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युद्ध के मुहाने पर खड़े दोनों देश आखिर इतनी जल्दी Ceasefire पर क्यों राजी हो गए! पढ़ें इनसाइड स्टोरी

1947 से चले आ रहे आपसी मतभेदों ने 78 साल में चार बार जंग का रूप लिया है। बाकी मौकों पर हुए टकराव में संघर्ष आमतौर पर सेनाओं के बीच ही सीमित रहता है। इस बार भी युद्ध के बादल लगभग छंट चुके हैं।

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Mukesh Pandit
Inida pakistan fight
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चला सैन्य संघर्ष आखिरकार थम ही गया, और दुनिया ने भी इससे राहत की सांस ली। लेकिन यह भी एक हकीकत बन चुकी है कि समय-समय पर छिड़ने वाला सैन्य संघर्ष कोई नई बात नहीं है। 1947 से चले आ रहे आपसी मतभेदों ने 78 साल में चार बार जंग का रूप लिया है। बाकी मौकों पर हुए टकराव में संघर्ष आमतौर पर सेनाओं के बीच ही सीमित है और सीमा के आसपास ही ही खत्म हो गया। नियंत्रण रेखा के उल्लंघन की खबरें अक्सर आती रहती हैं। क्योंकि यह भी दोनों देशों की कड़वी सच्चाई है कि भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहा सैन्य संघर्ष दुनिया में इकलौता ऐसा संघर्ष है, जिसमें सीधे तौर पर दो परमाणु शक्तियां लड़ती-भिड़ती रहती हैं। India | Ceasefire | kashmir ceasefire | india pakistan ceasefire | pakistan ceasefire | Pakistan ceasefire violation

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संघर्ष युद्ध में तब्दील होने से बच गया

भारत-पाकिस्तान के बीच ताजा तनाव 7 मई 2025 से शुरू हआ और चार दिन की भीषण गोलाबारी के बाद थम गया। कहा जा रहा है कि यदि सीज फायर नहीं होता तो इस बार संघर्ष युद्ध में तब्दील हो सकता था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीजफायर का श्रेय बटोर रहे हैं। भारत से पहले उनकी जिस तरह प्रतिक्रिया सामने आई, लोगों को भी महसूस हो रहा है कि भारत-पाकिस्तान के संघर्ष को टालने के लिए बहुत कुछ पर्दे के पीछे से हो रहा था। सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने भारत और पाकिस्तान से बातचीत कर के इस मसले में संघर्ष विराम की लकीर खींच ही दी और इबारत खुद ट्रंप ने लिख दी। 

पहलगाम की कायरतापूर्ण घटना से भड़का संघर्ष

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इस बार का सीमा संघर्ष भारतीय कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले से शुरू हुआ। भारत को पक्का यकीन था कि पाकिस्तान इस हमले के पीछे है, जबकि इस्लामाबाद इससे इनकार करता रहा। दोनों देशों के बीच इससे पहले भी कश्मीर में हुए हमलों को लेकर संघर्ष हुआ। चाहे मामला बालाकोट का हो या पुलवामा का, दोनों मौकों पर शुरुआती संघर्ष, जल्द ही शांत हो गया। संघर्ष के बाद बार-बार युद्ध के करीब आते आते आखिर कैसे पाकिस्तान और भारत संयम बरत लेते हैं? यह सवाल सभी के जहन में जरूर उठता रहा है। इन दो देशों की लड़ाई, दुनिया की बाकी जंगों से अलग कैसे है? यह देखना समझना दिलचस्प है।

दोनों देशों की परमाणु क्षमता लगभग  समान

परमाणु हथियार भारत और पाकिस्तान के झगड़े में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। दोनों के बीच लंबे समय से सीमा में तनाव रहने के बावजूद हालात संभल जाते हैं। एक समाचार एजेंसी को दिए गए एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के सुरक्षा विशेषज्ञ सईद मोहम्मद अली ने बताया, "दोनों ही देशों के पास इतना परमाणु हथियार है कि वो एक दूसरे को कई कई बार खत्म कर सकते हैं। ऐसे में दोनों देश एक दूसरे को तबाह करने का दम रखते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों ही देशों ने ‘जानबूझकर एक समान परमाणु क्षमता' बनाए रखी है ताकि सामने वाले को यकीन हो जाए कि तबाही दोनों तरफ एक समान ही होगी।

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भारत ने देश की जनता को युद्ध से दूर रखा है

भारत के सेवानिवृत्त राजनयिक सईद अकबरुद्दीन ने एक न्यूज चैनल कोबातचीत में बताया कि भारत और पाकिस्तान ने हमेशा ही अपनी जनता को युद्ध से दूर रखने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, "भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश, परमाणु हथियार हासिल करने से पहले भी जनता को युद्ध से बाहर रखते थे। लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवाद को ही बाद में युद्ध का एक जरिया बना लिया जिससे उसने आम लोगों को टारगेट किया गया”

