी गतिविधि में एआईयू के नाम या लोगो का उपयोग करने का अधिकार नहीं है, और एआईयू के लोगो को विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट से हटा दिया जाना चाहिए। फरीदाबाद के धौज गांव में स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय एक ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद जांच एजेंसियों के घेरे में आ गया है क्योंकि संस्थान से जुड़े तीन चिकित्सकों को मामले में गिरफ्तार किया गया है। यह एक निजी संस्थान है जिसके परिसर में एक अस्पताल भी है। 

यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर गलत दावा किया

एनएएसी के डायरेक्टर गणेशन कन्नाबिरण ने 12 नवंबर को जारी नोटिस में कहा कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर गलत दावा किया है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि उसके तीन कॉलेज, अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (1997 से, एनएएसी ए ग्रेड), ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (2008 से) और अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (2006 से, एनएएसी ए ग्रेड) एनएएसी मान्यता प्राप्त हैं, लेकिन एनएएसी ने स्पष्ट किया कि इंजीनियरिंग स्कूल को 2013-2018 तक (सीजीपीए 3.08) और एजुकेशन स्कूल को 2011-2016 तक (सीजीपीए 3.16) 'ए' ग्रेड मिला था, जो समाप्त हो चुका है।

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विदेशी फंडिंग का पता लगाएगी ईडी

एनएएसी ने इसे 'जनता, अभिभावकों और छात्रों को गुमराह करने वाला' बताया। नोटिस में कई सवाल पूछे गए, जिनका यूनिवर्सिटी को 7 दिनों में जवाब देना होगा। तब तक वेबसाइट से एनएएसी का जिक्र हटाना अनिवार्य है। नोटिस के बाद यूनिवर्सिटी की वेबसाइट डाउन हो गई। वहीं, दूसरी ओर ईडी ने यूनिवर्सिटी के वित्तीय लेन-देन की जांच शुरू की है। दिल्ली ब्लास्ट केस में आरोपी डॉक्टरों- डॉ. उमर नबी, डॉ. मुजम्मिल गनाई और डॉ. शाहीन सईद के ट्रांजेक्शन चेक किए जाएंगे। इन डॉक्टरों ने 20 लाख रुपए इकट्ठा कर 26 क्विंटल एनपीके फर्टिलाइजर खरीदा, जो आईईडी बनाने के लिए इस्तेमाल हुआ। ईडी फॉरेंसिक ऑडिट से विदेशी फंडिंग का पता लगाएगी। अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट ने विदेशी फंडिंग से इनकार किया है, लेकिन जांच में सहयोग का दावा किया है।

फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के भंडाफोड़

उल्लेखनीय है कि फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के भंडाफोड़ और दिल्ली के लाल किले के निकट हुए ब्लास्ट के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम गलत कारणों से चर्चाओं में है। इसी को देखते हुए अब यूनिवर्सिटी ने अपनी तरफ से आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि हमारा इस ब्लास्ट से कोई लेना-देना नहीं है। जिस तरह से इस ब्लास्ट के बाद हमारी यूनिवर्सिटी का नाम लिया जा रहा है, उससे इसकी गरिमा को ठेस पहुंच रही है। हमारे संज्ञान में यह भी आया है कि कई सोशल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हमारी यूनिवर्सिटी के संबंध में मनगढ़ंत और झूठे बयान जारी किए जा रहे हैं, जिनमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है।
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