/young-bharat-news/media/media_files/2025/03/02/6fgFxv1GSQDRxqOHiTyw.jpg)
कुसमा नाइन की फाइल फोटो
उत्तर प्रदेश की इटावा जेल में उम्रकैद की सजा काट रही बीहड़ की बागी कुसुमा नाइन की लखनऊ पीजीआई में इलाज के दौरान मौत हो गई। चंबल की शेरनी के नाम से मशहूर कुसमा आतंक का पर्याय माना जाती थी। उसने 15 लोगों को लाइन में खड़ी करके गोलियां से भून दिया था। कुसमा नाइन के क्रूरता के किस्से काफी मशहूर थे।वह काफी समय से टीबी रोग से ग्रसित थी। उसका पीजीआई लखनऊ में इलाज चल रहा था, जहां उसने अंतिम सांस ली। इटावा जेल अधीक्षक कुलदीप सिंह ने दी यह जानकारी दी।
कौन थी कुसमा नाइन
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात डकैत राम आसरे उर्फ फक्कड़ और उसकी सहयोगी पूर्व डकैत सुंदरी कुसमा नाइन ने साल 2004 में मध्य प्रदेश के भिंड जिले के दमोह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। जालौन जिले की रहने वाली कुसमा नाइन ने 15 मल्लाहों को लाइन में खड़ाकर गोलियों से भून दिया था। कुसमा नाइन के गैंग के पास विदेशी हथियार भी बरामद किए गए थे।
फूलन से बदला लेने के लिए बनी डकैत
कुसमा के डाकू बनने की कहानी भी कम फिल्मी नहीं है। दरअसल, मई 1981 में फूलन देवी ने डाकू लालाराम और श्रीराम से अपने दुष्कर्म का बदला लेने के लिए कानपुर देहात के गांव बेहमई गांव पहुंची थी। फूलन ने यहां 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोली मार दी थी। इसके बाद उस समय तक लालाराम और उसकी प्रेमिका बन चुकी कुसमा नाइन ने बदला लेने की ठान ली। इस बीच बेहमई कांड के लगभग एक साल बाद फूलन देवी ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद कुसमा नाइन का गिरोह बुंदेलखंड में सक्रिय हो गया।
औरैया में दिया भीषण घटना को अंजाम
वर्ष 1984 में कुसमा नाइन अपने गैंग के साथ औरैया के अस्ता गांव पहुंची। उसने यहां गांव के 15 मल्लाहों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था। इतना ही नहीं गांव के कई घरों को आग के हवाले कर दिया था। वर्ष 1966 में इटावा के भरेह गांव में दो मल्लाहों की आंखें तक निकाल दी थी। कुसमा के संबंध में कहा जाता है कि उसका गैंग लोगों का अपहरण करता था फिर लकड़ी से जलाती और हंटर से मारती थी।
इन्हीं कारणों से कुसमा नाइन को यमुना-'चंबल की शेरनी' तक कहा जाने लगा> इटावा जिला जेल के अधीक्षक कुलदीप सिंह के मुताबिक, कुसमा नाइन लंबे समय से टीवी से ग्रसित थी। उसका इटावा की जेल में इलाज चल रहा जहां, जहां उसे लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज में रेफर कर दिया। जहां उसने अंतिम सांस ली।