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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । कैथोलिक चर्च के प्रमुख और पहले लैटिन अमेरिकी पोप, पोप फ्रांसिस का निधन 21 अप्रैल 2025 को 88 वर्ष की आयु में हो गया। उनकी मृत्यु स्ट्रोक और हृदय गति रुकने के कारण हुई, जैसा कि वैटिकन ने अपनी आधिकारिक घोषणा में बताया।
इस दुखद घटना के बाद, विश्व भर से लाखों श्रद्धालु और विश्व नेता उनकी अंतिम विदाई के लिए वैटिकन सिटी में एकत्रित हुए। आज, 26 अप्रैल 2025 को, सेंट पीटर्स स्क्वायर में उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ, जिसमें विश्व के कई प्रमुख नेता शामिल हुए।
जिनमें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी शामिल थे। यह लेख पोप फ्रांसिस के जीवन, उनके योगदान, और उनके अंतिम संस्कार के ऐतिहासिक क्षणों को विस्तार से प्रस्तुत करता है।
पोप फ्रांसिस का जीवन और विरासत
पोप फ्रांसिस, जिनका मूल नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था, का जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। वे 2013 में पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के इस्तीफे के बाद कैथोलिक चर्च के 266वें पोप चुने गए। उनके 12 वर्षों के कार्यकाल में, उन्होंने चर्च को अधिक समावेशी और पारदर्शी बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। उनकी शिक्षाओं में गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के प्रति विशेष ध्यान रहा, जिसके कारण उन्हें "जनता का पोप" कहा गया।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन, आप्रवास, और सामाजिक न्याय जैसे वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। 2023 में, उन्होंने समलैंगिक जोड़ों को आशीर्वाद देने की अनुमति देने वाला एक ऐतिहासिक निर्णय लिया, जो चर्च के रूढ़िवादी और प्रगतिशील धड़ों के बीच विवाद का कारण बना। इसके अलावा, उन्होंने वैटिकन के वित्तीय प्रबंधन को पारदर्शी बनाने और यौन शोषण के मामलों को संबोधित करने के लिए कड़े कदम उठाए।
वैटिकन के अनुसार, पोप फ्रांसिस ने अपने अंतिम वर्षों में 21 नए कार्डिनल्स की नियुक्ति की, जिसे उनकी विरासत को सुरक्षित करने की दिशा में एक कदम माना गया। उनकी मृत्यु से पहले, नवंबर 2024 में, उन्होंने अपने अंतिम संस्कार की रस्मों को सरल बनाने के लिए संशोधन किए, जिसमें पारंपरिक तीन ताबूतों (साइप्रस, सीसा, और ओक) के उपयोग को हटाने का निर्णय शामिल था।
अंतिम संस्कार की तैयारियां और प्रक्रिया
पोप फ्रांसिस का निधन 21 अप्रैल 2025 को सुबह 7:35 बजे वैटिकन के कासा सांता मार्ता में हुआ। वैटिकन के कैमरलेंगो, कार्डिनल केविन फैरेल ने उनकी मृत्यु की आधिकारिक पुष्टि की और मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार किया। इसके बाद, वैटिकन ने नौ दिनों की शोक अवधि, जिसे "नोवेंडियालेस" कहा जाता है, की घोषणा की। पोप के निधन के चौथे से छठे दिन के बीच अंतिम संस्कार आयोजित करने की परंपरा के अनुसार, 26 अप्रैल को सेंट पीटर्स स्क्वायर में अंतिम संस्कार का आयोजन किया गया।
23 अप्रैल से, पोप फ्रांसिस का पार्थिव शरीर सेंट पीटर्स बेसिलिका में सार्वजनिक दर्शन के लिए रखा गया। वैटिकन के अनुसार, इस दौरान विश्व भर से लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं ने उनके अंतिम दर्शन किए। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए, बेसिलिका को केवल डेढ़ घंटे के लिए बंद किया गया, और बाकी समय इसे रात भर खुला रखा गया। इटली सरकार ने वैटिकन के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया, जिसमें ड्रोन, घुड़सवार पुलिस, और टीबर नदी के किनारे गश्त शामिल थी।
अंतिम संस्कार की रस्में भारतीय समयानुसार दोपहर 1:30 बजे शुरू हुईं। इस समारोह में कार्डिनल्स, आर्चबिशप्स, बिशप्स, और विश्व भर के पादरियों ने हिस्सा लिया। वैटिकन ने बताया कि समारोह को सरल रखा गया, जैसा कि पोप फ्रांसिस ने अपनी वसीयत में निर्देश दिया था।
