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अमेरिकी टैरिफ का झटका : भारत के परिधान और आभूषण क्षेत्र को अमेरिकी ऑर्डरों में कमी का डर

भारत के परिधान और आभूषण निर्यातक अपने सबसे बड़े बाजार से ऑर्डरों में गिरावट की आशंका जता रहे हैं और नौकरियों में भी कटौती कर सकते हैं। कई परिधान निर्यातक, जो द्विपक्षीय व्यापार समझौते की उम्मीद लगाए बैठे  थे टैरिफ से चिंतित हैं। 

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Mukesh Pandit
Garment Workers

Garment Workers Stitch Shirts at a textile factory in Noida India

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का फैसला 7 दिन के लिए टाल दिया है, जो अब ये 7 अगस्त से लागू किया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद भारत की चिंताएं कम नहीं हुई हैं। खासतौर पर माना जा रहा है कि भारत के परिधान और आभूषण निर्यातक अपने सबसे बड़े बाजार से ऑर्डरों में गिरावट की आशंका जता रहे हैं और नौकरियों में भी कटौती कर सकते हैं। कई परिधान निर्यातक, जो द्विपक्षीय व्यापार समझौते की उम्मीद लगाए बैठे  थे टैरिफ से चिंतित हैं। वॉलमार्ट तथा कॉस्टको जैसे अमेरिकी खुदरा विक्रेताओं से ऑर्डरों में वृद्धि की तैयारियों को फिलहाल रोक दिया है।

अन्य देशों को मिल सकता है फायदा

प्रमुख परिधान निर्यातक कंपनियां, जिनमें वेलस्पन लिविंग, गोकलदास एक्सपोर्ट्स , इंडो काउंट, और ट्राइडेंट अपनी 40%-70% बिक्री अमेरिका में करती हैं। उन्हें डर है कि अब 25% प्रस्तावित टैरिफ से नए आर्डर वियतनाम को  स्थानांतरित हो सकते हैं, क्योंकि अब 20% का कम अमेरिकी शुल्क है। अमेरिका- भारत का सबसे बड़ा परिधान और आभूषण बाजार है। जो वर्ष 2024 में लगभग 22 बिलियन डॉलर का था। जानकारों का कहना है कि चीन, वियतनाम और बांग्लादेश के बाद, भारत की अमेरिकी परिधान बाजार में 5.8% हिस्सेदारी है। जानकार बताते हैं कि भारत का परिधान क्षेत्र पहले से ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों बांग्लादेश और वियतनाम की तुलना में अधिक लागत का सामना कर रहा है।

आभूषण क्षेत्र पहले से ही दबाव में

वॉलमार्ट और बास प्रो शॉप्स को आपूर्ति करने वाली कॉटन ब्लॉसम इंडिया के कार्यकारी निदेशक नवीन माइकल जॉन का कहना है , "अगर अमेरिकी व्यापार में गिरावट आती है, तो कारखाने एक-दूसरे के ग्राहकों को लुभाना शुरू कर देंगे।" भारत का रत्न और आभूषण क्षेत्र, जो अमेरिकी खरीदारों पर बहुत अधिक निर्भर है, पहले से ही दबाव में है। कमजोर अमेरिकी और चीनी माँग के कारण 2024/25 वित्तीय वर्ष में कटे और पॉलिश किए हुए हीरों का निर्यात लगभग दो दशकों के निचले स्तर पर आ गया। भारत के 28.5 अरब डॉलर के वार्षिक रत्न एवं आभूषण निर्यात में अमेरिका का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है।

टैरिफ से आभूषण उद्योग होगा प्रभावित

रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष किरीट भंसाली ने कहा, "इस पैमाने पर एकमुश्त टैरिफ लागत बढ़ाएगा, शिपमेंट में देरी करेगा, मूल्य निर्धारण को विकृत करेगा और मूल्य श्रृंखला के हर हिस्से पर - निचले स्तर के कर्मचारियों से लेकर बड़े निर्माताओं तक - भारी दबाव डालेगा। अमेरिकी त्योहारी सीज़न को देखते हुए, निर्यातक सरकार से सितंबर से पहले स्थिरता बहाल करने का कोई रास्ता निकालने का आग्रह कर रहे हैं, ताकि उन्हें मौसमी उत्पादन बढ़ाने का समय मिल सके। भारत के हीरा-पॉलिशिंग केंद्र सूरत के एक आभूषण निर्यातक ने कहा, "व्यापार समझौते के बिना, निर्यात में सुधार नहीं होगा। हमें उत्पादन और नौकरियों में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।"

एक सप्ताह टाला निर्णय

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उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसे आज यानी 1 अगस्त से लागू होना था, लेकिन अब इस फैसले को अमेरिकी राष्ट्रपति ने 7 दिन के लिए टाल दिया है. अब ये 7 अगस्त से लागू किया जाएगा। ट्रंप ने जब से टैरिफ का ऐलान किया था उसके बाद से भारत में चिंता बनी हुई थी। मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर थी। वहीं, सरकार ने गुरुवार को अमेरिका को कड़ा मैसेज दिया था। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि हम राष्ट्रहित में हर जरूरी कदम उठाएंगे।
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