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Spacex एक्सिओम-4 रॉकेट में रिसाव से शुभांशु शुक्ला सहित चार अंतरिक्ष यात्रियों की जान को बढ़ गया था खतरा

इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने दावा किया है कि कहा कि स्पेसएक्स ने फाल्कन-9 रॉकेट में तरल ऑक्सीजन के रिसाव की घटना को संभवत: हल्के में लिया था, जिससे शुभांशु शुक्ला सहित चार अंतरिक्ष यात्रियों की जान जोखिम में पड़ गई थी। 

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Mukesh Pandit
Space X
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने दावा किया है कि कहा कि स्पेसएक्स ने फाल्कन-9 रॉकेट में तरल ऑक्सीजन के रिसाव की घटना को संभवत: “हल्के में लिया था”, जिससे शुभांशु शुक्ला सहित चार अंतरिक्ष यात्रियों की जान जोखिम में पड़ गई थी। फाल्कन-9 रॉकेट के जरिये एक्सिओम-4’ मिशन को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए प्रक्षेपित किया गया था। इस मिशन के तहत भारत के शुभांशु शुक्ला, अमेरिका की पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू को विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए आईएसएस पर भेजा गया था। 

ऑक्सीडाइजर लाइन में रिसाव की जांच की 

नारायणन ने  संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इसरो के इंजीनियरों के आग्रह पर स्पेसएक्स ने तरल ऑक्सीजन को रॉकेट के इंजन तक ले जाने वाली ऑक्सीडाइजर लाइन में रिसाव की जांच की और एक दरार का पता लगाया, जो घातक साबित हो सकती थी। उन्होंने कहा, अगर रॉकेट दरार के साथ उड़ान भरता है, तो यह कंपन के साथ टूट जाता है। और एक बार जब यह टूट जाता है, तो एक विनाशकारी स्थिति होती है और कुछ नहीं।

 इसे थोड़ा हल्के में लिया था

संवाददाता सम्मेलन में ‘एक्सिओम-4’ के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, मिशन के लिए उनके ‘बैकअप’ प्रशांत बालकृष्णन नायर और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे। इसरो प्रमुख ने कहा, (रॉकेट की ऑक्सीडाइजर लाइन में) दरार की बात उनके (स्पेसएक्स के) लिए भी चौंकाने वाली थी। अंततः, सब कुछ ठीक करना पड़ा। शायद, उन्होंने इसे थोड़ा हल्के में लिया था। उन्होंने कहा कि इसरो की टीम, जिसने 40 वर्षों से अधिक समय तक तरल ऑक्सीजन चालित इंजन पर काम किया है, ने पूर्ण मरम्मत पर जोर दिया, जिस पर स्पेसएक्स की टीम ने अमल किया। नारायणन ने कहा, “लेकिन अगर पूर्ण मरम्मत नहीं की गई होती, तो स्थिति विनाशकारी हो जाती। हमने चार अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाई है। 

चारों अंतरिक्ष यात्रियों को जानकारी दी गई थी

शुक्ला ने कहा कि एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा रहे चारों अंतरिक्ष यात्रियों को प्रत्येक चरण में देरी और उसके कारणों के बारे में जानकारी दी गई। नारायणन ने एक दोषपूर्ण रॉकेट को उड़ान भरने से रोकने और चार अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने का श्रेय भारतीय शिक्षा प्रणाली और इसरो के मजबूत प्रशिक्षण को दिया। उन्होंने कहा कि 11 जून को रॉकेट को प्रक्षेपण के लिए ले जाने से पहले, आठ सेकंड का परीक्षण किया गया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसके इंजन उड़ान भरने के लिए तैयार हैं या नहीं।

उन्हें लगा कि यह एक मामूली रिसाव है

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इसरो प्रमुख ने कहा, उन्होंने परीक्षण पूरे कर लिये और जब हमने चर्चा की, तो उन्होंने परिणाम नहीं बताए। उन्होंने केवल इतना कहा कि समिति ने मंजूरी दे दी है और हम प्रक्षेपण कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ रहे हैं।” उन्होंने कहा, “शायद उन्हें लगा कि यह एक मामूली रिसाव है। मुझे लगता है कि उन्हें ऐसा ही लगा। एक ऑक्सीजन सेंसर ने समस्या पकड़ ली थी। इसरो की टीम के आग्रह पर स्पेसएक्स की टीम ने पूर्ण मरम्मत की।”

हर कोई हमेशा जानता था कि क्या हो रहा है

 शुक्ला ने कहा कि स्पेसएक्स की टीम, नासा की टीम, एक्सिओम की टीम और इसरो की टीम चालक दल के साथ बहुत स्पष्ट थीं और ऐसा कभी नहीं हुआ कि उन्हें पता न हो कि क्या गड़बड़ी पकड़ में आई है और मिशन के संबंध में आगे क्या हो रहा है। उन्होंने कहा, “हर कोई हमेशा जानता था कि क्या हो रहा है। अगर कोई समस्या होती, तो कोई भी रॉकेट को रवाना नहीं करता।” शुक्ला ने कहा, “मैं अपनी जान डॉ. नारायणन के हाथों में सौंपने को तैयार हूं और जब भी वह कोई रॉकेट या वाहन बनाएंगे, मैं उसमें उड़ान भरने को तैयार हूं। मुझे उन पर इसी तरह का भरोसा है।”  ISRO | ISRO Gaganyaan | Joint ISRO-NASA satellite mission | ISRO Scientist Annadurai Indian Politics | SpaceX Axiom-4 Rocket | Rocket Leak Incident : ISRO Scientist Annadurai Indian Politics  ISRO Scientist Annadurai Indian Politics 

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