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ED के एक्शन से सहारा ग्रुप में हड़कंप, ₹1,460 करोड़ की जमीन जब्त, बेनामी सौदों का किया खुलासा

जांच में खुलासा हुआ कि सहारा ग्रुप ने फर्जी नामों से यह जमीन खरीदी, जिससे असली मालिकाना हक छिपाया जा सके, और यह फंड ग्रुप की कंपनियों से डायवर्ट किया गया था।

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Ajit Kumar Pandey
ED
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । महाराष्ट्र के लोनावाला में स्थित शानदार एंबी वैली सिटी की 707 एकड़ जमीन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सहारा ग्रुप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत जब्त कर लिया है। इस संपत्ति की अनुमानित बाजार कीमत ₹1,460 करोड़ है। यह कार्रवाई मंगलवार, 15 अप्रैल 2025 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की गई। ED ने खुलासा किया कि यह जमीन सहारा ग्रुप की कंपनियों से डायवर्ट किए गए फंड का इस्तेमाल कर बेनामी (फर्जी) नामों से खरीदी गई थी, ताकि असली मालिकाना हक छिपाया जा सके।

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₹2.98 करोड़ की नकदी भी बरामद

ED की कोलकाता जोनल ऑफिस ने PMLA की धारा 17 के तहत तलाशी अभियान चलाया, जिसमें ₹2.98 करोड़ की अघोषित नकदी जब्त की गई। जांच की शुरुआत ओडिशा, बिहार, और राजस्थान पुलिस द्वारा दर्ज तीन FIRs के आधार पर हुई, जो हुमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (HICCSL) और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी (IPC धारा 420) और आपराधिक साजिश (IPC धारा 120B) के आरोपों से संबंधित थीं। सहारा ग्रुप और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ देशभर में 500 से ज्यादा FIRs दर्ज हैं, जिनमें 300 से अधिक PMLA के तहत गंभीर अपराधों से जुड़ी हैं।

पोंजी स्कीम का जाल

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ED की जांच में सामने आया कि सहारा ग्रुप ने अपनी सहकारी समितियों और रियल एस्टेट कंपनियों के जरिए पोंजी जैसी स्कीम चलाई। हजारों निवेशकों को उच्च रिटर्न और कमीशन का लालच देकर ठगा गया। कई निवेशकों ने शिकायत की कि उनकी सहमति के बिना उनके फंड को दोबारा निवेश कराया गया और बार-बार मांगने के बावजूद परिपक्वता भुगतान (maturity payouts) नहीं दिया गया। ED ने पाया कि ग्रुप ने नए डिपॉजिट इकट्ठा करना जारी रखा, जबकि पुराने निवेशकों का बकाया चुकाने में वह नाकाम रहा।

फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स में हेरफेर

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि सहारा ग्रुप ने अपने फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स में हेरफेर किया। ग्रुप ने किताबों में यह दिखाया कि निवेशकों को भुगतान किया जा रहा है, जबकि हकीकत में फंड को बेनामी संपत्तियों, व्यक्तिगत खर्चों, और लग्जरी लाइफस्टाइल के लिए डायवर्ट किया गया। कुछ मामलों में, सहारा ने अपनी संपत्तियों को नकद में बेचा और भुगतान का हिस्सा अघोषित नकदी में लिया, जिससे निवेशकों के वैध दावों को नुकसान पहुंचा।

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बेनामी संपत्ति और लग्जरी लाइफस्टाइल

ED ने पाया कि सहारा ग्रुप ने इकट्ठा किए गए फंड का बड़ा हिस्सा बेनामी संपत्तियों को खरीदने में लगाया। एंबी वैली सिटी, जिसे कभी “भारत का पहला नियोजित हिल सिटी” कहा गया, में गोल्फ कोर्स, झीलें, विला, और लग्जरी कॉटेज हैं। यह प्रोजेक्ट सहारा की भव्यता का प्रतीक था, लेकिन अब यह मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के केंद्र में है। जांच में यह भी सामने आया कि फंड का इस्तेमाल ग्रुप के प्रमुख लोगों की शानदार जीवनशैली को बनाए रखने में किया गया।

जांच में बयान दर्ज

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ED ने PMLA की धारा 50 के तहत कई लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें निवेशक, एजेंट, सहारा के कर्मचारी, और अन्य शामिल हैं। इन बयानों ने ग्रुप की अनियमितताओं को और उजागर किया। जांचकर्ताओं का कहना है कि सहारा ने गैर-पारदर्शी और अनियंत्रित तरीके से फंड का दुरुपयोग किया, जिससे लाखों छोटे निवेशकों को नुकसान हुआ।

सहारा का विवादित इतिहास

सहारा ग्रुप का विवादों से पुराना नाता रहा है। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) को 24,400 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था। 2017 में कोर्ट ने पुणे के एंबी वैली में ₹39,000 करोड़ की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया। ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय को 2014 में तिहाड़ जेल में भी समय बिताना पड़ा था। रॉय का निधन 14 नवंबर 2023 को मुंबई के एक अस्पताल में हृदयाघात से हुआ।

निवेशकों के लिए राहत

फरवरी 2025 में केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि सहारा की सहकारी समितियों के 1.16 मिलियन निवेशकों को 28 जनवरी 2025 तक ₹2,025.75 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। ED की ताजा कार्रवाई से उम्मीद है कि और संपत्तियां जब्त कर निवेशकों को उनका हक दिलाया जा सकेगा।

सहारा ग्रुप के खिलाफ ED की यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक बड़ा कदम है। लोनावाला की एंबी वैली में ₹1,460 करोड़ की संपत्ति की जब्ती ने सहारा के कथित पोंजी स्कीम के जाल को और उजागर किया है।

क्या यह कार्रवाई लाखों निवेशकों को उनका पैसा वापस दिला पाएगी? यह सवाल अभी अनुत्तरित है, लेकिन ED की सख्ती से ग्रुप पर दबाव बढ़ गया है। जांच अभी जारी है, और आने वाले दिन इस मामले में और खुलासे ला सकते हैं।

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