नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान के तहत किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता एक बहुमूल्य अधिकार है, इसलिए अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी स्वतंत्रता में हल्के ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया जाए। सर्वोच्च अदालत ने यह टिप्पणी जमानत को रद्द करने के हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले की सुनवाई के दौरान की है।
हाई कोर्ट का फैसला खारिज किया
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के तीन जनवरी के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें उसने हत्या के प्रयास के एक मामले में एक आरोपी को दी गई जमानत को रद्द कर दिया था। पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया भी यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि आरोपी को उसकी स्वतंत्रता से वंचित किया जाना चाहिए।
स्वतंत्रता बहुमूल्य अधिकार
कोर्ट ने कहा, "यह कहना पर्याप्त है कि संविधान के तहत किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता उसका बहुमूल्य अधिकार है, अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी स्वतंत्रता में हल्के तरीके से हस्तक्षेप नहीं किया जाए। हम इस बात से संतुष्ट हैं कि उच्च न्यायालय के पास जमानत रद्द करने का कोई वैध कारण नहीं था, क्योंकि प्रथम दृष्टया यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि जमानत दिए जाने के बाद अपीलकर्ता का आचरण ऐसा रहा है कि उसे उसकी स्वतंत्रता से वंचित किया जाना चाहिए।"
नौसेना जासूसी मामले में पति-पत्नी को दोषी ठहराया
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से जुड़े बहुचर्चित नौसेना जासूसी मामले में विशाखापत्तनम स्थित राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत ने एक व्यक्ति और उसकी पत्नी को दोषी करार देते हुए साधारण कारावास की सजा सुनाई है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार अदालत ने अब्दुल रहमान और उसकी पत्नी शाइस्ता कैसर को साढ़े पांच साल के साधारण कारावास और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
एनआईए की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जुर्माना अदा नहीं करने की स्थिति में उन्हें एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। दोनों आरोपियों को दिसंबर 2019 से जून 2020 के बीच गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अब तक 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और एनआईए द्वारा आरोप पत्र दायर किया जा चुका है।
Supreme Court Comment : व्यक्ति की स्वतंत्रता बहुमूल्य अधिकार, इसमें हस्तक्षेप करने में सावधान रहना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान के तहत किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता एक बहुमूल्य अधिकार है, इसलिए अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी स्वतंत्रता में हल्के ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया जाए।
नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान के तहत किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता एक बहुमूल्य अधिकार है, इसलिए अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी स्वतंत्रता में हल्के ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया जाए। सर्वोच्च अदालत ने यह टिप्पणी जमानत को रद्द करने के हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले की सुनवाई के दौरान की है।
हाई कोर्ट का फैसला खारिज किया
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के तीन जनवरी के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें उसने हत्या के प्रयास के एक मामले में एक आरोपी को दी गई जमानत को रद्द कर दिया था। पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया भी यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि आरोपी को उसकी स्वतंत्रता से वंचित किया जाना चाहिए।
स्वतंत्रता बहुमूल्य अधिकार
कोर्ट ने कहा, "यह कहना पर्याप्त है कि संविधान के तहत किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता उसका बहुमूल्य अधिकार है, अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी स्वतंत्रता में हल्के तरीके से हस्तक्षेप नहीं किया जाए। हम इस बात से संतुष्ट हैं कि उच्च न्यायालय के पास जमानत रद्द करने का कोई वैध कारण नहीं था, क्योंकि प्रथम दृष्टया यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि जमानत दिए जाने के बाद अपीलकर्ता का आचरण ऐसा रहा है कि उसे उसकी स्वतंत्रता से वंचित किया जाना चाहिए।"
नौसेना जासूसी मामले में पति-पत्नी को दोषी ठहराया
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से जुड़े बहुचर्चित नौसेना जासूसी मामले में विशाखापत्तनम स्थित राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत ने एक व्यक्ति और उसकी पत्नी को दोषी करार देते हुए साधारण कारावास की सजा सुनाई है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार अदालत ने अब्दुल रहमान और उसकी पत्नी शाइस्ता कैसर को साढ़े पांच साल के साधारण कारावास और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
एनआईए की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जुर्माना अदा नहीं करने की स्थिति में उन्हें एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। दोनों आरोपियों को दिसंबर 2019 से जून 2020 के बीच गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अब तक 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और एनआईए द्वारा आरोप पत्र दायर किया जा चुका है।