उनके पार्थिव शरीर को एक साधारण लकड़ी के ताबूत में रखा गया, और अंतिम संस्कार के बाद उन्हें रोम की सेंट मैरी मेजर बेसिलिका में दफनाया गया। यह पहली बार था जब एक पोप को सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे ग्रोटो में दफनाने के बजाय सेंट मैरी मेजर में दफनाया गया। उनकी कब्र पर केवल "फ्रांसिस्कस" शब्द अंकित किया गया, जैसा कि उनकी इच्छा थी।
विश्व नेताओं की उपस्थिति
पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में विश्व भर के नेताओं की उपस्थिति ने इस आयोजन को एक वैश्विक घटना बना दिया। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अवसर पर वैटिकन सिटी की यात्रा की और पोप को श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत सरकार ने उनकी मृत्यु के बाद तीन दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की, जिसके दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप भी इस समारोह में शामिल हुए। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "वह एक अच्छे इंसान थे, जिन्होंने कठिन परिश्रम किया और विश्व से प्रेम किया।" यह उल्लेखनीय है कि ट्रंप और पोप फ्रांसिस के बीच आप्रवास और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर मतभेद रहे थे, लेकिन उनकी उपस्थिति ने इस अवसर की गरिमा को और बढ़ाया।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी भी अंतिम संस्कार में उपस्थित थे। मेलोनी ने पोप को "एक महान व्यक्ति और चरवाहा" बताते हुए उनकी मृत्यु को एक बड़ी क्षति बताया। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने लैटिन अमेरिका में सात दिनों के शोक की घोषणा की और कहा, "मानवता ने आज एक सम्मान और स्वागत की आवाज खो दी।"
पोप फ्रांसिस के अंतिम क्षण
वैटिकन न्यूज के अनुसार, पोप फ्रांसिस के अंतिम क्षण शांतिपूर्ण थे। उनके निजी स्वास्थ्य सहायक, मासिमिलियानो स्ट्रैपेटी को धन्यवाद देने के बाद, वे कोमा में चले गए और उनकी मृत्यु हो गई। उनके चिकित्सक, डॉ. सर्जियो अल्फिएरी ने बताया कि पोप की मृत्यु "बिना किसी कष्ट के, उनके घर में" हुई।
इससे पहले, मार्च 2025 में, पोप को डबल निमोनिया के कारण पांच सप्ताह तक अस्पताल में रहना पड़ा था, लेकिन वे 23 मार्च को वैटिकन लौट आए थे। उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थिति 20 अप्रैल 2025 को ईस्टर संडे के दौरान सेंट पीटर्स स्क्वायर में थी, जहां उन्होंने व्हीलचेयर में बैठकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।
अगले पोप का चयन
पोप फ्रांसिस की मृत्यु के बाद, कैथोलिक चर्च अब एक नए पोप के चयन की प्रक्रिया में प्रवेश कर चुका है। इस प्रक्रिया को "कॉन्क्लेव" कहा जाता है, जो आमतौर पर पोप की मृत्यु के 15-20 दिनों के भीतर शुरू होती है।
कार्डिनल्स सिस्टिन चैपल में एकत्रित होंगे, जहां वे गुप्त मतदान के माध्यम से नए पोप का चयन करेंगे। जब तक कोई उम्मीदवार दो-तिहाई बहुमत प्राप्त नहीं करता, तब तक मतदान के दौर चलते रहते हैं। नए पोप के चयन की घोषणा सिस्टिन चैपल की चिमनी से सफेद धुआं निकलने के साथ की जाती है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इस बार कॉन्क्लेव में कोई स्पष्ट अग्रणी उम्मीदवार नहीं है, क्योंकि पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में कार्डिनल्स के कॉलेज को अधिक विविध बनाया। कुछ संभावित नामों में इटली के पियरबट्टिस्टा पिज्जाबल्ला शामिल हैं, जो मध्य पूर्व मामलों के लिए वैटिकन के शीर्ष अधिकारी हैं।
वैश्विक प्रभाव और श्रद्धांजलि
पोप फ्रांसिस की मृत्यु ने विश्व भर में शोक की लहर दौड़ा दी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "पोप फ्रांसिस ने मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया।" जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु ने 2019 में पोप की जापान यात्रा को याद करते हुए उनके शांति संदेश की प्रशंसा की।
वैटिकन सिटी में आयोजित अंतिम संस्कार ने न केवल कैथोलिक समुदाय, बल्कि विश्व भर के लोगों को एकजुट किया। यह आयोजन पोप फ्रांसिस की उस शिक्षाओं का प्रतीक था, जो एकता, करुणा, और मानवता पर केंद्रित थीं। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब नए पोप पर होगी, जिसका चयन आने वाले दिनों में होगा।