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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।पेट्रोल में इथेनॉल मिलाए जाने का मुद्दा अब कोर्ट तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP-20) को देशभर में लागू करने को चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि लाखों वाहन मालिकों को ऐसा ईंधन इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो उनके वाहनों के अनुरूप नहीं है। यह जनहित याचिका प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
वाहन मालिकों को किया जा रहा मजबूर
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि लाखों वाहन मालिकों को ऐसा ईंधन इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो उनके वाहनों के अनुरूप नहीं है। यह जनहित याचिका प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि सभी पेट्रोल पंपों पर इथेनॉल मुक्त पेट्रोल उपलब्ध कराया जाए।
मात्रा को दिखाने वाला लेबल लगाने की भी मांग
याचिका साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि सभी पेट्रोल पंपों और वितरण इकाइयों पर अनिवार्य रूप से इथेनॉल की मात्रा को दिखाने वाला लेबल लगाया जाए ताकि उपभोक्ताओं को साफ-साफ पता चले। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि ईंधन भरते समय उपभोक्ताओं को उनके वाहनों की इथेनॉल अनुकूलता के बारे में सूचित किया जाए।
क्या है नुकसान?
इथेनॉल का एक प्रमुख नुकसान यह है कि यह गैसोलीन जितना ऊर्जा-घनत्व वाला नहीं होता । इसका मतलब है कि इसमें ऊर्जा की मात्रा कम होती है और यह गैसोलीन की तुलना में कम कुशल होता है। नतीजतन, ईंधन स्रोत के रूप में इथेनॉल का उपयोग करने वाले वाहन गैसोलीन का उपयोग करने वाले वाहनों जितना प्रति गैलन मील नहीं कमा पाते। Petrol Ethanol Blending | supreme court | Supreme Court Debate | Ethanol Mix in Fuel