दोनों के पास 170 एटम बम

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हालांकि दोनों ही देश अपनी परमाणु क्षमता का खुलासा नहीं करते हैं, लेकिन माना जाता है कि दोनों के पास 170 से 180 एटम बम हैं, जो मिसाइलों के जरिए कम दूरी, लंबी दूरी और मध्यम दूरी तक मार कर सकते हैं। दोनों देशों के पास अलग-अलग डिलीवरी सिस्टम हैं, जिनसे इन हथियारों को लॉन्च करके लक्ष्य तक पहुंचाया जाता है। हो सकता है कि कुछ लोगों को इसका आभास ना हो, लेकिन दोनों देशों की सरकारें जानती हैं कि भीषण जंग हुई तो दोनों देशों में एक जैसी तबाही होगी। यह समझ ही दोनों देशों को संयम बरतने के लिए मजबूर कर देती है।

कश्मीर का मुद्दा

भारत और पाकिस्तान दोनों ही 1947 से कश्मीर पर अपना हक जताते आए हैं। दोनों ही देश कश्मीर के एक एक हिस्से पर शासन कर रहे हैं और इलाके में उन्हें अलग करती है, सेना की भारी तैनाती वाली सीमा और नियंत्रण रेखा। दोनों देशों ने अब तक तीन जंगें लड़ी हैं जिनमें से दो कश्मीर के मुद्दे पर हुई हैं। 

अलग अलग सैन्य क्षमताएं और चीन की दखल

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की मिलिट्री बैलेंस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2025 में सेना पर 74.4 अरब डॉलर खर्च किए। इसके साथ वह उन सबसे बड़े देशों की लिस्ट में आ गया जो अपनी रक्षा और सेना पर बेतहाशा पैसा खर्च करते हैं। भारत, दुनिया में हथियार के सबसे बड़े आयातकों में से भी एक है। पाकिस्तान ने भी पिछले साल सेना पर 10 अरब डॉलर खर्च किए, लेकिन अब भी वह भारत के खर्चे की बराबरी नहीं कर सकता। भारत के पास पाकिस्तान की तुलना में सशस्त्र बलों की संख्या भी तीनगुनी से भी अधिक है।

भौगोलिक रूप से देखा जाए तो पाकिस्तान अपने प्रतिद्वंद्वी भारत के साथ पूरब में लंबी सीमा साझा करता है। पश्चिम में उसका बॉर्डर अफगानिस्तान और ईरान से लगता है। इन बॉर्डरों की सुरक्षा को आधार बनाकर पाकिस्तानी सेना बजट से रक्षा के लिए बड़ा हिस्सा निकाल लेती है।

भारत और पाकिस्तान के बीच ताजा सैन्य संघर्ष इस्तेमाल हुए कई हथियार चीन से आने की खबरों पर लोगों का कयास है कि कहीं ये दो देश दूसरे देशों की लड़ाई अपने मैदान में तो नहीं लड़ रहे हैं। इस पर सईद ने बताया कि "भारत, जो दुनिया में अपनी जगह स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, यह आरोप उसके लिए दुःखद है।”

वो कहते हैं कि यह बात सच है कि विकासशील देश होने के नाते हम दूसरे देशों से हथियार ले रहे हैं लेकिन "वो इसलिए क्योंकि भारत की प्राथमिकताएं विकास की है और वो वहां ज्यादा खर्च करना चाहता है। हालांकि मेक इन इंडिया के जरिए यह कोशिश की जा रही है कि डिफेंस क्षेत्र की चीजें भारत में ही बनें। लेकिन इसमें अभी समय लगेगा।

इंसान या चीज पर कब्जा जमाने की लड़ाई नहीं

गौर करने की बात है कि दोनों ही देश ज्यादातर रात या तड़के सुबह ही सैन्य कार्रवाई करते हैं। वो इसलिए ताकि दोनों देशों को आम जनता की निगरानी के बीच यह खेल नहीं खेलना है। ज्यादातर लड़ाई घनी आबादी से अलग हटकर होती है या सीमा पर। और इसलिए ऐसे हालातों में सीमा पर रह रहे लोगों को उनके देशों द्वारा विस्थापित किया जाना चाहिए। आम तौर पर भारत के हमले या तो सर्जिकल होते हैं, यानी वो हमले जो सिर्फ एक केंद्र या एक निशाने पर जाकर लगें, या फिर छोटे स्तर के होते हों।

दोनों ही देशों के बीच संसाधनों की होड़ भी नहीं है। केवल सिंधु जल संधि के पानी पर विवाद सिर उठाकर शांत हो जाता है। भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों में अलग अलग तरह की धातुओं और खनिजों के भंडार हैं। दोनों इन पर कब्जे के लिए नहीं लड़ रहे हैं। ना ही दोनों में से कोई भी देश एक दूसरे के नागरिकों पर अपना अधिकार जताता है. कश्मीर के अलावा कोई और बड़ा जमीन का मुद्दा भी दोनों देशों के बीच नहीं है।
ये वो तमाम वजहें हैं जो भारत और पाकिस्तान को बता देती हैं कि परमाणु हथियारों से लैस देश, भीषण जंग में कुछ हासिल करने के बजाए, बहुत कुछ खो ही सकते हैं।

 

 

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